Navi Ke Vaste Qawwali Lyrics | नबी के वास्ते

Navi Ke Vaste Qawwali Lyrics

नबी के वास्ते कव्वाली लिरिक्स

 

आए लाखों पयम्बर जहां में मगर
इतना अल्लाह को कोई प्यारा नहीं
अ़र्श-ए-आज़म पे इक मुस्तफ़ा के सिवा
फिर ख़ुदा ने किसी को पुकारा नहीं
ये मोहब्बत अक़ीकदत है एहसान है
ये नवाजि़श मेहरबानी ये शान है
मेरी उम्मत जहन्नम का मुंह देख ले
ये रसूल-ए-ख़ुदा को गवारा नहीं
जो मोहम्मद की उल्फ़त का क़ायल नहीं
दोनों आलम में उसका गुज़ारा नहीं
खुद ख़ुदा बंद-ए-आलम ने फ़रमा दिया
जो नबी का नहीं वो हमारा नहीं

 

जफ़ा करने वाले वफ़ा कब करेगा
बता तो सही फैसला कब करेगा
सहर हो चुकी इल्तिजा कब करेगा
तू सजदे में जा कर दुआ कब करेगा
और कज़ा करने वाले अदा कब करेगा

 

 

 

इबादत ख़ुदा की बता कब करेगा
जो वादा किया है वफ़ा कब करेगा
दिलों जान उन पर फ़िदा कब करेगा
अरे मरज़ बढ़ रहा है दवा कब करेगा

 

मालिक ने बनाए सारे ये दोनों जहां के नज़ारे
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

तू है करीम तुझको देता हूं मैं सदाएं
सदके़ में मुस्तफ़ा के सुन ले ये इल्तिजाएं
आदम ने जब वसीला तुझको बना लिया है
सब नाम-ए-मुस्तफ़ा के सदके़ में पा लिया है
मक़बूल हुई हैं दुआएं बरसीं रह़मत की घटाएं

नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

(मुसीबत से फुर्सत नहीं मिलने वाली
क़यामत में राहत नहीं मिलने वाली
अगर दिल में इश्क़-ए-मोहम्मद नहीं तो.. चल हट
नमाज़ों से जन्नत नहीं मिलने वाली)

 

क्योंकि नमाज़ पढ़ता है, क़ायल नहीं वसीले का
तू अपना काम खिलाफ़-ए-उसूल करता है
और जिसे ख़्याल-ए-नबी रहता है नमाज़ों में
ख़ुदा उसी की नमाजे़ं क़ुबूल करता है

 

जिब्रील आये आकर, की आपने सलामी
की अर्ज़ या मोह़म्मद, ऐ बेकसों के हामी
है आपका जहां में, सानी है और ना साया
है आपको ख़ुदा ने मेराज में बुलाया

ख़ालिक़ ने नूर लुटाया और अ़र्श-ए-बरीं को सजाया
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

दुनिया का ज़र्रा-ज़र्रा उनके लिए बना है
वो हैं ख़ुदा के प्यारे उन पर फ़िदा ख़ुदा है
दोनों जहां में अफ़ज़ल उनका ही मर्तबा है
अल्लाह के बाद गोया इक नाम-ए-मुस्तफ़ा है
इक नाम ए मुस्तफ़ा है
इक नाम ए मुस्तफ़ा है

ऐसा उनका रुत़बा है
ऐसा उनका रुत़बा है, अल्लाह भी बेपर्दा है
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

(ख़ुदा का क़हर थी ताक़त हुसैन की
निगाहे ख़ैज़-ओ-ग़ज़ब से देख लेते वो गर
तो तमाम फौज-ए-लईं जलके ख़ाक हो जाती
लेकिन मर्ज़ी-ए-ख़ुदा बंदी थी रज़ा-ए-मुस्तफ़ा थी)

जिन पर फ़लक निछावर, कुर्बान चांद तारे
करबल में भूखे प्यासे थे आमना के प्यारे
थे आमना के प्यारे
थे आमना के प्यारे

है कोई इस तरहां जो हक़ पर फ़िदा हुआ है
सजदे में जिसका सर भी तन से जुदा हुआ है
तन से जुदा हुआ है
तन से जुदा हुआ है

शब्बीर ने सर को कटाया
शब्बीर ने सर को कटाया, बचपन का वादा निभाया
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

जिन पर फ़लक निछावर, कुर्बान चांद तारे
करबल में भूखे प्यासे थे अली के प्यारे
थे अली के प्यारे
थे अली के प्यारे

है कोई इस तरहां जो हक़ पर फ़िदा हुआ है
सजदे में जिसका सर भी तन से जुदा हुआ है
तन से जुदा हुआ है
तन से जुदा हुआ है

 

शब्बीर ने सर को कटाया
शब्बीर ने सर को कटाया, बचपन का वादा निभाया
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते
नबी के वास्ते, नबी के वास्ते

 

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