बेख़ुद किए देते हैं अंदाज़ ए हिजाबाना लिरिक्स

बेख़ुद किए देते हैं अंदाज़ ए हिजाबाना कव्वाली लिरिक्स

Bekhud kiye dete hain andaz e Hijabana qawwali by Rahat Fateh Ali Khan Lyrics

कव्वाल: उस्ताद राहत फतेह अली खान

शायर: हज़रत बेदम वारसी

English Lyrics


जोड़ लगते गए फसाने में

राज़ खुलते गए छुपाने में

रूठने का सबब तो तुम जानो

हम तो मसरूफ़ हैं मनाने में

 

तूने तिनके समझ के फूंक दिया

मेरी दुनिया थीं आशियाने में।

 

क़रार लूट लिया बेकरार छोड़ गए

बहार ले गए यादे बहार छोड़ गए

 

हमारी तिश्ने हज़ीं का न कुछ ख़याल किया

वो उम्र भर के लिए अश्क बार छोड़ गए।

 

मैंने मासूम नज़ारों में तुम्हें देखा है

मैंने पुरनूर नज़ारों में तुम्हें देखा है

 

मेरे महबूब तेरी पर्दा नशीनी की कसम

मैंने अश्कों की कतारों में तुम्हें देखा है।

 

मैंने हर सिम्त नज़ारों में तुम्हें देखा है।

बेख़ुद किए देते हैं, अंदाज़ ए हिजाबाना

बेख़ुद किए देते हैं, अंदाज़ ए हिजाबाना

आ दिल में तुझे रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

अर्ज़ो समां कहां तेरी वुसअत को पा सके

मेरा ही दिल है वो, के जहां तू समा सके।

 

आ दिल में तुम्हें रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

आंखों में तुझे रख लूं, ऐ जलवए जानाना

 

क़रीब आ तुझे तोहफ़े में ज़िन्दगी देदूं

तेरी निगाहों की सौग़ात अच्छी लगती है

 

आंखों में तुझे रख लूं, ऐ जलवाए जानाना

 

आ दिल में तुझे रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

आ, आ, शबे-फ़िराक़ आ,

आ दिल में तुम्हें रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

कौन है जिसने मय नहीं चक्खी

कौन झूटी कसम उठाता है

मैकदे से जो बच निकलना है

तेरी नज़रों में डूब जाता है।

 

आ दिल में तुझे रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

तुम आए हो न शबे इन्तिज़ार गुजरी है

तलाश में, यूं सहर, बार बार गुजरी है।

 

आ दिल में तुझे रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

अभी तो आए हो, ठहरो ज़रा, चले जाना

लगेगी देर ज़रा हाले दिल सुनाने में।

 

आ दिल में तुम्हें रखलूं, ऐ जलवा ए जनाना

 

आंखों में तुझे रख लूं ऐ जलवा ए जानाना

 

ऐ अब्र ए करम ज़रा थम के बरस

इतना न बरस के वो आ न सकें

वो आ जाएं तो जम के बरस

और इतना बरस के वो जा ना सकें।

 

आंखों में तुझे रख लूं ऐ जलवा ए जानाना

 

क्यूं आंख मिलाई थी, क्यूं आग लगाई थी

क्यूं आस बंधाई थी, क्यूं आग लगाई थी

क्यूं दीद कराई थी, क्यूं आग लगाई थी

क्यूं प्रीत कराई थी, क्यूं आग लगाई थी

 

अब रुख़ को छुपा बैठे, करके मुझे दीवाना

अब जाली लगा बैठे, करके मुझे दीवाना

सऊदी शुर्तों के..

अब पहरे लगा बैठे, करके मुझे दीवाना

 

बस उनकी यादों का अब तक खुमार बाक़ी है

 

अब पहरे लगा बैठे, करके मुझे दीवाना

अब पर्दा गिरा बैठे, करके मुझे दीवाना

 

जिस जा नज़र आते हो, सजदे वहीं करता हूं

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

जिस क़दर मैंने भुलाए तेरी यादों के नुक़ूस

दिले बेताब ने उतना ही तुम्हें याद किया।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

मेरी ज़िन्दगी भी अजीब है

मेरी बंदगी भी अजीब है

जहां मिल गया तेरा नक्शे पा

वहीं मैंने काबा बना लिया।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

मैंने दरे यार पे ऐसी पढ़ी नामाज़

काबा मेरी नमाज़ पे कुर्बान हो गया।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

मुझे क्या ग़रज़ थी रुकूअ से

मुझे क्या ग़रज़ थी सुजूद से

तेरे नक्शे पा की तलाश थी

के मैं झुक रहा था नमाज़ में।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

मरीज़ ए इश्क़ का अक्सर ये हाल होता है

किसी के नाम से चेहरा बहाल होता है

मैं इसको कुफ्र कहूं या कमाले इश्क़ कहूं

नमाज़ में भी तुम्हारा ख़याल होता है।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

सजदों के लिए बाबे करम ढूंढ लिया है

ऐ यार तेरा नक़्शे क़दम ढूंढ लिया है।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

इश्क़ का मुद्दई भी तुम,

हुस्न का मुद्दआ़ भी तुम

 

आशिक़ ए बावफ़ा भी तुम,

माशूक ए दिलरुबा भी तुम

 

यहां भी तुम वहां भी तुम,

इधर भी तुम उधर भी तुम

 

रहने दो राज़ खुल गया,

बंदे भी तुम ख़ुदा भी तुम।

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

 

जिस रह से गुजरते हो, सजदे वहीं करता हूं

इससे नहीं कुछ मतलब काबा हो य बुत खाना

 

मैं होशो हवास अपने इस बात पे खो बैठा

तूने जो कहा हंस के, आया मेरा दीवाना।

 

तूने जो कहा हंस के, देखो मेरा दीवाना।

तूने जो कहा हंस के, देखा मेरा दीवाना।

तूने जो कहा हंस के, ये है मेरा दीवाना।

तूने जो कहा हंस के, ताहिर मेरा दीवाना।

 

जी चाहता है तोहफ़े में भेजूं उन्हें दो आंखें

दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़राना

 

ऐसी आंखों के तसद्दुक़ मेरी आंखें बेदम

 

दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़राना

 

जी चाहता है तोहफ़े में भेजूं उन्हें दो आंखें

दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़राना

 

बेदम मेरी क़िस्मत में सजदे हैं इसी दर के

 

पीने को तो पी लूंगा, पर शर्त ज़रा सी है

बग़दाद का साक़ी हो, अजमेर का मयख़ाना

 

पीने को तो पी लूंगा, पर शर्त ज़रा सी है

बग़दाद का साक़ी हो, मिन्हाज का मयख़ाना

 

बेज़ौक़ी ए दुनियां के न साग़र से पियूंगा

मर जाऊंगा लेकिन न किसी दर से पियूंगा

मयख़ार की तौहीन है, कम ज़र्फ़ की मिन्नत

पीनी है तो फिर साक़िए बग़दाद से पियूंगा।

 

बग़दाद का साक़ी हो, मिन्हाज का मयख़ाना

 

बग़दाद का साक़ी है, मिन्हाज का मयख़ाना

 

बेदम मेरी क़िस्मत में सजदे हैं इसी दर के

छूटा है न छूटेगा संग ए दर ए जानाना

 

याद-राह गरीबों का बरक़रार रहे

 

छूटा है न छूटेगा अजमेर का मयख़ाना

 

जीना है तो संग ताहर के जियूंगा

 

छूटा है न छूटेगा अजमेर का मयख़ाना

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

मुझे इस का ग़म नहीं है, के बदल गया ज़माना

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

नैनन की कर कोठरी, जो पलक ढांप तोहे लूं

ना मैं देखूं ग़ैर को, ना मैं तोहे देखन दूं

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

ज़हे नसीब मुझे ग़म अ़ता किया तूने

करम किया मुझे अपना बना लिया तूने

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

बहुत उदास थी दुनिया में ज़िन्दगी लेकिन

करम जो तेरा हुआ, बात बन गई मेरी

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

इससे बढ़ कर मेरी ख़ुशी क्या है

तुम सलामत रहो, कमी क्या है

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

इससे बढ़ कर मेरी ख़ुशी क्या है

मुस्कुराते रहो, कमी क्या है

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

इससे बढ़ कर मेरी ख़ुशी क्या है

रुख़ दिखाते रहो, कमी क्या है

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

सोने की जरीब होवे

अंखियां ओह रखिए

पाएं यार ग़रीब होवे

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

सोने की जरीब होवे

मुखड़ा ढोलन दा

ग़रीबां दी ईद होवे

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

तेरी इक निगह की क़ीमत मेरी सारी जिंदगानी

तूने मुझे कुबूल किया, ये है तेरी मेहरबानी

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

मेरी बन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

मेरी बन्दगी है तुमसे, कहीं रुख़ छुपा न जाना

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, तुम मुझे भुला न जाना

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

मजलिस सजी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

मिनहाज सजा है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

महफ़िल सजी है तुमसे, कहीं तुम चले न जाना

मेरी जां लगी है तुमसे, कहीं तुम चले न जाना

मेरी जां अड़ी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

इज़्ज़त बनी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

साजन प्रीत लगाई के दूर देस मत जा

बस हमारे देस में, मैं मांगू तू खा

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

पेशे नज़र हों आप, मेरा सर झुका रहे

जब तक रहूं जहां में, करम आपका रहे।

 

मेरी ज़िन्दगी है तुमसे, कहीं तुम बदल न जाना

 

ग़म ए आशिक़ी से पहले मुझे कौन जानता था

तेरे इश्क़ ने बना दी मेरी ज़िन्दगी फ़साना।

 

क्या लुत्फ़ हो महशर में, मैं शिकवे किए जाऊं

वो हंस के कहे जाएं दीवाना है दीवाना।

 

साक़ी तेरे आते ही ये जोश है मस्ती का

शीशे पे गिरा शीशा पैमाने पे पैमाना

 

मालूम नहीं बेदम मैं कौन हूं और क्या हूं

यूं अपनों में अपना हूं, बेगानों में बेगाना।

 

बेखुद किए देते हैं अंदाज़ ए हिजाबाना


Hindi And English lyrics

| Naat-E-Paak |  Ajmal Sultanpuri Naat  | Ala Hazrat Naat

| Qawwali | Sabri Brothers || Rahat Fateh Ali Khan | 

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