मेरी दास्तान ए हसरत वो सुना-सुना के रोए लिरिक्स

मेरी दास्तान- ए-हसरत वो सुना-सुना के रोए कव्वाली साबरी ब्रदर्स द्वारा लिरिक्स 

कव्वाल: साबरी बंधु
शायर: सैफुद्दीन “सैफ”

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ऐ दोस्त तेरी आंख जो नम है तो मुझे क्या!

क्या मैंने कहा था, के ज़माने से मिला कर

अब तू ही सज़ावार-ए सितम है, तो मुझे क्या!

उनके लबों पे आज मोहब्बत की बात है
अल्लाह ख़ैर हो, ये नई वारदात है!

 

क्यूं के,
मेरी दास्तान- ए हसरत वो सुना सुना के रोए …

आ …
सब के होठों पे तबस्सुम है, मेरे क़त्ल के बाद
जाने क्या सोच के, रोता रहा क़ातिल तन्हां।

मेरी दास्तान- ए हसरत वो सुना-सुना के रोए …

 

वो सता कर मुझे कहते हैं, के ग़म होता है
ये सितम और भी बालाए-सितम होता है।

मेरी दास्तान- ए हसरत वो सुना-सुना के रोए …

मुझे आज़माने वाले, मुझे आज़मा के रोए।

 

कोई ऐसा अहल-ए-दिल हो, के फ़साना-ए-मोह़ब्बत
मैं उसे सुना के रोऊं, वो मुझे सुना के रोए।

 

जो सुनाई अंजुमन में, शाबे-ग़म की आप बीती
कई रो के मुस्कुराए कई मुस्कुरा के रोए।

 

आ …
मेरे पास से गुज़र कर, मेरा हाल तक न पूछा

मेरे पास से गुज़र कर..

गुज़र गए वो निगाहे करम बचाए हुए
हम इस उम्मीद में बैठे थे, कोई पूछेगा

मेरे पास से गुज़र कर, मेरा हाल तक न पूछा
मैं ये कैसे मान जाऊं, के वो दूर जाके रोए।

 

आ …
बैठ जाता हूं जहां छाओं घनी होती है
हाय! क्या चीज़ गरी़ब – उल – वतनी होती है।

मैं हूं बे-वतन मुसाफ़िर, मेरा नाम बे-बसी है
मेरा कोई भी नहीं है, जो गले लगा के रोए।

 

आ …
कहीं सैफ़ रास्ते में, वो मिले तो उससे कहना
मैं उदास हूं अकेला, मेरे पास आ के रोए।

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मेरी आरज़ू की दुनियां, दिल-ए ना-तवां की हसरत
जिसे खो के सादमां थे, उसे आज पा के रोए।

तेरी बे-वफाईयों पर, तेरी कज-अदाईयों पर
कभी सर झुका के रोए, कभी मुंह छुपा के रोए


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