मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले
Mere Khwaja Haiñ Mere Naaz Uthane Waale Lyrics in Hindi
Qawwal: Iqbal Afzal Sabri
तौहीन-ए-मुहब्बत कभी हम होने न देंगे ,
इस दिल से जुदा ख्वाजा का ग़म होने ना देंगे,
हम सजदों की सौग़ात उन्हें पेश करेंगे,
सर ग़ैर की दहलीज़ पे ख़म होने ना देंगे।
वो हैं उजड़ी हुई दुनियां को बसाने वाले
वो हैं उजड़ी हुई दुनियां को बसाने वाले …
पर्दे उठे हुए भी हैं उनकी नज़र इधर भी है
बढ़ के मुक़द्दर आज़मा सर भी है संगे दर भी है।
वोह हैं उजड़ी हुई दुनियां को बसाने वाले,
वोह हैं उजड़ी हुई दुनियां को बसाने वाले …
जिसको ना यकीं आए वो अजमेर में देख आए
वो हैं उजड़ी हुई दुनिया को बसाने वाले …
वो हैं उजड़ी हुई दुनिया को बसाने वाले,
काम बिगड़े हुए एक पल में बनाने वाले,
ग़म के मारों को कलेजे से लगाने वाले,
क्या बिगाड़ेंगे भला मेरा ज़माने वाले।
मेरे ख़्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले .
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
यह उदास राहे-ए-मंजिल यह मेरी शकस्ता पाई
मैं तो थक के बैठ जाता तेरी याद काम आई
मेरा क्या बिगाड़ लेगा जो खिलाफ़ है ज़माना
मेरे साथ जब है ख़्वाजा मेरे साथ है खुदाई।
मेरे ख़्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
(अपने दोस्त से मुख़ातिब होकर ये गिरह पेश कर रहा हूं)
मैं अगर चला गया तो कभी आऊंगा न वापस
मुझे रोक बढ़ के अब भी मैं यहीं खड़ा हुआ हूं
सरे राह चलते चलते तेरे घर पे आ गया हूं
तू यही समझ रहा है मैं यूं ही गिरा पड़ा हूं
मेरे ख़्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले.
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
(ग़रीब नवाज़ की एक भिकारन जो हुज़ूर ग़रीब नवाज़ पर बहुत नाज़ करती है, और ये दुनिया जो उसकी पड़ोसन है, इस से मुख़ात़िब होकर कहती है:)
ले पड़ोसन झोपड़ा तू तो नित नई करती रार
आधा बगड़ बुहारती, तू सारा बगड़ बुहार।
मेरे ख़्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
(ख़्वाजा अमीर खुसरो र. अ. फ़रमाते हैं:)
काफ़िर-ए-इश्कम मुसलमानी मरा दरकार नेस्त
हर रगे मन तार गश्ता हाजते ज़ुन्नार नेस्त।
(ज़ैबुन निशा साहिबा फ़रमाती हैं:)
अस्सरे बालीने मन बर ख़ेज़े ऐ नादां तबीब
दर्दमन्द-ए इश्क़ या दारू ब-जुज़ दीदार नेस्त
क्यूं के
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले.
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
यह तदबीर-ए मुसलमानी के मन खुद रा न मी दानम
न अज़ तरसा यहूदीयम के मन खुद रा न मी दानम
मकानम ला मकां बाशद निशानम बेनिशां बाशद
न तन बाशद न जां बाशद के बाशद इश्क़-ए जानानम
हुवल अव्वल हुवल आख़िर हुवज़्ज़ाहिर हुवल बातिन
बजुज़ याहू व या मन हूं दिगर चीज़े न मी दानम
मेरे ख़्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
कामिल अकमल न सही तेरा सगे दर ही सही
कम से कम तेरे ग़ुलामों में तो नाम आयेगा
और होंगे वोह जिन्हें फ़िक्र-ए क़यामत होगी
मेरे ख्वाजा का वसीला मेरे काम आयेगा।
क्यूं के
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले.
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
ख़ुद ही पछताएंगे एक रोज़ सताने वाले,
जो हैं कांंटे मेरी राहों में बिछाने वाले,
सर नगू होंगे मेरे सर को झुकाने वाले,
खून रोएंगे मेरे दिल को दुखाने वाले
क्यूं के
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले.
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
मुईनुद्दीन ख़्वाजा कार साज़े
ग़रीबम यक नज़र बन्दा नवाज़े
दरे ख़्वाजा इबादत गाहे आ़लम
हज़ारां आशिक़ां हर दम नमाज़े
निज़ामी, साबरी, चिश्ती, फ़रीदी
असीरे हल्क़ा-ए-ज़ुल्फ़े दराज़े
चे ग़म अफ़ज़ाल मैदान-ए क़यामत
बा रोज़े ह़श्र ख़्वाजा कार साज़े।
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले.
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
अहले दुनिया से मुझे कोई सरोकार नहीं,
मैं ज़माने की किसी शै का त़लबगार नहीं,
मैं किसी और के जलवों का परस्तार नहीं,
कोई ख़्वाजा के सिवा मेरा खरीदार नहीं,
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले .
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले …
वक़्फ़-ए ख़्वाजा है मेरा दिल भी और मोह़ब्बत मेरी
अब लगाए जो लगा सकता हो क़ीमत मेरी।
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले .
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले …
मोह़ब्बत और उसकी बेक़रारी
मोहब्बत और उसकी ताजदारी
न लूं देकर मोह़ब्बत को दो आ़लम
मोह़ब्बत है मेरी परवरदिगारी।
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले .
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले …
संसार हर को पूजे गुर को जगत सराहे
काबे में कोई ढूंढे काशी में कोई चाहे
गुईयां मैं अपने पी के पैय्यां पड़ूं न काहे
हर क़ौम-ओ-मिल्लते रा दीने ब क़िबला गाहे
मन क़िबला रास्त करदम बर सम्त़ कज कुलाहे।
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले .
मुंह की खाएंगे मेरे दाम लगाने वाले …
आरज़ू है कि सदा हाज़िरे दरबार रहूं,
और ख्वाजा की मोहब्बत में गिरफ्तार रहूं,
उम्र भर मैं दरे ख्वाजा का नमक ख्वार रहूं,
गुलशन ए चिश्त में बिस्मिल गुले गुलज़ार रहूं,
मुझ निकम्मे को हैं सरकार निभाने वाले .
मुझ निकम्मे को हैं सरकार निभाने वाले …
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले …
मेरे ख्वाजा हैं मेरे नाज़ उठाने वाले ..
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