जिसकी जानिब वोह नज़र अपनी उठा देते हैं

जिसकी जानिब वोह नज़र अपनी उठा देते हैं लिरिक्स इन हिंदी |


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जिसकी जानिब वोह नज़र अपनी उठा देते हैं

 

जिसकी जानिब वोह नज़र अपनी उठा देते हैं
उसकी सोई हुई तक़दीर जगा देते हैं

 

तेरी दुज़दीदा निगाहों को दुआ़ देते हैं
जितने चुभते हैं ये तीर उतना मज़ा देते हैं

 

जब से देखा है उन्हें, अपना मुझे होश नहीं
जाने क्या चीज़ वह नज़रों से पिला देते हैं

 

तख़्त क्या चीज़ है और लाल-व-जवाहिर क्या हैं
इश्क़ वाले तो ख़ुदाई भी लुटा देते हैं

 

एक दिन ऐसा भी आता है मोहब्बत में ज़रूर
ख़ुद वह घबरा के नक़ाब अपना उठा देते हैं

 

अपनी बर्बादी पे खुश हूं ये सुना है जब से
वह जिसे अपना समझते हैं मिटा देते हैं

 

अपने दामन को जरा आप बचा कर रखना
सर्द आहों से भी हम आग लगा देते हैं

         Qawwali         


 

जिसकी जानिब वह नज़र अपनी उठा देते हैं
उसकी सोई हुई तक़दीर जगा देते हैं

 

तेरी दुज़दीदा निगाहों को दुआ़ देते हैं
जितने चुभते हैं ये तीर उतना मज़ा देते हैं

 

जब से देखा है उन्हें, अपना मुझे होश नहीं
जाने क्या चीज़ वह नज़रों से पिला देते हैं

 

तख़्त क्या चीज़ है और लाल-व-जवाहिर क्या हैं
इश्क़ वाले तो ख़ुदाई भी लुटा देते हैं

 

एक दिन ऐसा भी आता है मोहब्बत में ज़रूर
ख़ुद वह घबरा के नक़ाब अपना उठा देते हैं

 

अपनी बर्बादी पे खुश हूं ये सुना है जब से
वह जिसे अपना समझते हैं मिटा देते हैं

 

अपने दामन को जरा आप बचा कर रखना
सर्द आहों से भी हम आग लगा देते हैं

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