सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम Lyrics | Sadqa e Haram Rakh Lena Bharam
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
तुम भी नहीं हमको ठुकराना
हम दुनिया के ठुकराए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
अब सारे सहारे टूट चुके
हमें अपने पराए लूट चुके
तुम अपनी पनाहों में ले लो
हम ग़म से बहुत घबराए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
अश्कों की ज़बां पहचानते हो
जो दिल में है वो जानते हो
हम कह नहीं सकते तुम सुन लो
बस हाथों को फैलाए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
हर सूनी गोदी खिल जाए
हर बेटी को रिश्ता मिल जाए
उन चेहरों को रौनक़ दे दो
जो ग़म के सबब मुरझाए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
मौला तुम बाब-ए-हवाइज हो
रौज़े पे उन्हें भी बुलवा लो
गुर्बत के सबब जो आ ना सके
हम उनके अरीज़े लाए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
खा-खा के तमाचे रोती है
ज़िन्दां की ख़ाक सोती है
बुझ जाए प्यास सकीना की
हम आंख में आंसू लाए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
दरबार सख़ी अब्बास का था
कुछ मांगना था लाज़िम मांगा
लेकिन ये हक़ीक़त भी है क़मर
हम पुर्सा देने आए हैं
अब्बास… अब्बास …
या अबल फ़ज़ल अब्बास
सक़्क़ा-ए-हरम रख लेना भरम
हम दर पे तुम्हारे आए हैं
Noha Khwan: Mohammed Abbas Karim
Poetry: Nayyar JalalPuri & Qamar Hasnain
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