खोटा सिक्का हूं इसी दर पे पड़ा रहने दो

खोटा सिक्का हूं इसी दर पे पड़ा रहने दो

Khota Sikka Huñ Isi Dar Pe Pada Rahne Do (Manqabat) Lyrics in Hindi

Qawwal : Iqbal Afzal Sabri

 

English Lyrics

दिखा कर जल्व-ए-आ़ला मुईनुद्दीन चिश्ती का
बनाया इश्क़ ने शैदा मुईनुद्दीन चिश्ती का

मुबारक हो तुम्हें ऐ वाइज़ो हूरो मलक जन्नत
हमें काफ़ी है दरवाजा मुईनुद्दीन चिश्ती का

खोटा सिक्का हूं इसी दर पे पड़ा रहने दो ..

खोटा सिक्का हूं इसी दर पे पड़ा रहने दो ..

खोटा सिक्का हूं इसी दर पे पड़ा रहने दो,
खंजर ए इश्क मेरे दिल में गड़ा रहने दो,

छोटी क़िस्मत का ये एह़सास बड़ा रहने दो,
पांव में बेड़ियां हाथों में कड़ा रहने दो,

मुझको ख्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो.

 

मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..
मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..

 

उसको ख़ुद ही लाज होगी जिसका कहलाता हूं मैं,

मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..
मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..

 

ज़ाहिद तो बख्शे जाएं, गुनाहगार मुंह तकें,
ऐ रहमत-ए-खुदा तुझे ऐसा ना चाहिए.

बाग़े बहिश्त से मुझे हुक्में सफ़र दिया था क्यों
कारे जहां दराज है अब मेरा इंतिज़ार कर.

 

मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..
मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..

 

वो मुजस्सम करम वोह वह सरापा अ़ता
यह समझ कर किए जा रहा हूं ख़ता.

 

मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..
मुझको ख़्वाजा की अदालत में खड़ा रहने दो..

 

मैं तुम्हारा हूं नहीं काम ज़माने भर से,
खींच लाई है सख़ावत की ये शोहरत घर से,
ये वोह सौदा है जो जाएगा ना हरगिज़ सर से,
अपनी तक़दीर बना कर ही उठूंगा दर से,

 

मैं हूं दीवाना मुझे ज़िद पे अड़ा रहने दो.
मैं हूं दीवाना मुझे ज़िद पे अड़ा रहने दो ..

 

मैं हूं दिवाना, मैं हूं दिवाना …दिवाना
मैं हूं दिवाना .. दिवाना

दिवाना- दिवाना, दिवाना-दिवाना, दिवाना-दिवाना .. दिवाना ..

दीवाना- दीवाना, दीवाना-दीवाना, दीवाना-दीवाना .. दीवाना ..

दीवाना … दीवाना …. दीवाना

 

हो, मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना
मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना

हो, मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना
रे मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना

 

रसूले पाक ने ख़्वाजा पिया, जो ढाली हो,
वह जिसको आपने बग़दाद से मंगा ली हो,

क़ुतब फ़रीद के हाथों ने जो उछाली हो,
निज़ामी रंग हो और साबरी प्याली हो,

पिला दे थोड़ी सी लेकिन इसी क़रीने से ।

क्यों आरज़ू-ए-सागर-ओ-मीना ना करूंगा
तौबा से मुझे ज़िद है के तौबा ना करुंगा ।

 

रे मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना
रे मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना

 

(ख़्वाजा के दीवाने को बरोज़े क़यामत:)

फ़रिश्ते खुदा की अदालत में जब ले गए
तो, गुनाहों के दफ़्तर भी हमराह लिए,

कहा फिर ख़ुदा से के सुन ऐ ख़ुदा
ये शैतानी बातों में मसरूफ़ था

तेरा हुक्म पाकर पकड़ लाए हैं
ये हाज़िर है मुलज़िम जकड़ लाए हैं,

सजा और जज़ा का तू मुख़्तार है
खड़ा दस्त-बस्ता गुनाहगार है,

 

(कहा फिर ख़ुदा ने के)

किस बात का मलाल है क्यों चुप खड़ा है तू
सौदाई होके इस तरह सहमा हुआ है तू ।

मैं जानता हूं उम्मते ख़ैरुल वरा है तू
पूछा जो मुझसे हश्र में क्या चाहता है तू ।

 

तो फ़ौरन मेरी ज़बां से फक़त ये निकल गया,
कि, मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना

 

मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

मैं दीवाना तुम्हारा, मुझको ज़ंजीरों से क्या मत़लब
मुझे काफ़ी तुम्हारी गेसू-ए-पेचीदा पेचीदा ।

ये पड़ी है क़ैदे ज़नदां, वोह पड़ी हैं बेड़ियां,
जिसमें हिम्मत हो वोह बढ़कर रोक ले जाता हूँ मैं ।

 

मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

दीवाना- दीवाना, दीवाना- दीवाना, दिवाना-दिवाना .. दीवाना ..

दीवाना- दीवाना, दीवाना- दीवाना, दिवाना-दिवाना .. दीवाना ..

दीवाना … दीवाना …

दीवाना- दीवाना, दीवाना- दीवाना, दिवाना-दिवाना .. दीवाना ..
ख्वाजा का दिवाना …

मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

चिश्त नगर में धूम मची है
ख़्वाजा पिया की आज छटी है

फूल हुसैनी बाग़ से आए
ग़ौसुल आज़म ने मंगवाए

ख़्वाजा उस्मां गूंध के लाए
ख़्वाजा क़ुतुब है झंडा उठाए

बाबा फ़रीद हैं वज़्द में आए
निजामुद्दीन और साबिर गाएं।

 

मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

हो मैं तो दिवाना …
हो मैं तो दिवाना …

मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

मेरा जीवन तो ग़ुजरा है मेरे ख़्वाजा के आंगन में
जहन्नुम दर बग़ल, कलमा ब लब, जन्नत है दामन में ।

 

रे मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना ..
ये मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना ..

 

कुछ होश भी है दस्ते जुनूं, देख क्या हुआ
दामन तक आ गया है गरीबां फटा हुआ ।

सबके तो गरीबां सी डाले अपना ही गरीबां भूल गए।

क्योंकि,
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

 

आसी हूं बख़्श देने को उसने कहा तो है
जन्नत मुझे मिले ना मिले आसरा तो है,

मक़बूल वोह करे न करे मेरी बंदगी
उनको बिठा के सामने सज्दा किया तो है ।

मैं तो दीवाना … ख़्वाजा का दीवाना ..
मैं तो दीवाना … ख्वाजा का दीवाना ..

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