Ali Ka Raaj Chalega Lyrics
महाराज अली.. सरताज अली
मेराज की भी मेराज अली
यौम-ए-अलस्त ख़ुदा ख़ल्क़ से कहने लगा
मेरी तौहीद का तो तुमने इकरार किया
हां मगर जिसके लिए ये जहां ख़ल्क़ हुआ
वो अली की है विला, वो अली की है विला
आओ इक़रार करो, आज सब मिलके कहो
सारी ख़िल्क़त की तरफ़ देख के बोला ये ख़ुदा
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
13 रजब मुस्कुरा कर ये काबा कहता था हैदर की मां से
ये घर अली के लिए ही बना है आ जाएं चाहें जहां से
मेरा मालिक है अली
ये फ़ज़ीलत है बड़ी
आईं जब बिन्त-ए-असद
ख़ाना-ए-रब बोल उठा
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
क्या है इशारा अली का, कहां पर, कैसे-किसे मारना है
अबरू की जुंबिश समझता है मालिक दुश्मन भी ये जानता है
जब लिए बुग़्ज़-ए-अली सामने आया कोई
सर उड़ाते हुए ये मालिक-ए-अस्तर ने कहा
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
ऐ मनिया ख़िलाफ़त दे मेंबर दे रल के
क़ब्जा़ तुसी कर लेया ए,
दिल ते मगर मोमिनां दे अली दा
क़ब्जा़ हमेशा रेया ए,
हश्र तक ज़िक्र ए अली
होवेगा ख़फ़ी-ओ-जली
आके दरबार दे सामने बतूल केया।
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
मैदान-ए-ख़ुम में जो पहुंचे मुहम्मद ﷺ
सब हाजियों को बुलाया,
मौला ने मौला की मर्ज़ी सुना कर
मौला अली को बनाया,
और फिर बोले नबी
है विला फस्ल-ए-अली,
बुग़्ज के मारों को मौत आने लगी
जब ये सुना।
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
छेड़ो ना मुझे मेरे दिलदार मलंगों
जो कुछ भी तुम्हें चाहिए माहोल से ले लो,
इस वक़्त मैं नबियों के मसाईल में हूं मसरूफ़
जन्नत की तलब है तो वो बहलोल से ले लो,
कैसे समझ में अली आए
पहले समझो अली का दीवाना,
दुनिया में जन्नत के घर बेचकर ये
कहता था बहलोल दाना,
घर मुबारक हो तुझे
हां मगर याद रहे
बाब-ए-जन्नत पे नज़र आएगा ये लिक्खा हुआ।
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
लाया गया जब कुमैल-ए-रियाही,
हज्जाज यूसुफ़ ये बोला,
कर दे अगर तू बराअत अली से
तुझको अभी छोड़ दूंगा,
बोल उठा इश्क़-ए-अली
तुझ पे लानत हो मेरी,
जब तलक ज़िंदा रहूंगा मैं यही दूंगा सदा।
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
जिस वक़्त दोश-ए-नबूवत पे मेरे
मौला अली के क़दम थे,
कहते थे जाना पड़ेगा यहां से
पत्थर के जितने सनम थे,
बुत गिराते थे अली
मुस्कुराते थे नबी
गिर चुके लात-ओ-मनात उज़्ज़ा तो काबे ने कहा
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
पंज नारा पंजतनी
सवा लख नारा हैदरी
हैदरी हो अली अली
हैदरी हो अली अली
हैदर.. हैदर हैदर..
हैदर …हैदर हैदर…
हैदर हैदर हैदर
हश्र के मैदां में ख़ल्क़ ए दो आलम को
जब वो उठाएगा – हैदर अली
सबको बुलाएगा – हैदर अली
पहला सवाल अपने नबियों से पूछेगा
मालिक ए महशर की आवाज़ आएगी
नूह बताओ के कार ए नबूवत में
कौन तुम्हारा है गवाह
नूह मोहम्मद के
पास आके बोलेंगे
हमसे गवाहों का
पूछा है मालिक ने
हमजा़ ओ जाफ़र को आक़ा सदा देंगे
सबकी नबूवत का शाहिद बना देंगे
पीछे मोहम्मद के
हक़ का आलम थामें होंगे अली शेरे खुदा आके मोहम्मद से
कोई ये पूछेगा
क्यूंकर गवाही में
हैदर को ना भेजा
बोलेंगे अहमद ख़ुदा जब बुलाएगा
मुझसे गवाही नबूवत की मांगेगा
फख़र् के आलम में
रब से मैं बोलूंगा
मेरी गवाही है अली
सवा लाख नबियों में परचम उठाकर
सर पे अपने ताज-ए-विलायत सजाकर
आएंगे मौला अली, साए में होंगे नबी
और लहरा के पुकारेगी ये परचम की हवा।
बस अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
महाराज का राज कहते हैं किसको
देखेगा सारा ज़माना
मेहंदी के हमराह रजअ़त में जिस दम
अब्बास का होगा आना
काबे पे रख के क़दम
जब लगाएगा अलम
होगी जीशान ओ रज़ा
ग़ाजी़ के होठों पे सदा।
अली का राज चलेगा
बस अली का राज चलेगा
Manqabat Khwan: Syed Raza Abbas Zaidi
Ali Ka Raaj Chalega Lyrics
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