Garm Reti Pa Main Lyrics
गर्म रेती पा मैं गिरता हूं संभालो अम्मां
हाय अस्र का वक़्त है शब्बीर की आती है सदा
चूर ज़ख्मों से बदन हो गया अम्मां मे
अपनी आगोश में अब मुझको छुपा लो अम्मां
अरे धूप है अपनी अबा आन के डालो अम्मां
गर्म रेती पा मैं गिरता हूं संभालो अम्मां.
थक गया लाश उठाकर मैं भरे लश्कर की
लाश क़ासिम की मैं लाया हूं कभी अकबर की
खुद बनाई है लहद मैंने अली असग़र की
दो तसल्ली मुझे सीने से लगा लो अम्मां
गर्म रेती…..
तीर तलवार से खंजर से बदन ज़ख़्मी है
ख़ाक जलती है तो ज़ख्मों पे चुभन होती
मेरे ज़ख्मों से मेरे दिल का लहू जारी है
अपनी चादर को मेरे ज़ख़्मों पे डालो अम्मां
गर्म रेती……….
मेरा अब्बास ख़फ़ा हो गया अम्मां मुझसे
वो नहीं आया उठा लाया था बाज़ू उसके
आप इक काम करें नहर कनारे जाके
मेरे रूठे हुए भाई को मना लो अम्मां
गर्म रेती…….
चक्कियां पीसी हैं गोदी में बिठा कर मुझको
जागती रहती थी ज़ानूं पे सुला कर मुझको
लोरियां देती थीं झूले में झुला कर मुझको
इक दफ़ा गोद में फिर अपनी सुला लो अम्मां
गर्म रेती ..….
और कुछ देर का मेहमान हूं तुम पास रहो
रेत ज़ख़्मों में है आंचल से उसे साफ़ करो
आती है रोने की आवाज़ सकीना देखो
जाओ तुम जाके सकीना को संभालो अम्मां
गर्म रेती…..
देखो वो आग़ लगी शाम-ए-ग़रीबां
देखो घबरा के निकल आई मेरी मां जाई
देखो बेहोश सकीना का पड़ा है भाई
जाओ सज्जाद को शोलों से निकालो अम्मां
गर्म रेती……….
है गुज़ारिश मेरी तुमसे तो अब इतनी माद
अम्मां, बाबा की क़सम ढांक लो मुंह पर चाद
देखा जाएगा ना अब तुमसे ये खूनी मंज़र
क़त्ल होता हूं निगाहों को हटा लो अम्मां
गर्म रेती………..
होगी जब हश्र के मैदान में मजलिस बर्पा
फ़र्श-ए-ग़म शह का बिछायेंगी जनाब-ए-ज़
आयेंगी हज़रत-ए-शब्बीर की रेहान सदा
आज जी खोल के तुम अश्क बहा लो अम्मां
गर्म रेती………
Noha Khwan: Nadeem Sarwar
Garm Reti Pa Main Lyrics
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