फिर मदीने की जानिब चले क़ाफ़िले लिरिक्स

फिर मदीने की जानिब चले क़ाफ़िले लिरिक्स | Phir Madine Ki Janib Chale Qafile Lyrics in Hindi | Haj Naat Lyrics | Allama Saim Chishti Naat Lyrics

Kalaam : Allama Saim Chishti 


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फिर मदीने की जानिब चले क़ाफ़िले

 

फिर मदीने की जानिब चले क़ाफ़िले
फिर मेरी बे-क़रारी के दिन आ गए,

चश्म-ए बेताब बेताबियां छोड़ दे
अब तेरी अश्कबारी के दिन आ गए

 

ज़ाइरो स़द मुबारक हों ये मरह़ले
बनके मेहमान आक़ा के हो जा रहे

अश्क कैफ़-ओ-मसर्रत के मत रोकना
ख़ैर से आह-ओ-ज़ारी के दिन आ गए

 

जब मनाज़िर मदीने के मिल जाएंगे
ख़ुद-ब-ख़ुद फूल ज़ख़्मों के खिल जाएंगे

ख़ूं के आंसू बहा ख़ूब दरिया चला
किश्त-ए-दिल आबयारी के दिन आ गए

 

बाब-ए-जन्नत का नक़्शा है बाब-ए-हरम
है वहां पर ख़ुदा का करम ही करम

जो भी मांगोगे मिल जाएगा बिलयक़ीं
रहमत-ए ज़ात-ए बारी के दिन आ गए

 

ज़ाइरो! बाब रहमत के खुल जाएंगे
सारे दफ़्तर गुनाहों के धुल जाएंगे

याद रखना मुझे भी ख़ुदा के लिए
अब हैं बख़्शिश तुम्हारी के दिन आ गए

 

आह-ए-दिल यूं निकल आसमां रो पड़े
जान-ए-मन यूं तड़प के जहां रो पड़े

चीर के रखदे ‘साइम’ गिरेबान को
कैफ़ियत इज़्तिरारी के दिन आ गए

कलाम : अल्लामा साइम चिश्ती


Urdu, Hindi and English Lyrics

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