Khula Hai Sabhi Ke Liye Lyrics | खुला है सभी के लिए

Khula Hai Sabhi Ke Liye Lyrics

खुला है सभी के लिए

 

Khula Hai Sabhi Ke Liye Baab-e-Rahmat Lyrics

 

तैबा …..तैबा …..
तैबा ……..तैबा ……..

खुला है सभी के लिए बाब-ए-रहमत
वहां कोई रुतबे में अदना ना आली
मुरादों से दामन नहीं कोई खाली
कतारे लगाए खड़े हैं सवाली

सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम

 

मैं पहले पहल जब मदीने गया था
तू थी दिल की हालत तड़प जाने वाली
वो दरवार सचमुच मेरे सामने था
अभी तक तसव्वुर था जिसका ख़्याली

खुला है सभी के लिए बाब-ए-रह़मत
वहां कोई रुतबे में अदना ना आली
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम

 

रह़मत का दर खुला है दरबार-ए-मुस्तफ़ा में
बिन मांगे मिल रहा है दरबार-ए-मुस्तफ़ा में
उन पर दुरूद हर दम उन पर सलाम हर दम
हर एक पढ़ रहा है दरबार-ए-मुस्तफ़ा में

सीने पर हाथ रखकर मैं दिल को ढूंढता हूं
दिल मुझको ढूंढता है दरबार-ए-मुस्तफ़ा
दरबार-ए-मुस्तफ़ा – दरबार-ए-मुस्तफ़ा

जो इक हाथ से दिल संभाले हुए था
तो थी दूसरे हाथ में उनकी जाली
दुआ के लिए हाथ उठते तो कैसे
ना ये हाथ खाली ना वो हाथ खाली

खुला है सभी के लिए बाब-ए-रहमत
वहां कोई रुतबे में अदना ना आली
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम

 

दर-ए-मुस्तफ़ा – दर-ए-मुस्तफ़ा
दर-ए-मुस्तफ़ा – दर-ए-मुस्तफ़ा

 

जो पूछा है तुमने कि मैं नज़र् करने को
क्या ले गया था? तो तफ़्सील सुन लो!
था नातों का इक हार, अश्कों के मोती
दुरुदों का गजरा सलामों की डाली

 

रहमत का दर खुला है दरबार-ए-मुस्तफ़ा में
बिन मांगे मिल रहा है दरबार-ए-मुस्तफ़ा

 

खुला है सभी के लिए बाब-ए-रहमत
वहां कोई रुतबे में अदना ना आली
सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम
सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम

 

मैं तौसीफ़-ए-सरकार तो कर रहा हूं
मगर अपनी औक़ात से बा-ख़बर हूं
मैं सिर्फ़ एक अदना सना खां हूं उनका
कहां मैं कहां नात-ए-इक़बाल-ओ-ह़ाली

खुला है सभी के लिए बाब-ए-रहमत
वहां कोई रुतबे में अदना ना आली
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम
सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम

 

Naat Khwan: Hafiz Ahsan Qadri
Lyrics: Iqbal Azeem

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