Teri Ummat Ne Mere Dar Ko Jalaya Baba Lyrics | तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

Teri Ummat Ne Mere Dar Ko Jalaya Baba Lyrics | तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

 

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
फिर वो जलता हुआ दर मुझ पे गिराया बाबा
राख़ थी शोले थे सहम हुए बच्चे या धुंआ
मेरे आंगन में था इक शाम-ए-गरीबां का समां
दर हटा कर मुझे फ़िज़्जा ने उठाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

हाय लौट कर आई तो चेहरा भी मेरा ज़ख्मी था
मेरी ज़ैनब को मेरी पेशी का पहला नौहा
मेरे बालों की सफ़ेदी ने सुनाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

हाय ले चले क़ैदी बनाकर जो अली को दुश्मन
मैंने छोड़ा नहीं हैदर की अबा का दामन
ताज़ियानों ने मगर मुझसे छुड़ाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

हाय बैठकर पढ़ती हूं मुश्किल से नमाज़-ए-शब भी
फिर भी अब्बास की ख़िलक़त की दुआ भूली नहीं
जब भी ज़ख्मी हुए हाथों को उठाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

ज़ख्मी हालत में भी दहलीज़ से बाहर आई
और अली उन बे वलीउल्लाह बचाकर लाई
अहद जो मैंने किया था वो निभाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

कौन सा दर है जहां आपकी बेटी ना गई
अरे बात सुनना तो कुजा यूं हुई इज़्ज़त मेरी
कोई दरवाज़े से बाहर नहीं आया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

खुद ही देखा है तेरे शहर की दीवारों ने
कैसी ग़ुर्बत थी के हाथों में सितमगारों ने
रस्सियां बांध के हैदर को फिराया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

जिस जगह आपने रुक रुक के इजाज़त मांगी
वहां गुस्ताख़ मुसलमानों ने बैअत मांगी
अरे कोई शोले तो कोई लकड़ियां लाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

अ़र्श और फ़र्श पे मोहसिन हुआ कोहराम बपा
जिस घड़ी रो के विलायत की शहीदा ने कहा
हाय मुझको हस हस के ज़माने ने रुलाया बाबा

तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा
तेरी उम्मत ने मेरे दर को जलाया बाबा

Recited by: Mir Hasan Mir
Poetry By: Mohsin Jaffri

 

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