भाई को खुदा भाई का लाशा ना दिखाए Noha Lyrics

भाई को खुदा भाई का लाशा ना दिखाए Noha Lyrics In Hindi

हाय! हाय! हाय!

अरे! दुश्मन को भी ना भाई का मातम खुदा दिखाए
लोगो बताओ भाई को भाई कहां से लाए?

भाई को खुदा भाई का लाशा ना दिखाए
भाई को खुदा भाई का लाशा ना दिखाए

अरे! लाशे पे अलमदार के शह कहते थे हाए
भाई को खुदा भाई का लाश आना दिखाए

क्या सानी ए ज़हरा को मैं बतलाऊंगा भैय्या
मैं लाश से उठकर तो नहीं जाऊंगा भैय्या
अब शिम्र यहीं आके छुरी मुझ पे चलाए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

फट जाएगा ग़म से मेरा दिल थाम लो अब्बास
अब देर बहुत हो गई घर को चलो अब्बास
ऐसा ना हो मक़तल में सकीना चली आए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

अब हाथों में लर्ज़ा है कहां जान रही है
मज़लूम की ग़ुर्बत में कमर टूट गई है
या रब किसी दुश्मन पे भी ये वक़्त ना आए

हो गया मरना सितम अब्बास का

अब्बास पानी लाओ, अब्बास पानी लाओ
अब्बास पानी लाओ, अब्बास पानी लाओ

 

हाथों में ख़ाली कूज़े बच्चे लिए हुए हैं
गिर्दे सकीना देखो हल्क़ा किए हुए हैं
बच्चे न जाने कब का पानी पिए हुए हैं
बिन आब मर न जाएं पानी इन्हें पिलाओ।

 

अब्बास अब्बास अब्बास पानी लाओ,
अब्बास पानी लाओ, अब्बास पानी लाओ
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए

पहलू में सदा मैंने बिठाया तुम्हें भाई
जिस भाई ने गोदी में उठाया तुम्हें भाई
वो भाई भला कैसे तेरी लाश उठाई
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

मां बहने हैं हमशक्ल ए पयंबर के हवाले
मैं मश्क ओ अलम करता हूं अकबर के हवाले
हिम्मत नहीं शब्बीर में जो ख़ैमों में जाए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

सादात हैं ये शाम के लश्कर को बताओ
जाते हुए, ये शिम्र से कहते हुए जाओ
वो मेरी सकीना को तमाचे न लगाए..

टूट गई आस, मेरी टूट गई आस
टूट गई आस, मेरी टूट गई आस

देर हुई मेरे चचा जां को सिधारे
अकबर ओ बाबा हैं गए नहर किनारे
अरे अम्मा मेरा क़ल्ब जला प्यास के मारे
टूटते जाते हैं मेरे दिल के सहारे

टूट गई आस मेरी टूट गई आस
टूट गई आस, मेरी टूट गई आस

भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए

अकबर को अभी जाने दो हमने तो कहा था
औलाद तो मिल जाती है भाई नहीं मिलता
शब्बीर कहां से तुम्हें अब ढूंढ के लाए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

सादात ये कहते हैं कि हम प्यासे रहेंगे
तुमने न पिया पानी तो हम भी न पिएंगे
अल्लाह हमें प्यासा ही दुनिया से उठाए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

मुड़-मुड़ के तके जाते थे अब्बास का लाशा
गिरते कभी उठते थे तकल्लुम शहे वाला
अकबर बड़ी मुश्किल से संभाले हुए आए
भाई को ख़ुदा भाई का लाशा ना दिखाए।

Noha: Bhai Ka Lasha
Recited by: Mir Hasan Mir
Written by: Janab Mir Takallum

Best 2022 Recited by Mir Hasan Mir in grievous Voice, Muharram Kalam Lyrics In Hindi Bhai Ko Khuda Bhai Ka Lasha Na Dikhaye


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