रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए, क़व्वाली लिरिक्स हिंदी व अंग्रेज़ी में
क़व्वाल: उस्ताद नुसरत फतेह अली ख़ान
या रब ब तुफ़ैल ए रसूलुस्स-क़-लैन
या रब ब तुफ़ैल ए फ़ातहे बद्र ओ हुनैन
इसियाने म-रा दो हिस्सा कुन, दर अराफ़ात
नीम ए ब-हसन, व बख़्श नीम ए ब-हुसैन।
जो तेरी रहमत का मुन्किर हो वोह मेरा दिल नहीं
मांगना जिसको ना आए वोह कोइ साइल नहीं
ऐ करम परवार करम, मेरे गुनाहों पे न जा
रहम के काबिल हूं मैं इंसाफ़ के क़ाबिल नहीं।
ज़ुबां पर जब मुहम्मद मुस्तुफा ﷺ का नाम आता है
बड़ी तस्कीन होती है, बड़ा आराम आता है
मुहम्मद मुस्तुफ़ा ﷺ का नाम भी क्या इस्म ए आज़म है
जहां कोई न काम आए वहां ये काम आता है।
अल्लाह की हम जल्वागरी देख रहे हैं
या हुस्न ओ जमाल ए म-द-नी देख रहे हैं
जिस वक़्त पढ़ो सल्ले अला आले मुहम्मद ﷺ
समझो के रसूल ए अ-र-बी देख रहे हैं।
हरगिज़ न ग़ुरूर से, ग़ज़ब से बैठो
दरबार ए मुहम्मद ﷺ में अदब से बैठो।
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए
कमली वाले की महफ़िल सजी है
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए, झूमर सजाए
रहमत का झूमर सजाए
रहमत का झूमर सजाए…
ए वोह आ गए मोहम्मद ﷺ
रहमत का झूमर सजाए
रहमत का झूमर सजाए…
करम बनकर, वफ़ा बनकर, सखा बनकर, अ़ता बनकर
ख़ुदा का नूर उतरा आसमां से मुस्तफा बनकर
रहमत का झूमर सजाए
रहमत का झूमर सजाए..
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए
कमली वाले की महफ़िल सजी है
मुझको महसूस ये हो रहा है
उनकी महफ़िल में जलवागरी है …
आशिक़ो तुम अगर चाहते हो…
आशिक़ो तुम अगर चाहते हो
हो ज़ियारत दर ए मुस्तुफ़ा की
हो ज़ियारत दर ए, दर ए मुस्तुफ़ा की
हो ज़ियारत दर ए, दर ए मुस्तुफ़ा की..
हो ज़ियारत मुझे दर ए मुस्तुफ़ा की
हो ज़ियारत मुझे दर ए मुस्तुफ़ा की..
मज़ा तब है के अब यूंही बसर हो
हरम में शाम, तैयबा में सहर हो
इबादत हो तो इतनी मोअ़तबर हो
मेरा सर हो नबी का संग ए दार हो…
दर ए आक़ा पे ऐसे जां निकले
ज़ुबां पर नाम गुम्बद पर नज़र हो
मेरी आहों में या रब ये असर हो
यहां तड़पू मदीने में खबर हो
यूं, दर ए मुस्तुफ़ा की
हो ज़ियारत मुझे दर ए मुस्तुफ़ा की..
इलाही आरज़ू ए दीदा ए पुरनम निकल जाए
निकल जाए म-आले कोशिश ए पैहम निकल जाए
भरोसा किस को है, क्या जाने किस दम, दम निकल जाए
इलाही मेरे दिल से फ़िक्र ए पेंच ओ ख़म निकल जाए
मुहम्मद ﷺ या मुहम्मद ﷺ कहते कहते दम निकल जाए
यूं, दर ए मुस्तुफ़ा की
हो ज़ियारत मुझे दर ए मुस्तुफ़ा की..
आशिक़ो तुम अगर चाहते हो
हो ज़ियारत दर ए मुस्तुफ़ा की
दिल की जानिब निगाहें झुका लो
सामने मुस्तुफ़ा की गली है। …
वास्ता सय्यद ए करबला का
वास्ता सय्यद ए करबला का
वास्ता सय्यद ए, सय्यद ए करबला का
वास्ता सय्यद ए, सय्यद ए करबला का …
हर इक को मिल रहा है तेरे बैतुल-माल का स़दका़
नबुव्वत की ज़ाक़ा से सब्र ओ इस्तक़लाल का स़दका़
तसद्दुक़ मुर्तज़ा का, मुर्तज़ा की आ़ल का स़दका़
अ़ता हो कुछ मुझे भी फातिमा के लाल का स़दका़।
सय्यद ए करबला का
वास्ता सय्यद ए, सय्यद ए करबला का …
दर पर बुला फ़कीर को हसरत का वास्ता
तुझको तेरे करम, तेरी रहमत का वास्ता
मौला अली के सदक़े में मुश्किल हो हल मिरी
खैरुन्निसा की इज़्ज़त ओ अज़मत का वास्ता
मेरी बिगड़ी भी बना सदका हसन नामे हुसैन
कर करम ख़ातून ए जन्नत फ़ातिमा का वास्ता।
कर करम, कर करम
कर करम, कर करम…
कर करम ख़ातून ए जन्नत फ़ातिमा का वास्ता
शामत ए आमाल से गो हो चुका हूं रू सिजा
देख तू अपने करम को, मेरे एबों पर न जा
जाहिदों को नाज़ है अपने मता ए ज़ोहद पर
मुझको काफ़ी है फ़क़त तेरे करम का वास्ता
या शफी उल मुज़्नबी, ऐ चारा साज़ ए दो जहां
मैं ख़ता की इन्तहा हूं, तू अ़ता की इन्तहा
अच्छा नहीं, खोटा हूं मैं, खोटे को निभा ले
गर तुम न संभालो तो मुझे कौन संभाले।
सय्यद ए करबला का
वास्ता सय्यद ए, सय्यद ए करबला का …
वास्ता सय्यद ए करबला का
वास्ता फ़ातिमा की रिदा का,
मेरी झोली भी सरकार भर दो
आपने सब की झोली भरी है। …
वोह समां कैसा ज़ीशान होगा…
वो समां, वो समां, वो समां, वो समां, वो समां, वो समां,
कैसा ज़ीशान होगा वोह समां
कैसा ज़ीशान होगा वोह समां…
गए तो और भी लेकिन न ता-अर्श ए बरीं पहुंचे
हरीम ए नाज़ में बस रहमतल्लिल आलमी पहुंचे
शब ए मेराज जब वोह ख़ास पर्दे के करीं पहुंचे
सदा पर्दे से आती थी के आओ तुमसे क्या पर्दा!
कैसा ज़ीशान होगा वोह समां
कैसा ज़ीशान होगा वोह समां …
महशर में वोही जिन्स ख़रीदेगा मुहम्मद ﷺ
जिस जिन्स का कोई भी ख़रीदार न होगा।
कैसा ज़ीशान होगा वोह समां
कैसा ज़ीशान होगा वोह समा …
वोह समां कैसा ज़ीशान होगा
जब ख़ुदा मुस्तुफ़ा से कहेगा,
अब तो सज्दे से सर को उठा लो
आपकी सारी उम्मत बड़ी है।
मुझको फ़िक्र ए शफाअ़त हो क्यूं कर
दो करीमों का साया है सर पर
इक तरफ रहमत ए मुस्तफ़ा है
इक तरफ़ लुत्फ़ ए मौला अ़ली है।
रुख़ पे रहमत का झूमर सजाए
कमली वाले की महफ़िल सजी है।
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