जो मुहाफ़िज़ था Noha Lyrics | Jo Muhafiz Tha Lyrics

जो मुहाफ़िज़ था Noha Lyrics | Jo Muhafiz Tha Lyrics

 

हाय बाबा उजड़ गई ज़ैनब
जो मुहाफ़िज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

कर्बला में ग़रीब ज़ैनब पर
हाय! कैसा सितम हुआ बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

कल मदीने से आई थी ज़ैनब
भाई बेटों के साथ करबल में
रो रही है ह़या की शहज़ादी
आज अहले सितम के नर्ग़े
अब लबों पर यही दुहाई है
हाय घर लूट गया मेरा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

मेरे अब्बास के कटे बाज़ू
जिस घड़ी अल-क़मा के साहिल पर
जल गए ख़ैमें, छिन गई चादर
लुट गया घर, सितम हुए हम पर
अब वो ग़ाज़ी भी ना रहा मेरा
जो था मुश्किल में आसरा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

बाबा अपनी अबा के साए में
तुमने जिस लाड़ले को पाला था
उसका बे-सर, सितमज़दा लाशा
कर्बला की ज़मीं पे है रक्खा
मेरे भाई हुसैन को बन में
इक कफ़न तक भी ना मिला बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

बाबा जो था सबीह नाना की
उसके सीने में है सिना टूटी
उसने तोड़ा वहां पे दम बाबा
और मेरी कमर यहां टूटी
मेरा अकबर भी दश्त ए ग़ुरबत में
दाग फ़ुर्क़त का दे गया बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफ़िज़ था Noha Lyrics
जो मुहाफ़िज़ था Noha Lyrics

जो मेरे औन और मुहम्मद थे
दश्त में उनके हैं पड़े लाशे
ना मैं पानी पिला सकी उनको
और दुनिया से वो गए प्यासे
ता क़यामत तुम्हारी ज़ैनब को
अब यही ग़म रुलाएगा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

मेरे सर से छिनी थी जब चादर
और दामन जला सकीना का
मैंने रो कर बहुत सदाएं दी
मेरा ग़ाज़ी मगर नहीं आया
मेरी फ़रियाद सुन के मक़तल में
उसका लाशा तड़प गया बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

कैसा मंज़र सहाब था ग़म का
जिसको फ़रहान पढ़ नहीं पाया
शामे ग़ुर्बत में आमद ए हैदर
इक क़यामत हरम में भी बर्पा
बाप को देख कर गिरीं ज़ैनब
ख़ाक पर और यही कहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

जो मुहाफिज़ था मेरे पर्दे का
अब वो ग़ाज़ी नहीं रहा बाबा
मेरा कोई नहीं रहा बाबा

 

Recited by: Farhan Ali Waris

जो मुहाफ़िज़ था Noha Lyrics

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