आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा!

Aastañ Hai Ye Kis Shah e Zeeshan Ka Lyrics in Hindi

Lyrics in English

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कव्वाल: उस्ताद नुसरत फतेह अली ख़ान साहब की कव्वाली के लिरिक्स नीचे Video के बाद दिए गए हैं


शायर: हजरत पीर नसीरुद्दीन ‘नसीर’ गिलानी 

आसतां है ये किस शाह-ए-ज़ीशान का, मरहबा मरहबा !
क़ल्ब हैबत से लर्ज़ां है इन्सान का, मरहबा मरहबा!
है असर बज़्म पर किसके फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा
घर बसाने मेरी चश्म-ए-वीरान का, मरहबा मरहबा!

चांद निकला हसन के शबिस्तान का, मरहबा मरहबा!

 

सर की ज़ीनत अमामा है इरफ़ान का, मरहबा मरहबा!
जुब्बा तन पर मुहम्मद ﷺ के एहसान का, मरहबा मरहबा!
रंग आंखों में ज़हरा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा!
रूप चेहरे पे आयात-ए-क़ुरआन का, मरहबा मरहबा! …..

सज के बैठा है नौशाह जीलान का, मरहबा मरहबा! ….

 

बज़्म-ए-कौन-ओ-मकां को सजाया गया, आज सल्ले अला
सायबां रहमतों का लगाया गया आज, आज सल्ले अला
अंबिया औलिया को बुलाया गया, आज सल्ले अला
इब्ने ज़हरा को दूल्हा बनाया गया, आज सल्ले अला

उर्स है आज महबूब ए सुबहान का, मरहबा मरहबा

 

आसमां मंज़िलत किसका ऐवान, वाह क्या शान है!
आज ख़ल्क़-ए-ख़ुदा किसकी मेहमान है, वाह क्या शान है!
ला तख़फ़ किसका मशहूर फ़रमान है, वाह क्या शान है!
बिल यकीं वो शहिंशाह ए जीलान, वाह क्या शान है!

हक़ दिया जिसको क़ुदरत ने एलान का, मरहबा मरहबा!

 

हर तरफ़ आज रह़मत की बरसात है, वाह क्या बात है!
आज खुलने पे क़ुफ़्ल-ए-मोहिम्मात है, वाह क्या बात है!
चार सू जलवा आरायी-ए-ज़ात है, वाह क्या बात है!
कोई भरने पे कशकोल-ए-हाजात है, वाह क्या बात है!

जागने को मुक़द्दर है इन्सान का, मरहबा मरहबा!

 

कोई महव-ए-फ़ुग़ां कोई ख़ामोश है, अब किसे होश है
साज़-ए-मुतरिब की लै नग़मा बरदोश है, अब किसे होश है
अक़्ल हैरत के पर्दे में रुपोश है, अब किसे होश है
बज़्म की बज़्म मस्ती दर आगोश है, अब किसे होश है

पीके साग़र अली के ख़ुमिस्तान का, मरहबा मरहबा!

 

क्या हसीं मंजर-ए-जूद-व-इकराम है दावत-ए-आम है!
अहल-ए-दिल की नज़र मस्ती आशाम है दावत-ए-आम है!
हाश्र तक मुद्दत-ए-गर्दिश-ए-जाम है दावत-ए-आम है!
दस्त-ए-जिब्रील मसरूफ-ए-इत़आ़म है दावत-ए-आम है!

खाओ सदक़ा अली शाह-ए-मरदान का, मरहबा मरहबा!

 

शम्मे-तौह़ीद दिल में जला कर पियो, दिल लगा कर पियो
शाह-ए-बतहा की ख़ैरात पाकर पियो, दिल लगा कर पियो
शैख़ के आस्ताने पे आ कर पियो, दिल लगा कर पियो
आंख मेहर-ए-अली से मिला कर पियो, दिल लगा कर पियो

ख़ुद पिलाने पे साक़ी है जीलान का, मरहबा मरहबा!

 

है अजब हुस्न का बांकपन सामने, इक चमन सामने
अहल-ए-ततहीर हैं ख़ैमाज़न सामने, पंजतन सामने
है ये रू-ए-हसन की फबन सामने, या हसन सामने
जलवा फरमां हैं ग़ौस-ए-ज़मन सामने, ज़ौफ़िगन सामने

देखिए क्या बने चश्म-ए-हैरान का, मरहबा मरहबा!

 

गुलशन-ए-मुस्तफ़ा की फबन और है, ये चमन और है!
शाह-ए-अबरार की अंजुमन और है, ये चमन और है!
बू-ए-गुलदस्ता-ए-पंजतन और है, ये चमन और है!
शान-ए-आल-ए-हुसैन-व-हसन और है, ये चमन और है!

सरमदी रंग है इस गुलिस्तान का, मरहबा मरहबा !

 

फ़क़्र की सल्तनत तुरफ़ा सामान है, रहमत ऐवान है
इस के ज़ेर-ए-नगीं क़ल्ब-ए-इंसान है, इजज़् उ़नवान है
किसका दस्त-ए-नज़र कासा गर्दान है, अक़्ल हैरान है
इक वली ज़ेब-ए-औरंग-ए-इरफ़ान है, वाह क्या शान है

सर झुके है यहां मीर-व-सुल्तान का मरहबा मरहबा!

 

हर घड़ी मेहरबां ज़ात-ए-बारी रहे, फ़ैज़ जारी रहे
ख़ाक-बोसी पे बाद-ए-बाहरी रहे, फ़ैज़ जारी रहे
आ़लम-ए-कैफ़ में बज़्म सारी रहे, फ़ैज़ जारी रहे
बेख़ुदी तेरे मस्तों पे तारी रहे, फ़ैज़ जारी रहे

मेंह बरसता रहे तेरे एहसान का, मरहबा मरहबा!

 

अ़र्श-ए-असरार तक जिसकी परवाज़ है, त़ुर्फा़ अंदाज है
इल्म-ए-लाहूत का हासिल ए़’जाज़ है, त़ुर्फ़ा अंदाज है
ज़ोह्द-व-तक़वा में यकता-व-मुमताज़ है, त़ुर्फा़ अंदाज है
आबरू-ए-चमन क़ामत-ए-नाज़ है, त़ुर्फा़ अंदाज है

पीर मेहर-ए-अली क़ुतब-ए-दौरान का, मरहबा मरहबा!

 

गोलड़े की ज़मी कितनी मसऊद है, ख़ित्ता-ए-जूद है
पीर मेहर-ए-अ़ली जिसमें मौजूद है, ख़ित्ता-ए-जूद है
क्या हसीं मंज़र-ए-शान-ए-माबूद है, ख़ित्ता ए जूद है
हर अयाज़ इसका हमग़ोश-ए-महमूद है, ख़ित्ता ए जूद है

औज पाया है बिरजीस-व-कैवान का, मरहबा मरहबा

 

तेरे दीवाने हाज़िर हैं सरकार में, आज दरबार में
सर झुकाए जनाब-ए-गुहर-बार में, आज दरबार में
बन के सायिल तेरी बज़्म-ए-अनवार में, आज दरबार में
युसूफ़-ए-मिस्र-ए-दिल तेरे बाज़ार में, आज दरबार में

जश्न है क्या दिल-अफरोज़ इरफान का, मरहबा मरहबा!

 

दरबदर मुफ़्त की ठोकरें खाए क्यों, हाथ फैलाए क्यों?
मांगने कू-ए-अग़यार में जाए क्यों, हाथ फैलाए क्यों?
उसके नामूस-ए-ग़ैरत पे, हर्फ़ आए क्यों, हाथ फैलाए क्यों?
दिल क़नाअत की ज़ौ से न चमकाए क्यों, हाथ फैलाए क्यों?

जो नमक ख़्वार हो पीर-ए-पीरान का मरहबा मरहबा!

 

शाह-ए-जीलां की चौखट सलामत रहे, ता क़यामत रहे
नक्श-ए-पा का चमन पुर-करामत रहे, ता क़यामत रहे
ख़लअत-ए-इजतिबा ज़ेब-ए-क़ामत रहे, ता क़यामत रहे
सर पे वलियों का ताज-ए-इमामत रहे, ता क़यामत रहे

सिलसिला ग़ौस-ए-आज़म के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा!

 

वारिस-ए-ख़ा’तमुल-मुरसलीं आप हैं, बिलयकीं आप हैं
क़स़्र-ए-ज़हरा का नक़्श-ए-हसीं आप हैं, बिलयकीं आप हैं
दीन-ए-बरहक़ के मुह़ी-व-मुय़ीं आप हैं, बिलयकीं आप हैं
बज़्म-ए-इरफ़ां के मसनद नशीं आप हैं, बिलयकीं आप हैं

हर वली त़िफ़्ल है इस दबिस्तान का, मरहबा मरहबा!

 

मज़हर ए ज़ात ए रब्ब ए क़दीर आप हैं, दस्तगीर आप हैं
कारवान ए करम के अमीर आप हैं, दस्तगीर आप हैं
शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं, दस्तगीर आप हैं ..
इस नसीर ए हज़ीं के नसीर आप हैं, दस्तगीर आप हैं

कोई हमसर नहीं आप की शान का, मरहबा मरहबा !

यहां से नीचे नुसरत फतेह अली खान साहब की कव्वाली के लिरिक्स हैं⬇️

 

अल्लाह रे! क्या बारगह ए ग़ौस ए जलीं है!
गर्दन को झुकाए हुए एक एक वली है
हर गाम पे सजदे की तमन्ना है जिबीं को
ये किसका दर ए नाज़ है, ये किसकी गली है।

आस्तां है ये..

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा !

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा ! ..

आस्तां है ये किसका,
आस्तां है ये किसका…

 

सज्दे जहां पे करते है आ आ के फ़रिश्ते

आस्तां है ये किसका,
आस्तां है ये किसका…

 

मलायिक सर झुकाते हैं, वली आंखे बिछाते हैं

आस्तां है ये किसका,
आस्तां है ये किसका…

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा ! …

 

ईं बारगह ए हज़रत ए ग़ौस अस सक़लैन अस्त
न-कदे क-रमे हैदर ओ नस्ल ए हसनैन अस्त
मा दर्श हुसैनी नसब अस्त ओ पिदर ए ऊ
ज़ौलाद ए हुसन यानि करीमुल अबावैन अस्त।

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा ! …

 

झुकी बहरे इबादत जब शह ए बग़दाद के दर पर
अजब तौक़ीर ए सज्दा अपनी पेशानी में देखी है

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा ! …

क़ल्ब हैबत से लर्ज़ां है इन्सान का, मरहबा मरहबा!
है असर बज़्म पर किसके फ़ैज़ान का मरहबा मरहबा
घर बसाने मेरी चश्मे वीरान का, मरहबा मरहबा!
चांद निकला हसन के शबिस्तान का मरहबा मरहबा! …

चांद निकला.. वो निकला
चांद निकला.. वो निकला…

मरहबा मरहबा ..
वो, वो चांद निकला.. वो निकला
चांद निकला.. वो निकला ..

चांद निकला हसन के शबिस्तान का मरहबा मरहबा! …

 

सर की ज़ीनत अमामा है इरफ़ान का
मरहबा मरहबा!
जुब्बा तन पर मुहम्मद ﷺ के एहसान का
मरहबा मरहबा!
रंग आंखों में ज़हरा के फ़ैज़ान का
मरहबा मरहबा!
रूप चेहरे पे आयात ए क़ुरआन का
मरहबा मरहबा! …..
सज के बैठा है नौशाह जीलान का मरहबा मरहबा! ….

 

नगर नगर में करो मुनादी
है शाह ए जीलां की आज शादी

सज के बैठा है नौशाह जीलान का मरहबा मरहबा! ..

 

सारे वलियों को मेहमां बुलाया गया
ग़ौस ए आज़म को दूल्हा बनाया गया

सज के बैठा है नौशाह जीलान का मरहबा मरहबा! ….

 

मीरां के घर है शादी, आए वली नबी सब
तैबा से मुस्तफा ﷺ भी तशरीफ़ ला रहे हैं

सज के बैठा है नौशाह जीलान का मरहबा मरहबा! ..

 

नज़रों को शौक़ ए दीद है
मंगतों में जश्न ए ईद है

सज के बैठा है नौशाह जीलान का मरहबा मरहबा! ..

 

बज़्म ए कौन ओ मकां को सजाया गया
आज सल्ले अला
सायबां रहमतों का लगाया गया आज
आज सल्ले अला
अम्बिया औलिया को बुलाया गया
आज सल्ले अला
इब्ने ज़हरा को दूल्हा बनाया गया
आज सल्ले अला ….
उर्स है आज महबूब ए सुबहान का
मरहबा मरहबा …..

 

आओ दीवानों मुरादें अपनी अपनी मांग लो

उर्स है आज महबूब ए सुबहान का
मरहबा मरहबा …..

झोलियां हर सवाली की भर जाएंगी
दर सख़ी का खुला है अ़ता के लिए

उर्स है आज महबूब ए सुबहान का
मरहबा मरहबा …..

 

आसमां मंज़िलत किसका ऐवान
वाह क्या शान है!
आज ख़ल्क़ ए ख़ुदा किसकी मेहमान है
वाह क्या शान है!
ला तख़फ़ किसका मशहूर फ़रमान है
वाह क्या शान है!
बिल यकीं वो शहिंशाह ए जीलान
वाह क्या शान है! ..

हक़ दिया जिसको क़ुदरत ने एलान का
मरहबा मरहबा ….

 

हर तरफ़ आज रह़मत की बरसात है
वाह क्या बात है!
आज खुलने पे क़ुफ़्ल ए मोहिम्मात है
वाह क्या बात है!
चार सू जलवा आरायी ए ज़ात है
वाह क्या बात है!
कोई भरने पे कशकोल ए हाजात है
वाह क्या बात है!

कोई भरने पे कशकोल ए हाजात है ..

 

आओ फ़क़ीरों आओ, झोली को अपनी भर लो

कोई भरने पे कशकोल ए हाजात है ..

ये वक़्त है करम का, सरकार करम फरमाते हैं, आओ

कोई भरने पे कशकोल ए हाजात है ..

कोई भरने पे कशकोल ए हाजात है
वाह क्या बात है!
जागने को मुक़द्दर है इन्सान का
मरहबा मरहबा …

 

गुलशन ए मुस्तफ़ा की फबन और है
ये चमन और है!
शाह ए अबरार की अंजुमन और है
ये चमन और है!
बू ए गुलदस्ता ए पंजतन और है
ये चमन और है!
शान ए आल ए हुसैन ओ हसन और है
ये चमन और है!

शान ए आल ए हुसैन ओ हसन और है
शान ए आल ए हुसैन ओ हसन और है

शान ए आल ए हुसैन ओ हसन और है
ये चमन और है!
सरमदी रंग है इस गुलिस्तान का
मरहबा मरहबा …

 

गोलड़े की ज़मी कितनी मसऊद है
ख़ित्ता ए जूद है
पीर मेहर ए अ़ली जिसमें मौजूद है
ख़ित्ता ए जूद है

पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली
पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली …

 

इक सिलसिला ए नूर है, हर सांस का रिश्ता
ईमान मेरा हुब्ब ए नबी, मेहर ए अली है

पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली
पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली …

 

कोई किसी का, कोई किसी का, मेरे

पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली
पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली …

 

मजनूं को मिली लैला, यूसुफ़ को ज़ुलैख़ा
और मुझको मेरे

पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली
पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली …

 

ख़याल अपना अपना, पसंद अपनी अपनी
मेरे तो हैं,
पीर मेहर ए अली, पीर मेहर ए अली …

पीर मेहर ए अली जिसमें मौजूद है
ख़ित्ता ए जूद है..

गोलड़े की ज़मी कितनी मसऊद है
ख़ित्ता ए जूद है
पीर मेहर ए अ़ली जिसमें मौजूद है
ख़ित्ता ए जूद है
क्या हसीं मंज़र ए शान ए माबूद है
ख़ित्ता ए जूद है
हर अयाज़ इसका हमग़ोश ए महमूद है
ख़ित्ता ए जूद है
औज पाया है बिरजीस ओ कैवान का
मरहबा मरहबा ….

 

शम्म ए तौह़ीद दिल में जला कर पियो
दिल लगा कर पियो
शाह ए बत्हा की ख़ैरात पाकर पियो
दिल लगा कर पियो
शैख़ के आस्ताने पे आ कर पियो
दिल लगा कर पियो
आंख मेहर ए अली से मिला कर पियो
दिल लगा कर पियो …

आंख मेहर ए अली से मिला कर पियो..

आंख मेहर ए अली से मिला कर पियो
दिल लगा कर पियो …
ख़ुद पिलाने पे साक़ी है जीलान का
मरहबा मरहबा….

 

है अजब हुस्न का बांकपन सामने
इक चमन सामने
अहले तत्हीर हैं ख़ैमाज़न सामने
पंजतन सामने
है ये रू ए हसन कि फबन् सामने
या हसन सामने
जलवा फरमां हैं ग़ौस ए ज़मन सामने
ज़ौफ़िगन सामने
देखिए क्या बने चश्म ए हैरान का
मरहबा मरहबा ….

 

शाह ए जीलां की चौखट सलामत रहे
ता क़यामत रहे

शाह ए जीलां की चौखट सलामत रहे
शाह ए जीलां की चौखट सलामत रहे …

शाह ए जीलां की चौखट सलामत रहे
ता क़यामत रहे
नक्श ए पा का चमन पुर-करामत रहे
ता क़यामत रहे
ख़लअत ए इजतिबा ज़ेब ए कामत रहे
ता क़यामत रहे
सर पे वलियों का ताज ए इमामत रहे
ता क़यामत रहे

सर पे वलियों का ताज ए इमामत रहे
सर पे वलियों का ताज ए इमामत रहे

सर पे वलियों का ताज ए इमामत रहे
ता क़यामत रहे
सिलसिला ग़ौस ए आज़म के फ़ैज़ान का मरहबा मरहबा …

 

मज़हर ए ज़ात ए रब्ब ए क़दीर आप हैं
दस्तगीर आप हैं
कारवान ए करम के अमीर आप हैं
दस्तगीर आप हैं
शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं
दस्तगीर आप हैं ..

शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं
शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं ..

 

दस्तगीरा! कर मेहर तू मेहर अली ते
तेरे बाज है कौन अल्लाह रासियां दा

शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं …

 

मेहर है सारी अली दी, शक ना रह गया इक ज़रा
करम कीता गौस ए आज़म साड्डा सरदेयां वालेयां

शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं ..

शाह ए बग़दाद पीरान ए पीर आप हैं
दस्तगीर आप हैं ..
इस नसीर ए हज़ीं के नसीर आप हैं
दस्तगीर आप हैं
कोई हमसर नहीं आप की शान का
मरहबा मरहबा ! …

आस्तां है ये किस शाह ए ज़ीशान का मरहबा मरहबा ! …

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