ये सब तुम्हारा करम है आक़ा लिरिक्स
शायर: ख़ालिद महमूद साहब
कव्वाल: साबरी ब्रदर्स
शराबे इश्क़ से अल्ह़मदु लिल्लाह
दिलों के जाम रौशन कर रहे हैं
मोहम्मद मुस्तफ़ा का नाम ले कर
हम अपना नाम रौशन कर रहे हैं।
मुझे तो मांगना आता नहीं मैं क्या मांगूं
मेरी तलब का शहे दो-सरा भरम रखिए
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
हुज़ूर की बंदा परवरी है
यह सब तुम्हारा करम है आक़ा
यह सब तुम्हारा करम है
करम है आक़ा
जहां जहां भी गए हैं, करम ही करते गए
किसी ने मांगा न मांगा हो, झोली भरते गए
येह सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है
उनकी यादों का है ये फ़ैज़ बराबर देखो
मैं फ़कीरी में भी हूं कितना कमंगर देखो!
बे अ़मल बोल रहे हैं! मेरे आक़ा मुझको
देखने वालो ज़रा मेरा मुकद्दर देखो!
ख़ुशा नसीब मुझे गम अता किया तुमने
करम किया मुझे अपना बना लिया तुमने
जहां कहीं मेरे कदमों में लग़्ज़िशें आयीं
निसार जाऊं वहीं आसरा दिया तुमने
इसी अदा पे तो सब मर मिटे हैं दीवाने
ख़ता हुई तो ख़ता को छुपा लिया तुमने
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
हुज़ूर की बंदा परवरी है
येह सब तुम्हारा करम है आक़ा
किसी का एहसान क्यूं उठाएं
किसी को हालात क्य़ूं बताएं
तुम्ही से मांगें गे तुम ही दोगे
तुम्हारे दर से ही लौ लगी है
येह सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
हुज़ूर की बंदा परवरी है
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा
अ़मल की मेरे असास क्या है!
बजुज़ निदामत के पास क्या है?
रहे सलामत तुम्हारी निसबत
मेरा तो इक आसरा यही है।
यह सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
ह़ुज़ूर की बंदा परवरी है।
तजल्लियों के कफ़ील तुम हो
मुरादे क़ल्बे ख़लील तुम हो
ख़ुदा की रौशन दलील तुम हो!
यह सब तुम्हारी ही रौशनी है।
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
हुज़ूर की बंदा परवरी है।
येह सब तुम्हारा करम है आक़ा
यही है ख़ालिद असासे रह़मते
यही है ख़ालिद बिनाए अज़मत
नबी का इरफ़ान ज़िंदगी है
नबी का फ़रमान बंदगी है।
मैं इस करम के कहां था क़ाबिल
हुज़ूर की बंदा परवरी है
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा
के बात अब तक बनी हुई है।
Nusrat Fateh Ali Khan
Aziz Miyañ