आमिना बी के प्यारे का जश्न lyrics | Amina Bi Ke Pyare Ka Jashn

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

खुशियाँ मनाओ, झंडे लगाओ, घर को सजाओ मिल के

अपने नबी की ‘अज़मत के तुम गीत सुनाओ मिल के

 

चराग़ाँ ही चराग़ाँ हों, ख़ुशी के शादियाने हों

मेरे आक़ा की आमद है, सदाएँ मरहबा की हों

 

वाली-ए-मक्का, वाली-ए-तयबा और दुनिया के वाली

आमिना बी के घर आए हैं, महकी डाली डाली

 

हर जानिब ये धूम मची है।

हर जानिब ये धूम मची है।

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

 

सरकार की आमद मरहबा !

दिलदार की आमद ! मरहबा !

हुज़ूर की आमद ! मरहबा !

पुर-नूर की आमद ! मरहबा !

आक़ा की आमद ! मरहबा !

 

दाता की आमद ! मरहबा !

सच्चे की आमद ! मरहबा !

 

मरहबा ! मरहबा !

 

बि- हमिदल्लाह, ‘अब्दुल्लाह का नूर-ए-नज़र आया

मुबारक आमिना का नूर-ए-दिल लख़्त-ए-जिगर आया

 

ये ‘अब्दुल मुत्तलिब की ख़ूबी-ए-क़िस्मत कि इन के घर चराग़-ए-ला-मकाँ, कौन-ओ-मकाँ का ताजवर आया

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

 

खुशियाँ मनाओ, झंडे लगाओ, घर को सजाओ मिल के

अपने नबी की अज़मत के तुम गीत सुनाओ मिल के

 

चराग़ाँ ही चराग़ाँ हों, ख़ुशी के शादियाने हों

मेरे आका की आमद है, सदाएँ मरहबा की हों

 

वो ख़त्मुल – अंबिया तशरीफ़ फ़रमा होने वाले हैं

नबी हर एक पहले से सुनाता ख़बर में आया

 

नबी-ए-पाक ! तुझ पर अहल-ए-सुन्नत क्यूँ न क़ुर्बा हों

कि तेरी बारहवीं तारीख़ वो जान-ए-क़मर आया

 

मरहबा ! मरहबा !

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

 

सरकार की आमद ! मरहबा !

दिलदार की आमद ! मरहबा !

हुज़ूर की आमद ! मरहबा !

पुर-नूर की आमद ! मरहबा !

आक़ा की आमद मरहबा !

दाता की आमद ! मरहबा !

सच्चे की आमद ! मरहबा !

 

मरहबा ! मरहबा !

 

शब-ए-मीलाद-ए-अकदस थी मसर्रत ज़रें ज़र्रे को

मगर इब्लीस अपने साथियों में नौहागर आया

 

ज़मीं बोली कि बुत-ख़ाने से पाक -ओ-साफ़ होती हूँ

निदा काबे से उट्ठी अब मेरा मक़सूद बर आया

 

मरहबा ! मरहबा !

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिल के

 

ख़ुशियाँ मनाओ, झंडे लगाओ, घर को सजाओ मिल के

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

 

खुशियाँ मनाओ, झंडे लगाओ, घर को सजाओ मिल के

अपने नबी की ‘अज़मत के तुम गीत सुनाओ मिल के

 

चराग़ाँ ही चराग़ाँ हों, ख़ुशी के शादियाने हों

मेरे आका की आमद है, सदाएँ मरहबा की हों

 

चलो ऐ मुफ़लिसो जो आज मांगोगे वो पाओगे

वो सदक़ा बांटता अर्ज़ो समा का ताजवर आया

जमील ए क़ादरी जब सब्ज़ गुम्बद उनका देखूंगा

तो समझूंगा मेरी नख्ले तमन्ना में सबर आया

 

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

आमिना बी के प्यारे का जश्न मनाओ मिलके

 

सरकार की आमद ! मरहबा !

दिलदार की आमद ! मरहबा !

हुज़ूर की आमद ! मरहबा !

पुर-नूर की आमद ! मरहबा !

आक़ा की आमद मरहबा !

दाता की आमद ! मरहबा !

सच्चे की आमद ! मरहबा !

 

मरहबा ! मरहबा !

 

Naat Khwan: Hafiz Tahir Qadri

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