कव्वाल: साबरी ब्रदर्स
शायर: कौसर
क़ुर्बान मैं उनकी बख़्शिश के
मक़सद भी ज़ुबां पर आया नहीं
बिन मांगे दिया और इतना दिया
दामन में हमारे समाया नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
इतनी मेरी औकात नहीं
ये तो करम है उनका वर्ना
मुझ में तो ऐसी बात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
तू भी वहीं जा जिस दर पे
सबकी बिगड़ी बनती है
एक तेरी तक़दीर बनाना
उनके लिए कुछ बात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
इश्क़े शहे बतहा से पहले
मुफ़लिसो ख़स्ता हाल था मैं
नामे मोहम्मद के मैं क़ुरबां
अब वो मेरे हालात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
जिक्रे नबी में जो दिन गुजरे
वो दिन सबसे अच्छा है
यादे नबी में रात जो गुज़रे
उस से अच्छी रात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
मुनकिर है जो उनकी अ़ता का
वो ये बात बताए तो
कौन है वो जिस के दामन में
उस दर की खै़रात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको
ग़ौर तो कर सरकार की तुझ पर
कैसी ख़ास इनायत है
कौसर तू है उनका सना ख़्वां
ये मामूली बात नहीं
जितना दिया सरकार ने मुझको