Ishrat Se Mujhe Kaam Lyrics In Hindi
Voice: Mufti Abdullah Bin Abbas
Lyrics: Mufti Muhammad Taqi Usmani
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या अल्लाह,या रहमान, या रह़ीम, या करीम
या ग़फ़ूरो, या शकूरो, या वदूदो, या मजीद
मौला मौला मौला मौला
मौला मौला मौला मौला
अल्लाह ……..
इशरत से मुझे काम ना दुनिया ए तरब से
देखा है निहां ख़ाना ए दिल आंख ने जब से
नज़दीक वो इतने थे के बस मिल गए दिल में
था गरम ए सफ़र जिनके लिए जान में कब से
गर जुम्बुश ए मिजगां करिश्मा है ये दुनिया
क्या धूम मचेगी तेरी इक जुम्बिश ए लब से
इशरत से मुझे काम ना दुनिया ए तरब से
देखा है निहां ख़ाना ए दिल आंख ने जब से
ऐ जुलमत ए हालात से जी छोड़ने वालो
पौ फ़टती है हर रोज़ इसी सीना ए शब से
ख़ुशियों के मुक़द्दर में है सदमों की रफ़ाक़त
कांटे ये सदा देते हैं फूलों के अक़ब से
इशरत से मुझे काम ना दुनिया ए तरब से
देखा है निहां ख़ाना ए दिल आंख ने जब से
अल्लाह रे चेहरे पे ये एजाज़ ए मोह़ब्बत
रंग और निखर आता है कुछ रंज-ओ-तअ़ब से
दो गाम चले थे के नज़र आ गई मंज़िल
मर्कब कोई बेहतर ना मिला तरके त़लब से
इशरत से मुझे काम ना दुनिया ए तरब से
देखा है निहां ख़ाना ए दिल आंख ने जब से
पल भर में वो अफ़साना ए दिल कह गयीं आंखें
बरसों में भी जिसको ना सुना पाऊं मैं लब से
ऐ सुब्हो को तनवीर ए शफ़क़ देखने वालो
फूटा है ये असल में क़ुरबानी ए शब से
क्या कम है ये एजाज़ के उस बज़्म में, आसीं
है ज़िक्र मेरा ज़ालिम-ओ-नादां के लक़ब से
इशरत से मुझे काम ना दुनिया ए तरब से
देखा है निहां ख़ाना ए दिल आंख ने जब से
Ishrat Se Mujhe Kaam Na Hindi
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