Ya Imam Ul Ambiya Lyrics | या इमाम उल अम्बिया

Ya Imam ul Ambiya Lyrics In Hindi And Eglish

या इमाम उल अम्बिया

 

Ya Imam-Ul-Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

Jab Arsh-Farsh Na Tha

To Rab Ne Kun Kaha!!

Ik Noor Ne Sajda Kiya

Phir Rab Ne Durood Padha!!

Rab Ko Bhi Naaz Hua

Jo Nabi Ko Khalq Kiya!!

Allah Ne Di Ye Sada

Kaha Khud Ko Subhan Allah!!

 

Ya Imam-Ul-Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

Aap Jo Dil Me Samate Hain

Aankh Me Aansu Aate!!

Qaid Jo Log Dukhon me Hon

Aap Hi Aake Bachate Hain!!

Aap Sahara Mere Nabi

Aap Ke Dam Se Saari Khushi!!

Aap Ka Naam Pukara To

Har Koi Mushkil Hai Tali!!

Yehi Baat Khuda Ne Kahi

Yehi Arz o Sama Ne Kahi!!

Hain Zamane Me Sabse Juda

Hain Muhammad Mustafa!!

 

Ya Imam-Ul-Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

 

Ishqe Nabi  ke Phool Khile

Bechaino Ko Chain Mile!!

Aapki Ek Hi Jhalki Se

Ped bhi Jhoome, Sang Hile!!

Ungli  Ke Ek Ishare Se

Chand Hua Tha Do Tukde!!

Aapka Hukm Ata Ho To

Patthar Bhi Qur’aan Padhen!!

 

Dilo Jaan Bhi Aapke Hain

Do Jahan Bhi Aapke Hain!!

So Hamare Labon Pe Sada

Rahe Zikr-e Habib-e-Khuda!!

 

Ya Imam-Ul-Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

Ghaar e Hira Se Noor Utha

Salle Ala Ki Bahi Sada!!

Aur Farishte Ne Ye Kaha

Bismillah Kahen Iqra!!

Kufr Ka Har Ik Butt Toota

Shirk Ka Har Daman Chhota!!

Haar Gaya Har Ik Jhoota

Chand Madine Se Phoota!!

Phir Paigham Muhammad ﷺ  Ka

Saari Duniya Me Faila!!

Arbon Logon Ne Jana

Ek Nabi Hai Ek Khuda!!

 

Ya Imam-Ul-Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

 

Jab Arsh-Farsh Na Tha

To Rab Ne “Kun” Kaha

Ik Noor Ne Sajda Kiya

Phir Rab Ne Durood Padha

Rab Ko Bhi Naaz Hua

Jo Nabi Ko Khalq Kiya

Allah Ne Di Ye Sada

Kaha Khud Ko Subhan Allah

 

Ya Imamul Ambiya

Ya Habib-E-JallallAllah

Ya Haqiat-E-Noor-E-Khuda

Ya Muhammad Sallallah

 

Recited By: Hassan Ali

Written By: Rahman Faris

 

जब अ़र्श फ़र्श ना था
तो रब ने कुन कहा!!
इक नूर ने सजदा किया
फिर रब ने दुरुद पढ़ा!!
रब को भी नाज़ हुआ
जब नबी को ख़ल्क़ किया!!
अल्लाह ने दी ये सदा
कहा खुद को सुब्हान अल्लाह!!

 

या इमामुल अम्बिया
या हबीब-ए-जल-लल्लाह
या हक़ीक़त-ए-नूर-ए-ख़ुदा
या मुहम्मद सल-लल्लाह

 

आप जो दिल में समाते हैं
आंख में आंसू आते हैं!!
क़ैद जो लोग दुखों में हों
आप ही आके बचाते हैं!!
आप सहारा मेरे नबी
आप के दम से सारी खुशी!!
आप का नाम पुकारा तो
हर कोई मुश्किल है टली!!
यही बात ख़ुदा ने कही
यही अर्ज़ो समा ने कही!!
हैं ज़माने में सबसे जुदा
हैं मुहम्मद मुस्तफ़ा!!

 

या इमामुल अम्बिया
या हबीब-ए-जल-लल्लाह
या हक़ीक़त-ए-नूर-ए-ख़ुदा
या मुहम्मद सल-लल्लाह

 

इश्क़-ए-नबी के फूल खिले
बेचैनों को चैन मिले!!
आपकी एक ही झलकी से
पेड़ भी झूमे संग हिले!!
उंगली के एक इशारे से
चांद हुआ था दो टुपड़े!!
आपका हुक्म होता हो तो
पत्थर भी क़ुरआन पढ़ें!!

 

दिल-ओ-जान भी आपके हैं
दो जहान भी आपके हैं!!
सो हमारे लबों पे सदा
रहे ज़िक्र हबीब-ए-ख़ुदा!!

 

या इमामुल अम्बिया
या हबीब-ए-जल-लल्लाह
या हक़ीक़त-ए-नूर-ए-ख़ुदा
या मुहम्मद सल-लल्लाह

 

ग़ार-ए-हिरा से नूर उठा
सल्ले अला की बही सदा!!
और फरिश्ते ने ये कहा
बिस्मिल्लाह कहें इक़रा!!
कुफ्र हर इक बुत टूटा
शिर्क का हर दामन छूटा!!
हार गया हर इक झूठा
चांद मदीने से फूटा!!
फिर पैग़ाम मोहम्मद का
सारी दुनिया में फैला!!
अरबों लोगों ने जाना
एक नबी है एक ख़ुदा!!

 

या इमामुल अम्बिया
या हबीब-ए-जल-लल्लाह
या हक़ीक़त-ए-नूर-ए-ख़ुदा
या मुहम्मद सल-लल्लाह

 

जब अ़र्श फ़र्श ना था
तो रब ने कुन कहा!!
इक नूर ने सजदा किया
फिर रब ने दुरुद पढ़ा!!
रब को भी नाज़ हुआ
जब नबी को ख़ल्क़ किया!!
अल्लाह ने दी ये सदा
कहा खुद को सुब्हान अल्लाह!!

 

या इमामुल अम्बिया
या हबीब-ए-जल-लल्लाह
या हक़ीक़त-ए-नूर-ए-ख़ुदा
या मुहम्मद सल-लल्लाह

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