भीख सरकार से मांगते हैं Lyrics

भीख सरकार से मांगते हैं लिरिक्स | मनक़बत हुज़ूर ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह

कव्वाल: मौलवी अहमद हसन अख़्तर

Hindi | English

इलाही ता ब अबद आस्ताने यार रहे

ये आसरा है ग़रीबों का बर क़रार रहे

 

भीख सरकार से मांगते हैं, है तरीक़े तलब आ़जिज़ाना

आस्ताने का सदक़ा अता हो, हक़ सलामत रखे आस्ताना

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

बाद‌ मुद्दत के तो तक़दीर यहां लायी है

ख़ाली इस दर से पलटना बड़ी रुसवाई है

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

ग़रीब हमको ख़ुदा ने किया तुम्हारे लिए

हमारे वास्ते तुमको किया ग़रीब नवाज़

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

ग़रीब हमको ख़ुदा ने किया तुम्हारे लिए

हमारे वास्ते तुमको किया ग़रीब नवाज़

बड़ी उम्मीद से हाज़िर हुआ हूं चौखट पर

के मैं ग़रीब हूं, ख़्वाजा का दर ग़रीब नवाज़।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

येे कह रहा है मुक़द्दर मेरा, मेरे ख़्वाजा

बिगड़ गया हूं बना दो मुझे ग़रीब नवाज़

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

मैं गिर रहा हूं संभालो मुझे ग़रीब नवाज़

बढ़ा के हाथ उठा लो मुझे ग़रीब नवाज़

ग़रीब जान के हर इक ने मुझको टाल दिया

तुम अपने दर से ना टालो मुझे ग़रीब नवाज़, ख़्वाजा

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

मुझे कुछ नहीं, मुझको तेरी शरम है

तुम्हीं सोंच लो क्या कहेगा ज़माना

सख़ी दर से ख़ाली जो मैं लौट जाऊं

तो बदनाम होगा तेरा आस्ताना। ..

 

मैं ख़ुद सोंचता हूं भला क्या मैं मांगू

समुन्दर से मांगू मैं शबनम का क़तरा

मुझे शर्म आती है ख़ुद मांगते को

कहां मेरी झोली, कहां ये ख़ज़ाना..

 

मेरी बेकसी पर ज़रा रहम खाना

न दो कुछ भी लेकिन न दर से हटाना

मुक़द्दर बदलने को हम बेकसों के

सलामत रहे बस तेरा आस्ताना

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

तेरा नाम पाक मुइनुद्दीन

तू रसूले पाक की आल है

तेरी शान ख़्वाजा ए ख़्वाजगां

तुझे बेकसों का ख़याल है

 

मैं गदाए ख़्वाजा ए चिश्त हूं…

 

कोई किसी का, कोई किसी का

मैं गदाए ख़्वाजा ए चिश्त हूं

मुझे इस गदाई पे नाज़ है..

 

मुझे नाज़ ख़्वाजा पे क्यूं न हो

मेरा ख़्वाजा बन्दा नवाज़ है

 

मेरा बिगड़ा बख़्त संवार दे

मेरे ख़्वाजा मुझको नवाज़ ले

तेरी इक निगाह की बात है

मेरी ज़िन्दगी का सवाल है।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

न वो बुतकदे के क़ाबिल, न हरम के काम के हैं

जो बदे हुए हैं सजदे तेरे संग ए आस्तां से

 

हर कस वसीला दारद ओ मा बे वसीला ए

मारा वसीला नेस्त बजुज़ आस्ताने तो.

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

सख़ी और भी हैं लेकिन ये जहान छान मारा

हुआ मंगतों का आख़िर तेरे दर पे ही गुज़ारा.

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

चाराग़ ए चिश्त, शह ए औलिया ग़रीब नवाज़

मेरे हुज़ूर मेरे पेशवा ग़रीब नवाज़।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

लगा के आया हूं मैं आस या ग़रीब नवाज़

भरेगा कौन ये दामन मेरा ग़रीब नवाज़.

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..13:00

 

ये दीवानों के सजदे संग ए दर पर रंग लाए हैं

के बन कर रह गया है एक तस्वीर ए जुनू वो भी

 

 

आज घबरा के दीवाने कहने लगे

छोड़ कर तेरा दामन किधर जाएंगे ..

मेरे ख़्वाजा पिया मुझको छोड़ा गया

तेरी चौखट से टकरा के मर जाएंगे

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

अब किसके दर पर जाएं हम,

किसको सुनाएं हाल ए ग़म

बरसों से करते आए हैं, हम तेरे दर की चाकरी

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

हसरत है ये आइंदा अगर दे न तो अब कुछ दे

मांगू ना … मैं मांगू ना.. मांगू ना..

 

साईल तो हजारों हैं, हज़ारों में मैं यकता हूं

 

मांगू ना दोबारा, इतना तू मुझे देदे

ख़्वाहिश न हो फिर लेने की, इतना तू मुझे दे दे

कब तक मैं कहे जाऊं, दे दे तू मुझे दे दे

ऐ दस्त ए तलब देना है, तो जल्दी से मुझे दे दे

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

हसरत है ये आइंदा अगर देना है तो अब कुछ दे

असबाब ए ख़ला देकर, सामान ए तलब कुछ दे

उक़बा का नहीं वादा, देना है तो अब कुछ दे

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

आए तेरे हुज़ूर में रहमत की भीख मांगने

रहमत की भीख मांगने

रहमत की भीख मांगने…

 

आए तेरे हुज़ूर में रहमत की भीख मांगने

टूटे दिलों का आसरा तेरे सिवा कोई नहीं

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

रहे अस्तां सलामत, रहे बरक़रार शाही

के तुम्हारे नाज़ पर है, ये हमारी कजकुलाही

 

परवरदिगार ओ शाफए महशर का वास्ता

उस्मान जांनशीन ए पयंबर का वास्ता

मुश्किल कुशा ओ फातहे ख़ैबर का वास्ता

अकबर की जां नवाज़ अज़ानों का वास्ता

अब्बास के कटे हुए शानों का वास्ता

कुलसूम के खुले हुए बालों का वास्ता

 

कुलसूम के खुले हुए बालों का वास्ता

शब्बीर के जले हुए ख़ैमे का वास्ता

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

साहिब सख़ी हैं, ख़ुद भी सख़ी, हैं पिसर सख़ी

वल्लाह! फ़ातिमा का है सब घर का घर सख़ी

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

जब तुम न सुनोगे तो मेरी कौन सुनेगा

जब तुम न करोगे तो करम कौन करेगा

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

सुनते हैं तेरे दर पे बदलती हैं किस्मतें

आए हैं हम भी अपना मुक़द्दर लिए हुए

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

दर दर ख़राब ओ ख़स्ता फिरा लेके इल्तिजा

लेकिन चला न मंज़िल ए मक़सूद का पता

आख़िर तेरे करम ने पुकारा इधर तो आ

हाज़िर हुआ उधर मैं ये देता हुआ सदा, ख़्वाजा

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

निगाह ए लुत्फ़ से क़िस्मत संवार दो मेरी

ये बिगड़ी, और किसी के नहीं बनाने की

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

दे दे कुछ आज सख़ी गंज ए शकर का स़दका़

ख़ाली इस दर से पलटना बड़ी रुसवाई है।

 

खड़ा हूं रौज़ए अक़दस की जालियां पकड़े

न अब दुआ की ज़रूरत है, ना सवालों की।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

या आज सर नहीं, या आस्ताने यार नहीं।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

करम कर दो, करम कर दो सख़ी ख़्वाजा मुईनुद्दीन

अनायत की नज़र कर दो सख़ी ख़्वाजा मुईनुद्दीन।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

तू सखी इब्ने सख़ी ऐ ख़्वाजा ए अजमेर है

फिर तेरे दरबार में मेरे लिए क्या देर है।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

तेरे सदक़े, तेरी खैरात के वारी जाऊं

तेरे सदक़े, सदक़े, सदक़े..

तेरे सदक़े, सदक़े, सदक़े..

 

तेरे सदक़े तेरी खैरात के वारी जाऊं

झोली हर एक की बे मांगे भरी देखी है।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

तू वो मुम्बए अ़ता है, के पुकार उठा ज़माना

वो करम नवाजियां कीं, के करम का क्या ठिकाना।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

आज अजमेर वाले ख़्वाजा हिन्दल वली

कमली वाले का स़दका़ दिए जा रहे हैं

कमली वाले का स़दका़ दिए जा रहे हैं…

 

ख़्वाजा उस्मान का है ये लुत्फ़ ओ करम

के ग़रीबों के दामन भरे जा रहे हैं ..

 

आप के दर की मुझको गदाई मिली

ख़्वाजा तुम जो मिले, बादशाही मिली

नायब ए मुस्तफा आपकी शान है

दोनों आलम का स़दका़ दिए जा रहे हैं।

 

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो .. अ़ता हो..

 

भीख सरकार से मांगते हैं, है तरीक़े तलब आ़जिज़ाना

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो, हक़ सलामत रखे आस्ताना।

 

बेनियाज़ ए तलब आज कर दो

झोलियाँ हम ग़रीबों की भर दो

दर से ख़ाली अगर फिर गए हम

क्या कहेगा भला फिर ज़माना..

 

मैं हूं अनवर मेरी लाज रखिए

मैं हूं खोटा मुझे ना परखिए

सदक़ा आले मुहम्म्द ﷺ का मुझपर

हो करम की नज़र जाविदाना..

 

भीख सरकार से मांगते हैं, है तरीक़े तलब आ़जिज़ाना

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो, हक़ सलामत रखे आस्ताना

आस्ताने का सदक़ा अ़ता हो …

 

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