ग़म सभी राहत ओ तस्कीन में ढल जाते हैं नात ए पाक के लिरिक्स हिंदी और अंग्रेजी में
शायर: ख़ालिद महमूद ‘ख़ालिद’
ग़म सभी राहत ओ तस्कीन में ढल जाते हैं
(अस्ल मिसरा ये है–
ग़म तमानीयत ओ तस्कीन में ढल जाते हैं)
जब करम होता है हालात बदल जाते हैं।
ग़म सभी राहत ओ तस्कीन में ढल जाते हैं….
उनकी रहमत है ख़ता-पोश गुनहगारों की
खोटे सिक्के सरे बाज़ार भी चल जाते हैं।
इस्म ए अहमद का वजीफा है हर इक ग़म का इलाज
लाख ख़तरे हों इसी नाम से टल जाते हैं।
आपके ज़िक्र से इक कैफ़ मिला करता है
और जितने भी हैं असरार वोह खुल जाते हैं।
अपनी आगोश में लेलेता है जब उनका करम
ज़िन्दगी के सभी अंदाज़ बदल जाते हैं।
इश्क़ की आंच से दिल क्यूं न बनेगा काबा
इश्क़ की आंच से पत्थर भी पिघल जाते हैं।
रख ही लेते हैं भरम अपने करम के सदक़े
जब किसी बात पे दीवाने मचल जाते हैं।
दम निकल जाए तेरी याद में फिर हम भी कहें
लिल्लाहिल हम्द, लिए हुस्न ए अमल जाते हैं।
आ पड़े हैं तेरे क़दमों में ये सुन कर हम भी
जो तेरे क़दमों में गिरते हैं संभल जाते हैं।
उम्मत ए अहमद ए मुख़्तार नहीं हो सकते
और हैं और! जहन्नुम में जो जल जाते हैं।
मुत्मइन होंगे, मगर देख के जल्वा उनका
हम नहीं वोह, जो खिलौनों से बहल जाते हैं।
आप को काबा ए मक़सूद ही मानूं ख़ालिद
आप के दर पे सब अरमान निकल जाते हैं।
याद उनकी बदल उनका नहीं होने पाती
हिज्र के शाम ओ सहर, प्यार में खल जाते हैं।
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