Main To Khwaja Khwaja Jaanu Re Manqabat Lyrics in Hindi
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे मनक़बत लिरिक्स
Qawwal : Iqbal Afzal Sabri
मोइनुद्दीन हसन आलम पानाहे
ब सू-ए मा ग़रीबां यक निगाहे
ब ह़क़्क़े ख्वाजा-ए- उस्माने हारुन
निगाहें खुसरबा-ए- खूबां निगाहे।
तेरी क़ुरबत तेरी निस्बत़ अच्छी लगती है
दीवानों को ये ही जन्नत अच्छी लगती है,
आगे तेरी बंदा नवाज़ी आगे तू जाने
मुुझ को तेरे दर की ख़िदमत अच्छी लगती है।
नूर ए खुदा का जलवा देखा मैंने इस दर्पण में
नूर ए खुदा का जलवा देखा मैंने इस दर्पण में,
मैं क्या जानू दीन धर्म को कौन पड़े उलझन में
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
दीन धरम है मेरा ख्वाजा ख्वाजा मेरा स्वामी है
उसकी दया का अंत नहीं है ख्वाजा अंतर्यामी है।
दीन दुखी को चैन मिला है ख्वाजा के आंगन में,
मैं क्या जानू दीन धर्म को कौन पड़े उलझन में।
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो नगर नगर मैं तो डगर डगर
इशक़ां दी आग लगाती चली,
तौबा की कुंडी हाथ में ली,
कलमे की भभूत भी तन से मली,
और ख्वाजा के रोग में गाती चली
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
ख़्वाजा मेरा चांदी सोना ख़्वाजा मेरा गहना है,
मैं ख्वाजा की ख्वाजा मेरा दुनिया से क्या लेना है,
जित देखूं ख्वाजा को देखो ऐसे बसे नैैैनन में,
मैं क्या जानू दीन धर्म को कौन पड़े उलझन में,
मैं तो ख़्वाजा ख़्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
दीवाने की नज़रों को जहां देख रहा है
दीवाना खुदा जाने कहां देख रहा है,
सब पागल पागल कहते हैं उस यार का हूं मैं दीवाना,
तुम भी ना पागल हो जाओ गर देख लो हुसने जानाना।
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
हम अहले दर्द ग़मे खुशगवार को तरसे
सुकूं मिला तो दिले बेक़रार को तरसे,
तेरे सिवा जो किसी और की तलब हो मुझे
मेरी निगाह तेरे इंतज़ार को तरसे,
खूबियां सारे ज़माने की ज़माने को मिलें
मेरी तक़दीर में अल्लाह करे तू हो जाए।
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
तेरी जोगन आन पड़ी है ख़्वाजा तेरे गांव में,
सारी उमरिया कट जाए धौले गुंबद की छांव में,
सांझ सवेरे सीस नवाऊं मैं तोरे चरनन में,
मैं क्या जानू दीन धर्म को कौन पड़े उलझन में,
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे …
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
पलकन की चिक डाल के सो पलक मूंद तोहे लूं
ना मैं देखूं और को न मैं तोहे देखन दूं।
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
मैं तो ख्वाजा ख्वाजा जानू रे .. ख्वाजा ख्वाजा ..
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