आमद ए मुस्तफा मरहबा कव्वाली लिरिक्स
Aamad e Mustafa Marhaba Qawwali By Rahat Fateh Ali Khan Lyrics in Hindi
कव्वाल: राहत फतेह अली ख़ान
शायर: पुरनम इलाहाबादी
आज पैदा हुए सय्यद-ए-बहरोबर
कुफ्र थर्रा गया बुत गिरे टूट कर
नूर छिड़का गया अर्श से फर्श तक
कर के दीदार कहने लगी हर नज़र
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
लाए तशरीफ़ जिस दम हबीबे खुदा
अर्शियों ने कहा फर्शियों ने कहा
सय्य्दी मुर्शदी या नबी मुस्तफा
आप है बाखुदा सय्यदुल अमबिया।
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
कुफ्र चीखा रसूल-ए-खुदा आ गए
वालिए दो सरा मुस्तफा आ गए
आप आए तो आतिशकदे बुझ गए
बेक़रारो को जैसे क़रार आ गया।
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
कट गई शाम-ए-फुरक़त सवेरा हुआ
देखो तशरीफ़ ले आए खै़रुलवरा
जिनके जलवो से चमकेगा ग़ार-ए-हिरा
दो जहाँ मिल के पढ़ते हैं सल्लेअला।
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
कट गई शाम-ए-फुरक़त सवेरा हुआ
देखो तशरीफ़ ले आए खै़रुलवरा
जिनके जलवो से चमकेगा ग़ार-ए-हिरा
दो जहाँ मिल के पढ़ते हैं सल्लेअला।
आमद-ए-मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
(सरगम)
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
टूट के बुतकदे के सनम गिर गए
आप आए तो काबे के दिन फिर गए
अर्श पे बारहा ये खुदा ने कहा
आप लारैब हैं शाह-ए-अर्ज़-ओ-समा
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
सल्लेअला पुकारो सरकार आ गए है
उट्ठो ए बेसहारो सरकार आ गए है
महबूब-ए-दोजहाँ की ताज़ीम लाज़मी है
झुक जाओ चाँद तारो सरकार आ गए है
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
(सरगम)
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
आपके गिर्द काबा रहा घूमता
चाँद झूले में पांव रहा चूमता
हुरें झूला झुलाती रहीं आपका
नूर से आपने जग को चमका दिया
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
ग़म के मारों का आक़ा नबी आ गया
बेसहारो का दाता नबी आ गया
आप ने सफरी मुर्दों को ज़िन्दा किया
आप शाह-ए-ज़मां मालिक ए दो सरा
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला सय्य्दी
रसूलों के सरदर तशरीफ़ लाए
मुबारक हो सरकार तशरीफ़ लाए
बनाया जिन्हें अपना महबूब ह़क़ ने
वो दिलबर, वो दिलदार तशरीफ़ लाए
जो अल्लाह के बाद मुख़्तार-ए-कुल हैं
वो मालिक वो मुख़्तार तशरीफ़ लाए
जो दिन रात रोते थे उम्मत की ख़ातिर
वो उम्मत के ग़मख़्वार तशरीफ़ लाए
मददगार हैं जो ज़माने में सबके
वो सबके मददगार तशरीफ़ लाए
है महका हुआ जिन से बाग़-ए-दो-आलम
वही जान-ए-गुलज़ार तशरीफ़ लाए
जिन्हें प्यार करता है पुरनम ज़माना
जिन्हें सबसे है प्यार तशरीफ़ लाए
मुस्तफा आ गए मुजतबा आ गए
जाऊं कुरबां मेरे रहनुमा आ गए
सारे खुशियां करो सब चराग़ां करो
देखो देखो वो सल्लेअला आ गए
आमदे मुस्तफा मरहबा
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
मरहबा सल्ले-अला-सय्य्दी
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