Hamare Waaste Rahmat Hai Rauza-e Khwaja Lyrics in Hindi
हमारे वास्ते रह़मत है रौज़ा ए ख़्वाजा
अजब नमूना ए क़ुदरत है रौज़ा ए ख़्वाजा
ख़ुदा का ख़ास करम है ये रह़मते मिस्कीन
ज़मीने हिन्द में जन्नत है रौज़ा ए ख़्वाजा.
उनकी दरे ह़बीबे ख़ुदा तक रसाई है
पेशानी जिसने ख़्वाजा के दर पर झुकाई हैै।
हस्ती जहां में उसकी बड़ा रंग लाई है
ख़्वाजा पिया ने जिस्को नज़र से पिलाई है।
जो ख़्वाजा का हुआ वोह मुह़म्मद ﷺ का हो गया
बादे सबा ख़बर ये मदीने से लाई है।
इस दर की हाज़िरी के तो क़ाबिल नहीं था मैं
चश्मे करम तुम्हारी मुझे खींच लाई है।
क्या पूछते हो अज़मत-ए-ख़्वाजा मुईनुद्दीन
पीरों ने पीरी ख़्वाजा के सदक़े में पाई है।
पेशानी जिसने ख़्वाजा के दर पे झुकाई है…
उसकी दरे ह़बीबे ख़ुदा तक रसाई है
पेशानी जिसने ख़्वाजा के दर पे झुकाई है ..
होती है उसको दीद भी ख़ैरुल अ़नाम की
जिसकी नज़र में ख़्वाजा की सूरत समाई है.
पेशानी जिसने ख़्वाजा के दर पे झुकाई है ..
उसकी दरे ह़बीबे ख़ुदा तक रसाई है
पेशानी जिसने ख़्वाजा के दर पे झुकाई है ..
कौसर ना पूछ रौनक़े दरबारे चिश्त की
हर चीज़ जैसे मुल्क से ला कर सजाई है।
होती है उसको दीद भी ख़ैरुल अ़नाम की
जिसकी नज़र में ख़्वाजा की सूरत समाई हैै।
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