आ गए मुस्तफा पढ़ो सल्ले-अ़ला कव्वाली लिरिक्स

आ गए मुस्तफा पढ़ो सल्ले-अ़ला कव्वाली लिरिक्स

Aa gaye Mustafa Qawwali by Rahat Fateh Ali Khan Lyrics in Hindi

 

कव्वाल: उस्ताद राहत फतेह अली ख़ान

English Lyrics


जश्न ए ईद ए मीलाद ए नबी मुस्तफा

रहमतों का है लेकर पयाम आ गया

उसपे मेरे ख़ुदा का करम हो गया

जिसके लब पे मोहम्मद का नाम आ गया

 

विलादत ए रसूलल्लाह

विलादत ए हबीबल्लाह

विलादत ए नबीअल्लाह

मरहबा! मरहबा! आ गए हैं नूरअल्लाह

 

विलादत ए रसूलल्लाह

विलादत ए हबीबल्लाह

विलादत ए नबीअल्लाह

आ गए मुस्तफा

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

आमना जी के घर में उजाला हुआ

आज पैदा मेरा कमली वाला हुआ

अहमद ए मुज्तबा कि विलादत हुई

आज खै़रुल वरा की विलादत हुई

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

विलादत ए रसूलल्लाह

विलादत ए हबीबल्लाह

विलादत ए नबीअल्लाह

मरहबा! मरहबा! आ गए हैं नूरअल्लाह

 

हर तरफ नूरी नूरी फिज़ां हो गई

महकी-महकी मोअ़त्तर हवा हो गई

बुत गिरे और आतिश-कदा बुझ गया

आ गए, आ गए, वो हाबीबे ख़ुदा

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

रौशनी दीने फ़ितरत की लाई गई

राह इंसां को सीधी दिखाई गई

अब जहां से बुतों की ख़ुदाई गई

हर किसी को ख़बर ये सुनाई गई

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

नेक बन्दों में जाहो हशम बांटने

गुलकदों में बहार ए इरम बांटनें

हम से मंगतों में लुत्फ़ ओ करम बांटनें

आए अपने पराए का ग़म बांटनें

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

था ज़माने में छाया कुफ़र चार सू

बज़्म ए दुनियां में थी ना कोई रंग ओ बू

आप के आने से रौनकें आ गईं

हर तरफ रहमतें बरकतें छा गईं

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

आप के नूर से है मुनव्वर जहां

हैं दरख़्शां सितारे, रवां कहकशां

दो जहां आज हैं जग-मगाए हुए

मेरे आक़ा हैं तशरीफ़ लाए हुए

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

मुस्तुफ़ा जाने रहमत नबी आ गए

सब की करने शफ़ाअ़त नबी आ गए

आज जश्ने चरागां मनाओ सभी

दोनों आलम की ज़ीनत नबी आ गए

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

जगमगाने लगे, ये जहां, वो जहां

उनके आने से चमके ज़मीं आसमां

ग़ुंचा ग़ुंचा बना गुल-फ़शां गुल-फ़शां

हर तरफ़ रहमतें बेकरां बेकरां

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

लाए तशरीफ़ सुल्तान ए कौन ओ मकां

ताजदार ए हरम, सैय्यद ए मुरसलां

राह ए हक़ में नहाने लगे दो जहां

बोले जिबरील काबे से देकर अज़ां

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

दोनों आलम पे करने को चश्मे करम

आ गए मुस्तफा ताजदारे हरम

कमली वाले नबी सैय्यद ए मोहतरम

आए आक़ा ग़रीबों का रखने भरम

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

 

विलादत ए रसूलल्लाह

विलादत ए हबीबल्लाह

विलादत ए नबीअल्लाह

आ गए मुस्तफा

पढ़ो सल्ले-अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!

पढ़ो सल्ले अ़ला सय्यदी मरहबा! मरहबा!


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