पीरों का पीर है रौशन ज़मीर है क़व्वाली लिरिक्स
क़व्वाल: उस्ताद अ़ज़ीज़ मियां
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बिदे दस्त ए यकीं ऐ दिल बदस्ते शाहे जीलानी
के दस्ते ऊ बुअद अन्दर हकीक़त दस्ते ए यज़दानी
अलीने दस्तगीर ए ग़ौसुल आज़म क़ुतुब ए रब्बानी
हबीब ए सैय्यद ए आलम ज़हे महबूब ए सुब्हानी
निशान ए शान ए बेचूनी बयान ए सिर्रे मतमूनी
बसीरत मिस्ल ए पैग़म्बर बसूरत मुर्तुज़ा सानी
पीराें का पीर है, पीराें का पीर है…
पीराें का पीर है, पीराें का पीर है…
वाे मेरा पीर है, वाे मेरा पीर है
वाे मेरा पीर है, वाे मेरा पीर है..
पीराें का पीर है,
रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सबका दस्तगीर है।
वाे मेरा पीर है, वाे मेरा पीर है
वाे मेरा पीर है, वाे मेरा पीर है..
मैं क़ादरी हूं शुक्र है रब्ब ए क़दीर का
दामन है मेरे हाथ में पीराने पीर का
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
अल्लाह रे! फ़ैज़ ए आम दर ए दस्तगीर का
सदका जहां में बटता है पीराने पीर का
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
कामिल नबी के बाद, बुरों को संभालना
हिस्सा है सिर्फ हज़रत ए पिराने पीर का
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
पीरों का पीर है,
रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सबका दस्तगीर है
पीरों का पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्त..शाह ए जीलां
सबका दस्त.. ग़ौसुल आज़म
सबका दस्त.. मीरे मीरां
सबका दस्त.. अब्दुल कादिर
सबका दस्त.. शाह ए जीलां
सबका दस्त.. ग़ौसुल आज़म
सबका दस्त.. मीरे मीरां
सबका दस्त.. अब्दुल कादिर
सबका दस्त.. शाह ए जीलां
सबका दस्तगीर है
पीरों का पीर है,
रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सबका दस्तगीर है
हम अपने आप को जिनका फ़क़ीर कहते हैं
जहां में उनको शहे बेनज़ीर कहते हैं
नबी के नूर से पुरनूर उनका सीना है
इसी लिए उन्हें रौशन ज़मीर कहते हैं
ग़ुलाम ए ग़ौस है, आज़ाद कर दिया तुझको
क़बर में मुझसे ये मुनकिर नकीर कहते हैं।
पीरों का पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्तगीर है
ना मैं हुकूमत मांगूँ,
ताजे शाही न मांगूं
मांगू तो किसके दर से, तेरा मुरीद होके
तेरा मुरीद होके
तेरा मुरीद होके…
ना मैं हुकूमत मांगूँ,
ताजे शाही न मांगूं
मांगू तो किसके दर से, तेरा मुरीद होके
गौस सख़ावत तेरी सबसे बेनज़ीर है
पीरों का पीर है,
रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्त…शाह ए जीलां
सबका दस्त.. गऊसुल आज़म
सबका दस्त.. मीरे मीरां
सबका दस्त.. अब्दुल कादिर
सबका दस्त.. शाह ए जीलां
सबका दस्तगीर है
पीरों का पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्तगीर है
सहराई कफ़नी पहने, आया है दर पे रहने
दो ग़ज़ ज़मीन देदो, अपना ग़ुलाम कह दो
अपना ग़ुलाम कह दो
अपना ग़ुलाम कह दो
शाह ए जीलां.. अपना ग़ुलाम कह दो..
सहराई कफ़नी पहने, आया है दर पे रहने
दो ग़ज़ ज़मीन देदो, अपना ग़ुलाम कह दो
हमने सुना है जन्नत
ग़ौस की जागीर है
पीरों का पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्तगीर है
पीरों का पीर है,
रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्त…शाह ए जीलां
सबका दस्त.. ग़ौसुल आज़म
सबका दस्त.. मीरे मीरां
सबका दस्त.. अब्दुल कादिर
सबका दस्त.. शाह ए जीलां
सबका दस्तगीर है
पीरों का पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्तगीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
क्या मर्तबा है सैय्यदना ग़ौस ए जलीं का
चोरों को जहां मर्तबा मिलता है वली का
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
हम अपने आप को जिनका फ़कीर कहते हैं
जहां में उनको शहे बेनज़ीर कहते हैं
नबी के नूर से पुरनूर उनका सीना है
इसी लिए उन्हें रौशन ज़मीर कहते हैं
ग़ुलाम ए ग़ौस है, आज़ाद कर दिया तुझको
क़बर में मुझसे ये मुनकिर नकीर कहते हैं।
जो बादशाही को सदक़े करे फ़क़ीरी पर
अमीर कहते हैं उसको फ़क़ीर कहते हैं
जो जलने वाले हैं जल जल के मिटते जाते हैं
जो कहने वाले हैं वो दस्तगीर कहते हैं
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वोह मेरा पीर है, रौशन ज़मीर है
बग़दाद वाला दूल्हा सब का दस्तगीर है
वोह मेरा पीर है, वोह मेरा पीर है,
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
ग़ौसिल आ़ज़म बमने बेसर ओ सामां मददे
क़िब्लए दीं मददे, काबा ओ ईमां मददे
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है….
जे आयद जिब-रईल अज़ बहर् ए कारो बार दरबानी
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
वो मेरा पीर है, वो मेरा पीर है..
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