Razavi Rang Me Rang Jao Lyrics
वो रज़ा
प्यारे रज़ा
अच्छे रज़ा
सच्चे रज़ा
मेरे रज़ा
सबके रज़ा
जिनकी सदा ह़क़ की सना
जिनकी ज़बां इश्क़़ बयां
जिनका क़लम ह़क़ का अलम
जिनकी जबीं महर-ए-यक़ीं
जिन का जिगर बाग़-ए-हुनर
पैकर-ए-ईसार…
वो दिल-ओ-जां से फ़िदा-ए-शहे अबरार
वो मकबूल-ए-दरे अहमद-ए-मुख़्तार
वो हैं इश्क़़-ए-रिसालत के अलमदार
वो दुनिया-ए-मोहब्बत के हैं सरदार
बड़ा आला है किरदार
रज़ा से है हमें प्यार…
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
उनका सीना शह-ए-कौनैन की उल्फ़त का चमन
जिसकी महक
जिसकी लहक
फ़ख़रे् ज़मीं,
फख़रे् फ़लक,
जिसके शजर, बर्ग-ओ-समर
गुंचा-ओ-गुल यानी के
कुल रौनक़-ए-इस्लाम…
उनकी तहरीर की तनवीर से तामीर है
मीनार-ए-वफ़ा
क़स्र-ए-सना,
बाब-ए-करम
शहर-ए-हिकम
इश्क़-ओ-मोहब्बत का जहां
नग़्मा-ए-आक़ा-ए-ज़मां
सिदक़-ओ-यकीं
अज़मत-ए-दीं
ह़क़ का वक़ार….
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
इ़ल्म-ओ-इरफ़ां के वो इक गौहर-ए-नायाब
हिदायत के वो महताब
शहंशाह-ए-सुख़न
नय्यरे फ़न
फख़रे ज़मन
शाह-ए-अदब
जाने क़लम
नाज़-ए-अरब
शान-ए-अजम
इश्क़-ओ-मोहब्बत के इमाम…
जल्वा-ए-फ़ैज़े नबी
महर-ए-इनायात-ए-अली
नूर-ए-दर-ए-ग़ौस-ए-जलीं,
अज़्म-ए-हुसैन,
अक्स-ए-हसन
हामी-ए-दीं,
नाशिर-ए-ह़क़
जिन से ता-हश्र
गुलिस्तान-ए-शरीअत में निखार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
वो गुल-ए-फ़ज़्ल-ओ-कमालात
चराग़-ए-दर-ए-बरकात
वो इक तोहफ़ा-ए-सादात
किछौछा की हैं सौग़ात
वो फ़ैज़ाने दर-ए-ख़्वाजा-ए-अजमेर
अत़ा-ए-शह-ए-हजवेर
उन पे मुर्शीद भी करे नाज़
ये है कितनी बड़ी शान,
ये कितना बड़ा एजा़ज़
कि जिससे हुए अरबाब-ए-हिदायत के वो मुमताज़
ये है इश्क़ की मेराज
मिला उनको शरीअ़त का तरीक़त का हसीं ताज
बने दीन के मेमार…
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
इल्म-ए-बातिन हो कि ज़ाहिर
वो थे हर एक में माहिर
वो मुजद्दिद, वो वली हैं
वो कमालों के धनी हैं
मैं बयां कैसे करूं
उनके सब औसाफ़…
ज़ोहद-ओ-तक़्वा के वो नायाब गुलिस्तान
वो हैं नात के हस्सान,
वो ऐवान-ए-फ़क़ाहत के हैं नौमान
उन्होंने ने जो क़लम अपना चलाया
तो दलाइल का हसीं दरिया बहाया
वो हैं फ़ैज़-ए-शहे कौनैन का शाहकार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
ग़ैरत-ए-इ़श्क़-ए-रिसालत के वो इक ख़ंजर-ए-खूं-ख़्वार
वो इक बर्क़-ए-शरर-बार
हर इक नज्दी बहावी के लिए शोला-फिशां
आफ़त-ए-जां
क़हर-ए-ख़ुदा
ज़र्ब-ए-अज़ीम
बनके वो तेग़-ए-उमर,
कोहे यक़ीं
ग़ैरत-ए-दीं
आगे बढ़े हो के निडर
ख़त्म किए नज्द के शर
जिसकी धमक
जिसका असर
आज भी है
दाफ़े-ए-अशरार….
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
जान-ए-रहमत पे सलाम ऐसा है मक़बूल
कि अब अहले सुनन का बना मा’मूल
जो है इश्क़ से मामूर
ज़माने में है मशहूर
पढ़ा जाएगा दिन-रात
ना कम होगी कभी धूम
उनके क़दमों के निशां
फ़ैज़-रसां
मख़्ज़ने फ़न
इल्मी चमन
मस्लक-ए-ह़क़
मशरब-ए-ह़क़
राह-ए-जिनां
बाग़-ए-अमां
होगा सदा ज़िक्रे रज़ा
विर्द-ए-जबां चारों तरफ़
हश्र तलक
लैल-ओ-नहार …
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
किश्वर-ए-इ़ल्म के बे-मिस्ल शहंशाह के दरबार-ए-गुहरबार में
गुल्हा-ए-सुखन
हदिया-ए-फ़न
तोहफ़ा-ए-ईसार-ओ-वफ़ा
गौहर-ए-तौसीफ़-ओ-सना
लेके फ़रीदी है खड़ा
बहर-ए-क़ुबूल ….
काश वो कर दें ज़रा चश्मे अ़ता
मुझको मिलें लाल-ए-करम
जिन से भरे दामन-ए-फ़न
जेब-ए-क़लम
जिन से चमक जाए दमक जाए
मेरा ख़ाना-ए-अफ़्कार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
रज़वी रंग में रंग जाओ मेरे यार
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Shayar: Muhammad Salman Raza Faridi
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