आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब | Aala Hazrat Hamare Lajawab Lyrics

आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

Aala Hazrat Hamare Lajawab Lyrics

 

दीन के हादी दीन के रहबर
आला हज़रत आला हज़रत

अहले वफ़ा के दिल के दिलबर
आला हज़रत आला हज़रत

इश्क़ ओ मोहब्बत के हैं पैकर
आला हज़रत आला हज़रत

बज़्में उल्फ़त में हैं मुनव्वर
आला हज़रत आला हज़रत

हैं बेशक़ इनआम ए पयम्बर
आला हज़रत आला हज़रत

हैं सच्चे इक आशिक़ ए सरवर
आला हज़रत आला हज़रत

बहरे सुननी इश्क़ का गौहर
आला हज़रत आला हज़रत

बहरे अदूं हैं क़हर ए हैदर
आला हज़रत आला हज़रत

इ़ल्म का हैं इक गहरा समंदर
आला हज़रत आला हज़रत

अहले हुनर में सबसे बरतर
आला हज़रत आला हज़रत

 

आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब
अहले सुन्नत के दिलों की है पुकार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

हर ज़ुबां पे है यही लैलो नहार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

चारों जानिब दुश्मनों के जाल थे
खंज़र ए शब्बीर लेकर वो उठे है
कर दिया कसरे अदूं को तार तार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

उनकी लिखी नात जब-जब भी सुनी
इश्क़ वाले झूम कर बोले यही
उनका लहजा किस कदर है शानदार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

इल्मो हिकमत का वोह एक महताब थे
इश्क़ ओ उल्फ़त का हसीं एक बाब थे
बिल यकीं है उन पे फ़ज़्ल ए किरदिगार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

मुस्तफ़ा का मोजज़ा है उनकी ज़ात
नेमत ए रब्बुल उला है उनकी ज़ात
इसलिए कहते हैं हम ये बार-बार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

उम्र भर दर्स ए वफ़ा देते रहे
और लिबास ए इश्क़ पहनाते रहे
बज़्में उल्फ़त के वो ठहरे ताजदार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

इल्म की महफ़िल हो या फिर इश्क़ की
किस जगह फैली ना उनकी रौशनी
उनकी अज़मत है सभी पर आशिकार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

कैसे मुमकिन उनकी मिदहत हो भला
किस ज़ुबां से मैं करूं उनकी सना
जबकि हैं औसाफ़ उनके बे-शुमार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

हैदरी कुव्वत थी उनमें बिल यकीन
कोई दुश्मन उनसे बचता ही नहीं
एक भी खाली गया ना उनका वार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

 

उनकी जब तहरीर आई सामने
दुश्मनों के जिस्म थर्राने लगे
उनका ख़ामा ठहरा मिस्ल ए ज़ुल्फ़िकार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

सुन्नियों आया है फिर उर्से रज़ा
देखो रिज़वी रंग से फिर मरहबा
किस कदर मौसम हुआ है मुश्कबार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

ग़ौसे आज़म के हैं दिल का वो सुरुर
ख्वाजा अजमेरी की आंखों के हैं नूर
हैं वो पूए गुल्सितान ए चार यार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

उनसे मेरा काम बनता है सदा
वो हैं तो क्या फिक्र हो मुझको वो भला
हैं वो तफ़्सीर ए रज़ा मेरा वक़ार
आला हज़रत हैं हमारे लाजवाब

Manqabat Khwan: Ghulam Mustafa Qadri

 

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