आफताबे रिसालत मदीने में है कव्वाली लिरिक्स
Aftabe Risalat Madine mein hai Qawwali by Sabri Brothers Lyrics in Hindi
कव्वाली: साबरी ब्रदर्स
कलाम: नसीम अजमेरी
फिल्म: सुल्ताने हिंद
देहली तो दुल-हन बनी दूल्हा निजामुद्दीन
सरे हिन्द के बादशाह ख्वाजा मोइनुद्दीन
सब्ज़ गुम्बद का मंज़र है पेशे नज़र
हो ..
आ …
सब्ज़ गुम्बद का मंज़र है पेशे नज़र
याद तैबा की आती है अजमेर में
आफताब ए रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत मदीने में है
और किरन जगमगाती है अजमेर में
और किरन जगमगाती है अजमेर में
आफताबे रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत
मेरे ख्वाजा का नूरानी गुम्बद
चांदनी में नहाया हुआ है
सादा सादा सा रौज़े का मंज़र
हर नज़र में समाया हुआ है
नामे ख्वाजा में ऐसी कशिश है
इक ज़मने पे छाया हुआ है
भरली उसने मुरादों से झोली
जिस पे दामन का साया हुआ है
आप के सम्त उठती है जो भी नज़र
आ…
आप के सम्त उठती है जो भी नज़र
आप के सम्त उठती है जो भी नज़र
मुद्दआ़ अपना पाती है अजमेर में
आफताब ए रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत मदीने में है
और किरन जगमगाती है अजमेर में
और किरन जगमगाती है अजमेर में
आफताबे रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत
आप सुल्ताने हिंद, ख्वाजा ए ख्वाजगां
आप बेशक हैं सब के लिए मेहरबां
रोज़ बनते हैं बिगड़े मुक़द्दर यहां
चशमाए फैज़ है आपका आस्तां
दर पे आएं न दीवाने
दर पे आएं न दीवाने क्यूं सर के बल
दर पे आयें
आ …
दर पे आएं न दीवाने क्यूं सर के बल
दर पे आयें न दीवाने क्यूं सर के बल
जब अकी़दत बुलाती है अजमेर में
आफताब ए रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत मदीने में है
और किरन जगमगाती है अजमेर में
और किरन जगमगाती है अजमेर में
आफताबे रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत
दर पे इक बांझ औरत ने की इल्तिजा
मेरी औलाद हो जाए तो बा खुदा
ख्वाजा बच्चे को चौखट पे लाउंगी मैं
देग अजमेर आकार चढ़ाउंगी मैं
रब से ख्वाजा पिया ने जो की फिर दुआ
हो गया पूरा उसका जो ये मुद्दआ़
लेके बच्चे को आयी वो अजमेर में
हादसा उसपे गुज़रा ये कुछ देर में
साथ उनके सहेली थी आयी हुई
जब चढ़ी देग़ तो पास थी वो खड़ी
गोद में उसकी बच्चा था हंसता हुआ
देग़ में गोद से वो उछल कर गिरा
रो पड़ी कह के वो, हाय बच्चा मेरा …
रख लो …. फ़िर लाज
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
हो…..
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
साहब जी, सुल्तान जी, तुम बड़े ग़रीब नवाज़
अपनी करके राखियो सो बंह-पकड़े की लाज
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
साहब जी, सुल्तान जी, तुम बड़े ग़रीब नवाज़
अपनी करके राखियो सो बांह-गहे की लाज
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
साहब जी, सुल्तान जी, तुम बड़े ग़रीब नवाज़
अपनी करके राखियो सो बांह-गहे की लाज
शब्बीरो-शब्बर के लिए
मासूम असग़र के लिए
शब्बीरो-शब्बर के लिए
मासूम असग़र के लिए
सजदे में जो सर कट गया
लिल्लाह उस सर के लिए
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
आ …
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
मुहम्मद ﷺ पे जो उतरा है उसी कु़रआन का सदक़ा
मुहम्मद ﷺ पे जो उतरा है उसी कु़रआन का सदक़ा
तुम्हे अपने पीरो मुर्शिद ख्वाजए उसमान का सदका़
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
ख्वाजा पिया …
ख्वाजा जी
ख्वाजा पिया आ आ आ
ख्वाजा पिया
आ …
मोरे ख्वाजा
मोरे ख्वाजा जी
ख्वाजा जी
इन चुरियों की लाज पिया रखना
इन चुरियों की लाज पिया रखना
ये तो पहन लयीं अब उतरत ना
ये तो पहन लयीं अब उतरत ना
मोरी लाज सुहाग तुम्हैं से है
मोरी लाज सुहाग तुम्हैं से है
मैं तो तुम्हैं पे जुबना लुटा बैठी
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
रखलो फिर लाज दुखिया की ख्वाजा पिया
आ ..
रखलो फिर लाज दुखिया
दुखिया, दुखिया, दुखिया,
दुखिया की ख्वाजा पिया
जो दुआ़ओं से ख्वाजा की पैदा हुआ
देग कैसे जलाती उसे फिर भला
आंच उसपर न आयी ख़ुदा की क़सम
आंच उसपर न आयी ख़ुदा की क़सम
रख लिया मेरे ख्वाजा ने उसका भरम
हां, रख लिया मेरे ख्वाजा ने उसका भरम
मेरे ख्वाजा की अदना करामत है ये
मेरे ख्वाजा की अदना करामत है ये
जो नज़र रोज़ आती है अजमेर में
आफताब ए रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत मदीने में है
और किरन जगमगाती है अजमेर में
और किरन जगमगाती है अजमेर में
आफताबे रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत
चश्में रहमत से जिस दम .. इशारा हुआ …
डूबती काश्तियों को किनारा मिला …
आपने बेकासों को सहारा दिया ….
चश्मे बेनूर को भी नजारा दिया
भूके प्यासों पे ऐसी …. निगाहे करम …
अल्लाह..
रोज़ जारी है लंगर ख़ुदा की क़सम
क्यूं ना महके भला फैज़ का गुलसिताँ
क्यूं ना महके भला
आ …
क्यूं ना महके भला फैज़ का गुलसिताँ
क्यूं ना महके भला फैज़ का गुलसिताँ
खुश्बू तैबा से आती है अजमेर में
आफताब ए रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत मदीने में है
और किरन जगमगाती है अजमेर में
और किरन जगमगाती है अजमेर में
आफताबे रिसालत मदीने में है
आफताबे रिसालत
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
आ …
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
मदीने में, मदीने में है
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