Zarra Zarra Us Dar Ka Naat Lyrics- Habibullah Faizi

Zarra Zarra Us Dar Ka Naat Lyrics  In Hindi And English

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का सूरज को आंख दिखाता है

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

Shahar e madina jane wala

Qismat pe itraata hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

Kaise bhala tashbeeh dun usko

Mushk e khutan ki khushboo se !!

Unka pasina aisa hai jo

Pushton (naslon) ko mahkaata hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

Ae suraj magroor na ban tu

Ik suraj hai taiba me !!

Tu duniya ko chamkata hai

Wo tujhko chamkata hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

Cheel udi unke oopar se

Faurn jalke raakh hui !!

Shah ahmad ka sher bhi

unke kutte se ghabraat hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

{C.A. ( NRC) se mutalliq sher}

 

C A ki jaal me ham na

fas jayen is se pahle !!

Bhej de mola fir khalid ko

Kufr hamen dhamkaata hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

Ja-al haq wa zahaql batil

Hota hai har daur me ye !!

Tera muqaddar to mitna hai

Kyon ham se takraata hai !!

 

Zarra zarra us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

 

Madhu se ziyada Meethi hai aawaz

ye unka sadqa hai !!

Maddhu poor ka shayar faizi

Mahfil me chha jata hai !!

 

Zarraa zarraa us dar ka

Suraj ko aankh dikhata hai !!

 

Naat Khwan: Habibullah faizi Madhupur

Shayar: Habibullah Faizi  Madhupur

 

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ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का सूरज को आंख दिखाता है


ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

शहरे मदीना जाने वाले

क़िस्मत पे इतराता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

ऐ सूरज मग़रूर ना बन तू

इक सूरज है तैबा में !!

तू दुनिया को चमकाता है

वो तुझको चमकाता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

कैसे भला तशबीह दूं उसको

मुश्के ख़ुतन की खुशबू से !!

उनका पसीना ऐसा है जो

पुश्तों को महकाता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

चील उड़ी उनके ऊपर से

फ़ौरन जलकर राख हुई !!

शाह अहमद का शेर भी

उनके कुत्ते से घबराता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

{C.A. (NRC) se Mualliq Sher}

 

C.A. की जाल में हम ना

फ़स जायें इस से पहले !!

भेज दे मौला फिर खालिद को

कुफ्र हमें धमकाता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

जा-अल ह़क़ वा ज़हक़ल बातिल

होता है हर दौर में ये !!

तेरा मुक़द्दर तो मिटना है

क्यूँ हम से टकराता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!

 

 

मधू से ज़्यादा मीठी है आवाज़

ये उनका सदक़ा है !!

मद्धूपूर का शायर फ़ैज़ी

महफ़िल में छा जाता है !!

 

ज़र्रा ज़र्रा उस दर दर का

सूरज को आंख दिखाता है !!


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