मुझे ज़िन्दगी मे या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
Voice: Mufti Abdullah Bin Abbas
Lyrics: Mufti Taqi Usmani Sab
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मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
जो तुझी से लौ लगा दे, क्यूँ मुझे मेरा पता दे
मेरे अ़हद की ज़बां में मुझे गुमरही अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
बड़ी दूर है अभी तक रगे जान की मसाफ़त
जो दिया है क़ुर्ब तूने, तो शऊ़र भी अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
तेरे दर्द की चमक हो, तेरी याद की कसक हो
मेरे दिल की धड़कनों को नयी बे-कली अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
भरी अन्जुमन में रहकर, ना हूं आशना किसी से
मुझे दोस्तों के झुरमुट में वो बे-कसी अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
मैं सफ़र में सो ना जाऊं, मैं यहीं पे खो ना जाऊं
मुझे जौक़ ओ शौक़ ए मंज़िल की हमा-हमी अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
कहीं मुझको डस ना जायें, ये अंधेरे बिजलियों के
जो दिलों में नूर कर दे वो ही रौशनी अ़ता कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
मुझे तेरी जुस्त-जू हो, मेरे दिल में तू ही तू हो
मेरे क़ल्ब को वो फ़ैज़ ए, दर ए आरफ़ी अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी में या रब सरे बन्दगी अ़त़ा कर
मेरे दिल की बे-ह़िसी को ग़म ए आशिक़ी अ़त़ा कर
मुझे ज़िन्दगी मे या रब
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