सब वलियों में सबसे आला रुत़बा ग़ौसे आज़म का
Sab Waliyon Me Sabse Aala Rutba Lyrics In Hindi
नात ख़्वा: कौसर-ओ-तसनीम
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सब वलियों में सबसे आला रुत़बा ग़ौसे आज़म का
सब वलियों की गर्दन में है पट्टा ग़ौसे आज़म का
शेर ए बबर की आंख में आंखें डाल के बातें करता था
दुबला पतला बैठा था जो कुत्ता ग़ौसे आज़म का
एक पल में इमदाद को मेरी वो बग़दाद से आते हैं
मुश्किल में जिस वक़्त लगाया नारा ग़ौसे आज़म का
सत्तर क्या लाखों के घर इफ़्तार करें तो हैरत क्या
रब ने बनाया ही ऐसा है रुत़बा ग़ौसे आज़म का
लाख ज़माना करवट बदले लाख हवाएं ज़ुल्म चलें
चलता था, चलता है, चलेगा सिक्का गौसे आज़म का
उनका आशिक़ खुल्द बरी से दूर रहेगा क्यों अन्सार
खुल्द बरी का जब मालिक है नाना ग़ौसे आज़म का
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