अल्लाह दिखा काबे की झलक | Allah Dikha Kabe Ki Jhalak Lyrics

अल्लाह दिखा काबे की झलक | Allah Dikha Kabe Ki Jhalak Lyrics

 

काबा दिखा दे मौला
काबा दिखा दे मौला

 

मुश्ताक़ नज़र, पुर-नम है पलक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक
करता हूँ नज़र अश्कों की चमक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

काबे की तजल्ली दिल पे पड़े
सब मैल मेरे दिल के यूँ धुलें
दिल नूर से तेरे जाए चमक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

महवर है जहाँ भर का काबा
मंज़र भी सुहाना है इसका
हैं इस पे फ़िदा सब इन्स-ओ-मलक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

मैं हज भी करूँ, उम्रा भी करूँ
अल्लाह ! मदीने में ही मरूँ
मौला ! तू दिखा तयबा की सड़क
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

जब पहली नज़र काबे पे पड़े
दुख-दर्द सभी दामन से झड़ें
और दिल से मिटे ‘इस्याँ का तिलक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

मुद्दत से कमाल अपनी है दुआ
जब सामने रौज़े के हूं खड़ा
दिख जाए मुझे आक़ा की झलक
अल्लाह ! दिखा काबे की झलक

 

Recited by: Madni Raza Attari
Poet: Abdul Kamal Attari

 

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