या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

Ya Fatima Zahra Tumhen Bachchon ki Qasam Lyrics

 

छुड़वा दो हमें ग़म से यही वक़्त ए करम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

औलाद की नेमत से हैं महरूम जो मांए
बे शीर के झूले वो करती हैं दूआएं
उम्मीद ए करम आपका ही बाब ए करम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

हर रंज-ओ-बला दूर रहे है यही फ़रियाद
शब्बीर के मातम के लिए वो रहे आबाद
अब्बास ए अलमदार का जिस घर पे अलम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

रिज़वान ओ मलाइक हैं पले आपके दर से
क्यूँ बन्दा ए मोमिन भला फिर रिज़क़ को तरसे
हातिम का नहीं ये तो दर ए शाहे उमम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

सज्जाद के सदक़े उसे आज़ाद करा दे
सुग़रा के तसद्दुक़ उसे अपनों से मिला दे
मोमिन जो कोई क़ैद में बे ज़ुर्मों सितम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

देना है मुझे आपको शब्बीर का पुरसाह
बीबी मुझे जल्दी से बुला लीजे मदीना
सांसे ये बताती हैं के अब वक़्त भी कम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

खुशियों की तलब आप से ना की है ना करेंगे
हम आपकी मर्ज़ी पे रज़ामन्द रहेंगे
दरकार हमें आपसे शब्बीर का ग़म है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

है मेरी दुआ आप से ऐ मलका ए जन्नत
सर अपना उठाकर चले वो ताबाह क़यामत
जिस जिस की जबीं आपकी दहलीज़ पे ख़म हैं
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

 

ऐ कुफ़वे अली जल्द उन्हें कुफ़व अत़ा कर
अरसे से हैं बैठी हुई कुछ बेटियां घर पर
इस बात का मां-बाप को हर वक़्त अलम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

 

मेहदी से लहद आपकी देखी नहीं जाती
अब पर्दा ए ग़ैबत से उन्हें भेज दो बीबी
ये मेरी दुआओं में दुआ सबसे अह़म है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

 

ये कहते हैं बीमार के मिम्बर से दुआ दो
तुम ज़ाकिर ए सरवर हो शिफ़ा हमको दिला दो
बीबी तेरे हाथों में तकल्लुफ का भरम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

 

Recited by: Mir Hassan Mir
Poet: Mir Takallum

 

ya fatima zahra tumhe bachho ki qasam lyrics in hindi


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