मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा
Mere Khwaja Maharaja Tu To Saare Jagat Ka Raaja Lyrics
Qawwal: Iqbal Afzal Sabri
साइल खड़े हुए हैं इन्हें दे के टाल दे
इन सब को दे के फिर मेरी झोली में डाल दे।
झूम रहे हैं मस्त क़लंदर
झूम रहे हैं मस्त क़लंदर
कहते हैं जाली को पकड़कर
मोहन मुख की छब दिखला दे
आज तो सोए भाग जगा दे
भीड़ लगी है दीवानों की एक झलक दिखला जा,
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
इख़्तियार और कोइ राह-गुज़र क्यों करता
मैं किसी और त़रफ़ अज़्म-ए सफ़र क्यों करता
जज़्ब-ए-इश्क़ को महरूम- ए-असर क्यों करता
हाल की अपने ज़माने को ख़बर क्यों करता।
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
(तराना)
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
(राग)
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा…
हाजतें लेके जो इस दर पे चले आते हैं
झोलियां अपनी मुरादों से भरी पाते हैं
ख़्वाजा मंगतों से तग़ाफ़ुल नहीं फ़रमाते हैं
सर यहां फ़र्दे अ़क़ीदत से झुके जाते हैंं।
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा…
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा…
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन को अ़ज़मत बख्शी है
गंज-ए शकर को शाने सख़ावत बख़्शी है
ख़्वाजा निजामुद्दीन को बख्शी महबूबी
और साबिर को सब्र की दौलत बख्शी है
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
(तराना)
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन को अ़ज़मत बख्शी है
गंजे शकर को शाने सख़ावत बख़्शी है
ख़्वाजा निजामुद्दीन को बख्शी महबूबी
और साबिर को सब्र की दौलत बख्शी है
फ़ैज़-ओ- करम ख्वाजा का हर दम जारी है
हाल तुझे कहने में क्या दुशवारी है
रो रो कर तू ख़्वाजा से फ़रियाद तो कर
आगे सब ख्वाजा की ज़िम्मेदारी है
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
मेंहदी लगा ले और बांध ले कंगना
आये क़ुत़ब हैं तोरे अंगना
नूर की बारिश होती है दिन रात यहां
शाम सहर है रह़मत की बरसात यहां
ख़्वाजा की चौखट तो ऐसी चौखट है
बन जाती है बिगड़ी हुई हर बात यहां
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
ख़्वाजा का दरबार है ख़्वाजा सबका है
सब का बेड़ा पार है ख़्वाजा सबका है
लुत़्फ़ो करम की बटती है ख़ैरात यहां
बे हक़ भी हक़दार है ख़्वाजा सबका है।
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
ख़ल्क़ खड़ी है ख़्वाजा के दरवाजे पर
भीड़ लगी है ख़्वाजा के दरवाजे पर
दुनिया भर के सारे हाजत-मन्दों की
बात बनी है ख़्वाजा के दरवाज़े पर ।
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
ख़्वाजा का दरबार है ख़्वाजा सबका है
ख़्वाजा का दरबार है, ये तो
ख़्वाजा का दरबार है, ये तो ..
पर्दे उठे हुए भी हैं उनकी नज़र इधर भी है
बढ़ के मुक़द्दर आ़ज़मा सर भी है संगे दर भी है
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है ..
क्यों तरसते हो ख़्वाजा के दीदार को
हाल अपना सुनाओ न सरकार को
इनके कूचे की अज़मत का क्या पूछना
रह़मते ढूंढती हैं गुनाहगार को
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है ..
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है ..
तेरे मयख़्वार ख़्वाजा ये सब्रो रज़ा
इस तरह हामिले बेखुदी हो गए
इबत़िदा जब हुई तो क़लंदर बने
इंतहा यूं हुई बू-अली हो गए
मरहबा मरहबा दर्दे इश्क़े नबी
तेरे दीवानों की हर तरफ़ जीत है
तेरे अदना ग़ुलामों के दरबार में
चोर चोरी को आये और बली हो गए
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है ..
ये तो, ख़्वाजा का दरबार है ..
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
ख़्वाजा का दरबार है ख़्वाजा सबका है
सब का बेड़ा पार है ख़्वाजा सबका है।
हाज़िर होकर अपना अरीज़ा पेश तो कर
फ़िक्र तेरी बेकार है ख़्वाजा सबका है।
नादारों पर, सरदारों से पहले करम
ये ऐसा दरबार है, ख़्वाजा सबका है।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई कोइ भी हो
सबका पालनहार है ख़्वाजा सबका है।
पूरी सबके दिल की मुरादें होती हैं
उस्मानी दिलदार है ख़्वाजा सबका है।
धड़कन धड़कन ख़्वाजा ख़्वाजा रटती है
हर सू जय जय कार है ख़्वाजा सबका है।
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
(मैंने अ़र्ज़ किया:)
दुआ भी मेरी बेअसर हो गई है
खुदा के लिए एक निगाहे करम हो
सदा देते देते शहर हो गई है
दुख ज़दों के मसीहा मुझे भीक दे
मेरा दामन है खाली मुझे भीक दे
(तो सदा आई:)
तुझको लेना ना आए तो क्या भीख दें
हम हैं देने को तैयार, आ भीक ले
मेरे ख़्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
उनकी नज़र में छोटे बड़े का फ़र्क़ नहीं
ये सब को इक़रार है, ख़्वाजा सबका है
साहिल अपनी बख़्शिश का ग़म रहने दे
ख़्वाजा ज़िम्मेदार है, ख़्वाजा सबका है
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
मेरे ख्वाजा महाराजा तू तो सारे जगत का राजा …
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