तूने अपना बना कर नज़र फेर ली कव्वाली लिरिक्स | Tu Ne Apna Bana Kar Nazar Pher Li Lyrics in Hindi
क़व्वाल: मौलवी हैदर हसन अख़तर
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वो तुम्हें याद करे जिसने भुलाया हो कभी
मैने तुमको न भुलाया न कभी याद किया।
नज़र नीची कर ली हया बन गई
नज़र ऊंची करली दुआ बन गई,
नज़र तिरछी करली अदा बन गई
नज़र फेर ली तो क़ज़ा बन गई।
तूने अपना बना कर नज़र फेर ली
तूने अपना बना कर नज़र फेर ली
मेरे दिल का सुकूं ना गहां लुट गया,
मुझको लूटा तेरे इश्क़ ने जान ए जां
मैं तेरे इश्क़ में जाने जां लुट गया।
चंद तिनके फ़क़त मेरी जागीर थे
वो भी बाद ए ख़ज़ां लूट कर ले गयी,
मैंने देखा ना फ़स्ल ए बहारी का मुंह
मैं क़फ़स में रहा आशियां लुट गया।
लेके काबे का अरमान घर से चला
मयकदे में दिल ए मुज़तरिब ले गया,
मैंने जाना कहां था कहां आ गया
मैंने लुटना कहां था कहां लुटगया।
रह गया मेरे लुटने का ज़िंदा निशां
धूम मेरी ज़माने में हर सू मची,
वो जगह यादगार ए मोहब्बत बनी
मैं मोहब्बत की ख़ातिर जहां लुट गया।
ऐ नसीम ए सहर जा तेरा शुक्रिया
मौत में गुल का मुझको न पैग़ाम दे,
रास आई किसी को न फ़ुर्कत तेरी
मैंने लुटना कहां था कहां लुटगया।
मेरा लुटने का आलम न कुछ पूछिए
आ गया इक बुत ए बेवफ़ा पे युंहीं,
दिल ने सोचा ना समझा न पहचान की
दिल को लुटना कहां था कहां लुटगया।
मैने लुटने से पहले ये सोचा के मैं
राज़ की बात ही उनसे कह कर लुटूं,
राज़ की बात तो रह गयी रात में
मुझसे पहले मेरा राज़दां लुट गया।
दिल मेरा इश्कबाज़ी में अंजान था
आ गया इक बुत ए बे वफ़ा पे यूं ही,
दिल ने सोचा ना समझा न पहचान की
इसको लुटना कहां था कहां लुटगया।