ताजदारे हरम हो निगाहे करम लिरिक्स
Tajdare Haram Ho Nigahe Karam By Sabri Brothers, Lyrics in Hindi
कव्वाल: साबरी ब्रदर्स
संगीत रचना: मक़बूल साबरी
शायर: शहज़ादा मिर्ज़ा मुहम्मद हाकिम (1533-85), मुगल बादशाह हुमायूँ के दूसरे बेटे
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सबा तोह़ैय्यते शोकम ब आं जनाब रसां
हदीसे ज़र्रा-ए मिस्कीं ब आफताब रसां
दर आं मक़ाम के आराम गाहे अक़दसे ऊ
ज़िमी बिबोस ओ सलामे मने ख़राब रसां
क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे
डूबे न कभी मेरा सफ़ीना लिख दे
जन्नत भी गवारा है मगर मेरे लिए
ऐ कातिबे तक़दीर मदीना लिख दे
ताजदारे ह़रम हो निगाहे करम ×२
हम ग़रीबों के दिन भी गुज़र जाएंगे
या रसूलल्लाह ब अहवाले ख़राबे मा बिबीं
रु बा ख़क उफ़तादा अम, अज़ शर्म-ओ इसियां दर ज़मीं
मुज़्नबे चूं मन न बाशद दर तमामी उम्मतत
रह़म कुन बर ह़ाले मा या रहमतल्लिल आ-लमी
ताज दारे ह़रम हो निगाहे करम
हम ग़रीबों के दिन भी गुज़र जाएंगे
तोरी प्रीत म सुध बुध सब बि-सरी ×३
ज़ि ह़ाले मिस्कीं मकुन तग़ाफुल
दुराए नैना बनाए बतियां
कि ताबे ह़िजरां न दारम ऐ जां
न लेहु काहे लगाए छतियां
चो शम्मे सोजां चु ज़र्रा ह़ैरां
हमेशा गिरियां ब इश्क़ आंमे
न नींद नैना न अंग चैना
न आप आबै न भेजे बतियां
तोरी प्रीत म सुध बुध सब बि-सरी ×३
कब तक ये रहेगी बे ख़बरी
जो जानेवाले मदीने के हैं सुनें वो ज़रा
शहे मदीना से इतना ज़रूर कह देना
कि एक जख़्मिए तीरे निगेह नज़र जो पड़ा
तड़प-तड़प के वो कहता था या रसूलल्लाह
तोरी पप्रीत म सुध-बुध सब बिसरी × ३
कब तक ये रहेगी से ख़,बरी
या हीमा फ़िग़न दुज़्दीदा नज़र
कभी सुन भी तो लो हमारी बतियां
ताजदारे ह़रम हो निगाहे करम
कहना सबा ह़ुजूर से कहता है इक ग़ुलाम
बस इक नज़र हो एक नज़र का सवाल है
या मुस्तफ़ा ×३
या मुस्तफ़ा य मुज्तबा इरह़म लना इरह़म लना ×३
या मुस्तफ़ा या सैय्यद ×३
मुतह़्हरुन मुनव्वरून
मुतह़्हरुन मुनव्वरून फ़िल बैति वल ह़रम
या….. सैय्यद, अल्लाह ×३
या मुस्तफ़ा या सैय्यद ×३
या मुस्तफ़ा सल्ले अला ×३
या रसूलल्लाह या हबीबल्लाह
फिर गुदड़ियों को लाल दे
जां पत्थरों में डाल दें
हामी हैं मुस्तक़बिल पे हम
ताज़ी सा हम को ह़ाल दे
दावा है तेरी चाह का इस उम्मते गुमराह का
तेरे सिवा कोई नहीं या रहमतुल्लिल आ-लमी
या मुस्तफ़ा
या मुस्तफा सल्ले अला ×३
या मुस्तफा या मुज्तबा इरह़म लना इरह़म लना
दस्ते हमा बे चारारा, दामां तुई दामां तुई
मन आसियम मन आ़जिज़म, मन बेकसम हाले मरह
या शाफ़ए रोज़े जज़ा पुरसां तुई पुरसां तुई
ऐ मुश्क बे ज़म्बर फिशां, ऐ के नसीमे सुब्ह दम
ऐ चारागर ईसा नफस, ऐ मोनिसे बीमारे ग़म
ऐ क़ासिदे फ़रख़ुन्दह पै, तुझको उसी गुल की क़सम
इन्नल दयारी हस्सबा, यौमन इला अरदिद ह़रम
बल्लिग़ सलामी रौ,ज़तन, फ़ी हन्नबीयल मोह़तरम
ताजदारे ह़रम हो निगाहे करम
हम ग़रीबों के दिन भी संवर जाएंगे
ह़ामिए बेकसां क्या कहेगा जहां
आप के दर से ख़ाली अगर जाएंगे
कोई अपना नहीं ग़म के मारे हैं हम
आप के दर पे फ़रयाद लाए हैं हम
हो निगाहे करम वर्ना चौखट पे हम
आप का नाम ले लेके मर जाएंगे
मैकशों आओ-आओ मदीने चलें
आओ मदीने चलें
आओ मदीने चलें ×३
दुख दर्द-ओ-अलम सब कटते हैं
ह़सनैन के सदक़े बंटते हैं
मदीने चलें
आओ मदीने चलें ×
इसी महीने चलें
आओ मदीने चलें
जब साल के क़रीब महीने पहुंच गए
जद्दे में आशिकों के सफ़ीने पहुंच गए
जिनको तलब किया है….×२
जिसे चाहा दर पे बुला लिया
जिसे चाहा अपना बना लिया
ये बड़े करम के हैं फैसले
ये बड़े नसीब की बात है
जिन को तलब किया है मदीने पहुंच गए।
प्यासे थे एक साल के पीने पहुंच गए
पढ़ते हुए दुरुद मदीने पहुंच गए
तजल्लियों की अजब है फ़ज़ा मदीने में
निगाहे शौक की है इन्तहा मदीने में
ग़में ह़यात न ख़ौफे कज़ा मदीने में
नमाज़े इश्क़ करेंगे अदा मदीने में
इधर उधर न भटकते फिरो ख़ुदा के लिए
ब राहे-रास्त है राहे ख़ुदा मदीने में
मदीने चलें
आओ मदीने चलें
मैकशों आओ आओ मदीने चलें
दस्ते साक़ी-ए कौसर से पीने चलें
याद रखो अगर, उठ गई वो नज़र
जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएंगे
ख़ौफ़े तूफ़ान है, बिजलियों का है डर
सख़्त मुश्किल है आक़ा किधर जाएं हम
आप भी गर न लेंगे हमारी ख़बर
हम मुसीबत के मारे किधर जाएंगे
आप के दर से कोई न ख़ाली गया
या रसूलल्लाह या ह़बीबल्लाह
आप के दर से कोई न ख़ाली गया
अपने दामन को भर के सवाली गया
हो ह़बीबे हज़ीं पर भी आक़ा करम
वर्ना औराक़े हस्ती बिख़र जाएंगे
बन्दह परवर निगाहे करम कीजिए
अब न कुछ इम्तहान-ए वफ़ा लीजिए
मुझको इक़रार है मैं गुनहगार हूं
मुझको कमली में अपनी छुपा लीजिए
हो ह़बीबे हज़ीं पर भी आक़ा करम
वर्ना औराक़े हस्ती बिख़र जाएंगे
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