चलो मदीने ग़म के मारो नबी को हाल सुनाएं lyrics in English and Hindi
कव्वाल: ग़ुलाम फरीद साबरी और मक़बूल अहमद साबरी
हिन्दी | English Lyrics
ऐ मेरे अल्लाह! इन में से ..
कोई इन्सां किसी इन्सान को क्या देता है
आदमी सिर्फ़ बहाना है, ख़ुदा देता है।
(कोई इन्सां किसी इन्सान को क्या देता है!)
ऐ मेरे अल्लाह! इन में से..
बहुत ऐसे हैं के जो इ़ल्म ओ हुनर रखते हैं
बहुत ऐसे हैं के जो दौलत ओ ज़र रखते हैं
बहुत ऐसे हैं के जो तेग़ ओ सिपर रखते हैं
लेकिन, हम फ़क़त तेरी करीमी पे नज़र रखते हैं
कोई इंसां किसी इन्सान को क्या देता है
आदमी सिर्फ़ बहाना है, ख़ुदा देता है।
जब भी देता है वो देने के ढेर देता है
और लेता है तो चमड़ी उधेड़ लेता है।
मुक़द्दर का लिखा तो सबको देता है ख़ुदा लेकिन
जो क़िस्मत में न लिखा हो वो मिलता है मदीने में।
चलो मदीने ग़म के मारो .. हा.. आ..
नबी को हाल सुनाएं
करम का दर खुला है
करम का दर खुला है..
चलो मदीने, चलो मदीने, चलो मदीने, चले चलो.
वोही एक दर है सज्दा-गाहे दिल, तू सोचता क्या है?
वहीं चाल कर खुलेगा ज़िन्दगी का मुद्दआ़ क्या है?
ख़िरद वाले न समझे हैं न समझेंगे कभी इसको
ये अहले दिल समझते हैं, मक़ामे मुस्तफ़ा क्या है!
चलो मदीने ग़म के मारो
चलो मदीने ग़म के मारो ..
फ़िक्र ए उक़बा करके नाहक, वक्त मत ज़ाया करो।
चलो मदीने ग़म के मारो
चलो मदीने ग़म के मारो ..
(राग..)
चलो मदीने, चलो मदीने, चलो मदीने
चलो, चलो, चलो, चलो, चलो, चलो,
चलो मदीने
मदीने जाने का जिस दम इरादा मैंने किया
तो हंसता खेलता एक काफ़िले के साथ चला
चुभे थे पांव में कांटे तो थक के बैठा था
पास आकर मेरे सालारे काफ़िले ने कहा..
चलो मदीने ग़म के मारो
चलो मदीने ग़म के मारो ..
चलो मदीने, चलो मदीने ..
सब, चलो मदीने, चलो मदीने ..
मदीने चलो मदीने, मदीने चलो मदीने ..
चलो मदीने.. चलो मदीने ..
चलो मदीने.. चलो मदीने ..
चलो मदीने ग़म के मारो
चलो मदीने ग़म के मारो ..
हरकस वसीला दारदो मा बे वसीला ए
मारा वसीला नेस्त ब जुज़ आस्ताने तो
चलो मदीने ग़म के मारो ..
चलो मदीने ग़म के मारो ..
चलो मदीने ग़म के मारो
नबी को हाल सुनाएं
करम का दर खुला है
करम का दर खुला है ..
मदीना सल्लेअ़ला की बस्ती हर दम बरसे नूर
वहां का ज़र्रा ज़र्रा चमके जैसे कोहे तूर
मदीना बाब ए फ़ज़्ल ओ रह़मत बख़्शिश का सामान
गुनाह धुल जाते हैं सारे अल्लाह की है शान
नबी के दर का लिए सहारा जो मंगता भी जाय
किसी भी शै की कमी नहीं है जो मांगे सो पाय ..
चलो मदीने खिल जाएंगे तक़दीरों के फूल
दुखी दिलों की हो जाती है पल में दुआ़ क़ुबूल
ग़रीब ही क्या, अमीर भी हैं उस दर के मौहताज
दर ए नबी पर जो भी पहुंचा रख लेते हैं लाज
नबी की नगरी अल्लाह अल्लाह बनते हैं सब काम
बटते हैं ह़सनैन के सदक़े हर सुब्हो हर शाम ..
बटते हैं ह़सनैन के सदक़े ..
बटते हैं ह़सनैन के सदक़े ..
बटते हैं उस नैन के सदक़े..
जिन नैनों को फ़ातिमा चूमे
उस नैन के सदक़े बटते हैं ..
उस नैन के सदक़े बटते हैं ..
कौनैन के सदक़े बटते हैं
दो नैना के सदक़े बटते हैं
शेरे ख़ुदा के लाडले हैं नूरे ऐन हैं
हां हां वोही तो फ़ातिमा के दिल का चैन हैं
है नाम हसन एक का दूजे हुसैन हैं
मेरे रसूले पाक के ये दोनों नैन हैं
उस नैन के सदक़े बटते हैं ..
ह़सनैन के सदक़े बटते हैं ..
दो नैना के सदक़े बटते है
जिन नैनों को फ़ातिमा चूमे
उस नैन के सदक़े बटते हैं ..
(राग)
मदीने चल के करो नबी से रो रो कर फ़रियाद
शहे मदीना कर देते हैं नाशादों को शाद
गली गली में तैबा की है जलवों की भरमार
नबी के सदके में होता है अल्लाह का दीदार
चलो मदीने ताज़ा होंगे हम सब के ईमान
दिलों में जितने तड़प रहे हैं निकलेंगे अरमान ..
कोई न साइल लौटा अबतक चौखट से महरूम
बेशक, बेशक, बेशक – बेशक
मची हुई है करम की उनके दो आलम में धूम
बेशक, बेशक, बेशक – बेशक
सुनहरे ख़्वाबों की मिलती है उस दर पर ताबीर
करम से उनके बन जाती है हर बिगड़ी तकदीर
करम से उनके बन जाती है
करम से उनके बन जाती है
चलो मदीने करम जहां पर होता है हर बार
सफ़ीने डूबे हुए भी आलम हो जाते हैं पार
चलो मदीने ग़म के मारो .. हा.. आ..
नबी को हाल सुनाएं
करम का दर खुला है
करम का दर खुला है..
चलो मदीने, चलो मदीने, चलो मदीने, चले चलो..
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