आया तयबा का चाँद चमका तैबा का चांद | Aaya Taiba Ka Chand Lyrics 

आया तयबा का चाँद चमका तैबा का चांद

Aaya Taiba Ka Chand Lyrics 

 

चमक माह-ए-नूर का है हिलाल

चमक माह-ए-नूर का है हिलाल

 

सरकार की आमद ! मरहबा ! 

दिलदार की आमद ! मरहबा ! 

रसूल की आमद ! मरहबा । 

बोलो नूर की आमद आमद!

हुज़ूर की आमद ! मरहबा 

यासीन की आमद! मरहबा । 

ताहा की आमद ! मरहबा !

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

आमद-ए-मुस्तफ़ा! मरहबा मरहबा

अहमद-ए-मुज्तबा ! मरहबा मरहबा

या शफ़ी – अल-वरा! मरहबा मरहबा

ख़ातमुल-अंबिया ! मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

सुबह तयबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का

सदक़ा लेने नूर का आया है तारा नूर का

 

मैं गदा तू बादशाह भर दे पियाला नूर का

नूर दिन दूना तेरा, दे डाल सदक़ा नूर का

 

तेरी नस्ल-ए-पाक में है बच्चा बच्चा नूर का

तू है ‘ऐन-ए-नूर, तेरा सब घराना नूर का

 

राहत-ए-आमिना ! मरहबा मरहबा

वालिद-ए-फ़ातिमा ! मरहबा मरहबा

 

आमिना के यहाँ शाह-ए-कौन-ओ-मकाँ

आए गुल पड़ गया मरहबा मरहबा।

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

सर पे ताज-ए-शफ़ाअ़त है जिनके वो आज

आ गए मरहबा, मरहबा मरहबा

 

आए प्यारे नबी, हर तरफ़ थी ख़ुशी

चार-सू शोर उठा मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

फूल खिलने लगे, ना’त कहने लगे

हर शजर झूम उठा मरहबा मरहबा

 

चार-सू चाँदनी, हर तरफ़ रौशनी

जा-ब-जा नूर था मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

पुर-नूर है ज़माना सुबह-ए-शब-ए-विलादत

पर्दा उठा है किस का सुबह-ए-शब-ए-विलादत

दिन फिर गए हमारे, सोते नसीब जागे

ख़ुर्शीद ही वो चमका सुबह-ए-शब-ए-विलादत

तेरी चमक दमक से आलम चमक रहा है।

मेरे भी बख़्त चमका सुबह-ए-शब-ए-विलादत

बाँटा है दो जहाँ में तू ने ज़िया का बाड़ा

दे दे हसन का हिस्सा सुबह-ए-शब-ए-विलादत

 

है बड़ा मर्तबा माह-ए-मीलाद का

इसमें क्या शक़ भला मरहबा मरहबा

मुंह उजाला हुआ बोलबाला हुआ

हर मुसलमान का मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

धूम सल्ले-अला की मची चार-सू

आ गए मुस्तफ़ा, मरहबा मरहबा

ताजदारो ! सुनो, मालदारो ! सुनो

आ गए मुस्तफ़ा, मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

दूर अँधेरा हुआ, लो सवेरा हुआ

आ गए मुस्तफ़ा, मरहबा मरहबा

ईद-ए-मीलाद है, किस क़दर शाद है

क़ल्ब ‘अत्तार का, मरहबा मरहबा

 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद 

आया तयबा का चाँद, चमका तयबा का चाँद

 

सरकार की आमद ! मरहबा ! 

दिलदार की आमद ! मरहबा ! 

रसूल की आमद ! मरहबा । 

बोलो नूर की आमद मरहबा 

हुज़ूर की आमद ! मरहबा 

यासीन की आमद मरहबा ।

ताहा की आमद मरहबा।

 

Naat-Khwaan: Aasif Attari 

Lyrics: Muhammad Ilyas Attar Qadri

 

More Rabiul awwal Kalam 

Our Pages

Hamd-E-Baari-T’aala 

Naat-E-Paak         

Rabiul Awwal Mutalliq Kalam

Manqabat Ghaus e Azam

Manqabat Ghareeb Nawaaz

Shayar

Naat Khwan:

         Qawwali