Mope Daya Karo Maharaja Khwaja Lyrics in Hindi
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
Qawwal: Iqbal Afzal Sabri
साहब जी सुल्तान जी तुम बड़े ग़रीब नवाज़
अपनी करके राखियो सो बांह पकड़े की लाज।
फक़ीर मांगने शाहों के दर पर जाते हैं
यहां तो शाह भी बनकर फक़ीर आते हैं।
तोरे चरण में आन पड़ी हूं रख ले मोरी लाज
ऐ उस्मां के राज दुलारे वलियों के सरताज।
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा
दया करो महाराज ..
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा
दया करो महाराज ..
अलख निरंजन तेरे जैसा कोई नहीं है ख़्वाजा
मौला अली के राज दुलारे खोल ज़रा दरवाज़ा
मेरी रसाई तेरे चरन तक, तेरा जगत पे राज
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा दया करो महाराज ..
देस अरब से आया चलके
शाहे उमम का भेस बदल के
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा
दया करो महाराज .
जब तक तेरे करम का सदक़ा नहीं मिलेगा
दिन रात तेरा बन्दा तुझ से यही कहेगा
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा
दया करो महाराज ..
मौला अ़ली के राज कुंवर बीबी ज़हरा के जाये
कब से खड़ी हूं तोरे अंगना दामन को फ़ैलाए
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
जनाबे फ़ातिमा की चादर-ए-ततहीर का सदक़ा
जो असग़र के गले में छिद गया उस तीर का सदक़ा
जनाबे आबिद-ए-बीमार की ज़ंजीर का सदक़ा
और अपने पीर-ओ-मुर्शिद ख़्वाजा-ए-उसमान का सदक़ा.. बस,
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मोपे दया करो महाराजा ख़्वाजा
दया करो महाराजा ख़्वाजा..
दया करो महाराजा ख़्वाजा..
ख़्वाजा मुहीयुद्दीन का सदक़ा
ख़्वाजा क़ुतुबुद्दीन का सदक़ा
शेख फरीजुद्दीन का सदक़ा
साबिर अलाउद्दीन का सदक़ा
ख़्वाजा निज़ामुद्दीन का सदक़ा
खुसरो, नसीरुद्दीन का सदक़ा
ख्वाजा शमसुद्दीन का सदक़ा
ग़ौस क़ुतुब अब्दाल का सदक़ा
पीराने उज़्ज़ामान का सदक़ा
दे अपने ख़ुद्दाम का सदक़ा
ख़्वाजा
दया करो महाराजा ख्वाजा..
दया करो महाराजा ख्वाजा..
ख़्वाजा जी तोरी नगरी में मेरो आदर करे न कोय
दुर दुर करें सहेलियां मैं मुड़ मुड़ देखूं तोय
ख़्वाजा
दया करो महाराजा ख्वाजा..
दया करो महाराजा ख्वाजा..
हरकस वसीला दारद-ओ-मा-बेवसीला ए
मारा वसीला नेस्त बजुज़ आस्ताने तो
ख़्वाजा
दया करो महाराजा ख्वाजा..
दया करो महाराजा ख्वाजा..
त़ालिब हूं नवाज़िश का किसी त़रह नवाज़ो
गर रहम के लायक नहीं ठोकर ही लगा दो
अब
दया करो महाराजा ख्वाजा..
दया करो महाराजा ख्वाजा..
हुज़ूर ख़्वाजा मोईन-ए-आलम
धड़कते दिल का पयाम ले लो
तुम्हारे क़दमों में आए आगए हैं
बग़ैर दााम ओ ग़ुलाम ले लो
अलख निरंजन तेरे जैसा कोई नहीं है ख्वाजा
मौला अली के राज दुलारे खोल ज़रा दरवाज़ा
मेरी रसाई तेरे चरन तक, तेरा जगत पे राज
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा दया करो महाराज ..
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
चू सगम कमीना सगाने तो
व ज़े जुमला बे क़द्र अव्वले
व दरब के जुज़ दरा ता के तौ
व दरे दिगर गुज़रे ना शुद
अब दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मैं दुखियारी दर्द की मारी कुछ भी नहीं है पास
मूझ दुखिया की तुम बिन ख्वाजा कौन सुने अर्दास
चाहे दर दर भीक मंगाओ
चाहे धरो सर ताज
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मोपे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
अलख निरंजन तेरे जैसा कोई नहीं है ख्वाजा
ऐ उस्मां के राज दुलारे खोल ज़रा दरवाज़ा
ख्वाजा
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा ..
खोल ज़रा दरवाज़ा,
हिन्द नगर में तेरे जैसा कोई नहीं है राजा
सोना का तो जकड़ है सर पर, चांदी का दरवाज़ा
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख़्वाजा
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा ..
झुकाए सर खड़े हैं तेरे दर पे तेरे मतवाले
ये वोह हैं जिनके दिल में रोते रोते पड़ गए छाले
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा ..
(सरगम)
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा
खोल ज़रा दरवाज़ा, ख्वाजा ..
सब मुझ पे सितम ढा लें ये ज़ुल्मों सितम वाले,
मैं शौक से तड़पूंगा सब शौक से तड़पा लें
दसतूर मुह़ब्बत का छोड़ा है ना छोड़ूंगा,
अजमेर की गलियों को छोड़ा है ना छोड़ूंगा
मुह ख्वाजा की उल्फ़त से मोड़ा है ना मोड़ूंगा.
दुनिया है मेरी दुश्मन जीने न मुझे देगी,
दो घूंट अक़ीदत में पीने ना मुझे देगी।
मैं साबरी बन्दा हूँ क़ायल हूँ वफ़ाओं का,
किस त़रहे करुं शिकवा दुनिया की जफ़ाओं का।
पैमाने वफ़ा पूरा करने का इरादा है,
ख़्वाजा की अक़ीदत में मरने का इरादा है।
दुनिया है मेरी दुश्मन जीने ना मुझे देगी,
दो घूंट अक़ीदत से पीने ना मुझे देगी।
इस जीने से क्या हासिल बेहतर है कि मर जाऊं,
इस तरह़ ज़माने में कुछ नाम तो कर जाऊं।
जब चार के कंधों पर उठ्ठेगी मेरी मईय्यत
हो जाएगा हंगामा चीखेगी सभी ख़लक़त।
अजमेर की गलियों में जब गुजरेगा जनाज़ा,
बोलूंगा कफन फाड़ के
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा.
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा..
तुमरी भिकारन है दुखियारी
दे दो मुरादें मन की सारी
फ़िरूं मैं कब तक मारी मारी
बुरी भली हूं जैसी, तिहारी
खोल ज़रा दरवाज़ा.
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा..
अपने सीने में लिए सोज़-ए-दवाम आए है हैं
पेश करने को अक़ीदत का सलाम आए हैं
तेरे दरबार में साबिर के ग़ुलाम आए हैं
खोल ज़रा दरवाज़ा.
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा..
इस निशानी के कभी सग नहीं मारे जाते
उम्र भर मेरे गले में रहे पट्टा तेरा
हाथ फैलाने में मौहताज को ग़ैरत क्या है
शर्म इतनी है के कहलाता हूं बंदा तेरा
खोल ज़रा दरवाज़ा.
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा..
ऐ सर्वे नाज़नीन-ए-मन अज़ मन चे दीदई
यक बार मेहरे अज़ मने मिसकीं बुरीदई
आरे बा सीमो ज़र हमा-कस बन्दा मी शमज़
मा बन्दा-ए-तो एम के बे-ज़र ख़रीदई
दुआ भी मेरी बेअसर हो गई है
मेरी ज़िन्दगी पुरख़तर हो गई है
खुदा के लिए एक निगाहे करम हो
सदा देते देते ख्वाजा, सहर हो गई है
खोल ज़रा दरवाज़ा.
ख्वाजा खोल ज़रा दरवाज़ा..
तोरे चरण में आन पड़ी हूं रख ले मेरी लाज
मो पे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मो पे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
मो पे दया करो महाराजा ख्वाजा
दया करो महाराज ..
- Comment में राय दीजिए
- Share कीजिए
Urdu, Hindi And English lyrics
| Naat-E-Paak|
Khalid Mahmud ‘Khalid’ | Allama Saim Chishti | Bedam Warsi | Ajmal Sultanpuri Naat | Ala Hazrat Naat | Akhtar Raza Khan| Raaz Ilaahabadi | Muhammad Ilyas Attari | Sayyad Nazmi Miyan
| Qawwali |
| Sabri Brothers | Nusrat Fateh Ali Khan | Rahat Fateh Ali Khan | Iqbal Afzal Sabri | Aziz Miyañ |Nazir Ejaz Faridi | Ghous Muhammad Nasir | Maulvi Ahmad Hasan |