Akeli Hai Zahra Lyrics
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
रोने पे पहरा मसाइब का सहरा
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
दर-ए-फ़ातिमा को जलाया है तुमने
किया वादा अपना भुलाया है तुमने
तमाचे ना मारो मुसलमानों जाओ
अली को बुलाओ अकेली है ज़हरा
रोने पे पहरा, मसाइब का सहरा, अकेली है ज़हरा
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
बयां किस से जाकर करूं दर्द अपना
है गैरों की दुनिया नहीं कोई अपना
कोई हाय! बाबा से कह दो ये जाकर
कि ले जाओ आकर अकेली है ज़हरा
रोने पे पहरा, मसाइब का सहरा, अकेली है ज़हरा
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
ऐ लख़्ते जिगर ऐ हसन इब्ने हैदर
ये नाना के पहलू में सोने ना दे गर
तुम आ जाना पहलू में सो जाना मां के
बक़ी में यहां पर अकेली है ज़हरा
रोने पे पहरा, मसाइब का सहरा, अकेली है ज़हरा
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
शहे कर्बला ने कहा रो के मां से
ये मज़लूम बेटे ने, मज़लूम मां से
अकेला हूं मैं भी, अकेली है ज़ैनब
अकेले हैं बाबा, अकेली है ज़हरा
रोने पे पहरा, मसाइब का सहरा, अकेली है ज़हरा
कहां जाए आख़िर बयाबान हर सू
शिकस्ता है पहलू अकेली है ज़हरा
Akeli Hai Zahra Lyrics Manqabat Fatima Zahra
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