ऐसा कोई महबूब हुआ है न तो होगा |
Aisa koi mehboob hua hai na to hoga lyrics in Hindi | Hazrat Umar Ke Daur-e Khilafat Ka Waqya Hindi lyrics
Qawwali Jani Babu
Read in English
ऐसा कोई महबूब हुआ है न तो होगा
ऐसा कोई महबूब हुआ है न तो होगा..
दिल पुकारा मुझको इक नूरे मुजर्रद चाहिए
शौक़ बोला नूर की और नार की ज़द चाहिए
अक़्ल बोली ना’ला ओ फ़रियाद की हद चाहिए
इश्क़ बोला जज़्बा ए मनसूर ओ सरमद चाहिए
आंख बोली मुझको दीदार ए मोहम्मद ﷺ चाहिए
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
अपने बंदों से किया मालिक ने ये जिस दम सवाल
इक तरफ़ रहमत है मेरी इक तरफ क़हर ओ जलाल
इक तरफ़ है हुस्न ए यूसुफ़ इक तरफ दुनिया का माल
मांग लो क्या चाहिए ज़ाहिर करो अपना ख़याल
सारी दुनिया बोलती हमको मोहम्मद ﷺ चाहिए
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
जब जब भी तसव्वुर पर ग़ालिब दरबारे पयंबर होता है
अल्लाह रे मेरे पेश ए नज़र फिरदौस का मंजर होता है
जिस वक़्त नमाज़ ए उल्फ़त से ईमान मुनव्वर होता है
ना’लैन ए मोहम्मद का बोसा सजदे के बराबर होता है
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
हज़रत उमर के दौरे ख़िलाफ़त का वाक़या
सुनिए हुज़ूर तुमको सुनाता हूं मैं ज़रा
बच्चा था एक उनका हसीं और लाडला
हजरत उमर की आंखों का तारा था दिल का चैन
एक रोज रास्ते में मिले आपसे हुसैन
बाद अस्सलाम खेलने का मशवरा हुआ
उस कमसिनी में दोनों का जब सामना हुआ
कुछ खेल खेलते हुए उलझन सी हो गई
ग़ुस्से में लाल हुए आपस में तन गई
बोले हुसैन किस तरह तू बद-लगाम है
मालूम है तुझे तू हमारा ग़ुलाम है!
बच्चे को सुन के जोश में कुछ ना रही ख़बर
बोला कि मेरा बाप भी सुल्तान है उमर।
मैं बादशह का लड़का हूं ताज़ीम मेरी कर
वर्ना मैं अपने बाप को दूंगा तेरी ख़बर।
बोले हुसैन जाओ अभी बाप से कहो
तुमको क़सम है कहते हुए मुझसे ना डरो
बच्चे ने जाके बाप को क़िस्सा सुना दिया
अब्बा हमें हुसैन ने नीचा दिखा दिया
ग़ुलाम कहां है !
अब्बा हमें हुसैन ने नीचा दिखा दिया
बोले उमर यह बेटे से तू जाके बोलना
जो कुछ कहा है आपने लिख दीजिए ज़रा
बच्चे ने फिर हुसैन को जाकर यही कहा
तुमने ग़ुलाम जो कहा लिख दीजिए ज़रा
बोले हुसैन ये कोई मुश्किल मक़ाम है
हम लिख कर दे रहे हैं तू मेरा ग़ुलाम है
बच्चे ने जाके बाप को तहरीर जब यह दी
हज़रत उमर ने आंखों से अपने वहीं मली
बोले उमर यह बेटे से मैं शादकाम हूं
तू चीज़ क्या है मैं भी तो उनका ग़ुलाम हूं
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
अली से अर्ज़ की एक शख़्स ने इसका सबब क्या है ?
के कलमे में नबी के नाम को माबाद रखा है
ख़ुदा ने ख़ुद को दी तरजिह तो फिर ये इश्क़ कैसा है
रखें माशूक को पीछे यह कब आशिक का शेवा है
अली ने इस तरह समझाया उस गुस्ताख़ ए बेहद को
अरे नादान! तू समझा नहीं है इस राज़ ए वहदत को
ख़ुदा ने इसलिए रखा है पीछे नाम ए अहमद को
के नापाकी में ना ले ले कोई नाम ए मोहम्मद को
ज़ुबां धुल जाए पहले नाम जब अल्लाह का निकले
फिर उसके बाद में कलमा रसूल अल्लाह का निकले
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
ऐसा कोई मह़बूब हुआ है न तो होगा..
Urdu, Hindi and English Lyrics
| Naat-E-Paak|
| Khalid Mahmud ‘Khalid’ | Allama Saim Chishti | Bedam Warsi | Ajmal Sultanpuri Naat | Ala Hazrat Naat | Akhtar Raza Khan| Raaz Ilaahabadi | Muhammad Ilyas Attari | Sayyad Nazmi Miyan
| Sabri Brothers | Nusrat Fateh Ali Khan | Rahat Fateh Ali Khan | Iqbal Afzal Sabri | Aziz Miyañ | Ghous Muhammad Nasir | Maulvi Ahmad Hassan Akhtar