तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है

तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है कव्वाली लिरिक्स इन हिंदी |


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तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है

 

तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है,
जो कुछ भी मिला मुझको सब तेरी बदौलत है।

 

ये सच है के मैं क्या हूं, क्या मेरी हक़ीक़त है,
क़तरा ही सही लेकिन दरिया से तो निसबत है।

 

मैं ख़ूब समझता हूं क्या मेरी हक़ीक़त है,
क़तरा ही सही लेकिन दरिया से तो निसबत है।

 

ये जितनी भी दौलत है, सब तेरी बदौलत है,
ये जितनी भी शोहरत है,सब तेरी बदौलत है।

 

इस दिल के बहलने की अब एक ही सूरत है,
तुम हंस के ज़रा कह दो, हां तुझसे मोहब्बत है।

 

दे दी है सनद मुझको ख़्वाजा की ग़ुलामी की,
मुर्शिद का करम है ये मुर्शिद की इनायत है।

 

आज़ाद ये जान-व-दिल ईमान-व-यक़ीं मोहकम,
जो कुछ है मेरे मुरशिद सब तेरी बदौलत है।

 

ये सारा जहां तेरी निकहत का है शैदायी,
मैं ख़ार सही लेकिन इक फूल से निस्बत है।

 

मैं एक क़यामत का पाबंद रहूं कैसे,
जिस दिन न तुम्हें देखूं उस दिन ही क़यामत है।

 

उठ कर तेरे कूचे से जाएं तो कहां जाएं,
आक़ा तेरा आंगन तो दीवानों की जन्नत है।

 

चाहा है तुझे मैंने तुझसे ही मोहब्बत है,
ऐ यार मुझे तेरी हर वक़्त ज़रूरत है।

 

उस हुस्न ए मुकम्मल से मानूस तबीयत है,‌
सूरत भी नहीं देखी और फिर भी मोहब्बत है।

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