Shaam e Ghareeban Ayi Lyrics | Farhan Ali Waris

Shaam e Ghareeban Ayi Lyrics | Farhan Ali Waris

 

सहरा.. तप्ता सहरा
जलते ख़ैमें, बिखरे लाशे
दे रहे हैं ये लाशे दुहाई!

 

जल गए ख़ैमे छिन गई चादर
मारे गए सब भाई
ख़ैमों का पहरा देती है ज़ैनब और तन्हाई!

 

शाम ए ग़रीबां आई!
शाम ए ग़रीबां आई!
शाम ए ग़रीबां आई!
शाम ए ग़रीबां आई!

 

आग लिए जब आ गया लश्कर
छीन ली चादर, फूंक दिया घर
जलने लगा बीमार का बिस्तर
उस पे ग़शी है छाई
आबिद को शोलों से उठाकर
पुश्त पे ज़ैनब लाई!

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई

 

 

बच्चों को ज़ैनब ने जो देखा
उन में नहीं थी बाली सकीना
घबराकर ग़ाज़ी को सदा दी
रो के बहन चिल्लाई
पास तुम्हारे बाली सकीना
आई है क्या भाई!

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई

 

उजड़ा घर है इसके हवाले
इक ज़ैनब किस-किस को संभाले
सहमे बच्चे, उजड़ी मांयें हर बीबी घबराई
ज़ैनब ने सादात को देखा, नादे अली दोहराई।

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई

 

कौन बढ़ा ये जानिब ए ख़ैमा,
ग़ैज़ में ज़ैनब ने ललकारा
आने वाले लौट जा वापस,
देती हूं मैं दुहाई
अब क्या लूटने आया है तू
तू लुट गई सारी कमाई!

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई

 

उल्टी नक़ाब और बोले हैदर
बाबा अली हूं ऐ मेरी दुख़्तर
लग जा गले जी खोल के रो ले
तू है ग़मों की सताई
फिर तो इतना रोई ज़ैनब
ख़द को रोक न पाई!

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई

 

ऐसा था पुरदर्द वो मन्ज़र
कैसे कहें फ़रहान और मज़हर
बोलीं ज़ैनब बाप से रो कर
देखो ज़रा तनहाई
मैं इक ज़िन्दा लाश हूं बाबा
मुझको मौत ना आई!

 

शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई
शाम ए ग़रीबां आई


Manqabat Shahidan e Karbala And Noha Lyrics


Our Pages


Naat-E-Paak         

Manqabat Ghaus e Azam

Manqabat Ghareeb Nawaaz

Naat Khwan:

         Qawwali         

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *