ये कहती थी घर घर में जाकर हलीमा

 

ये कहती थी घर घर में जाकर हलीमा | Ye Kehti Thi Ghar Ghar Me Ja Kar Haleema Lyrics in Hindi | یہ کہتی تھی گھر گھر میں جا کر حلیمہ | Rabiul Awwal Naat Lyrics |


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ये कहती थी घर घर में जाकर हलीमा

 

ये कहती थी घर घर में जाकर हलीमा
मेरे घर में खैरुल वारा आ गए हैं

बड़े औज पर है मेरा अब मुक़द्दर
मेरे घर रसूले खुदा आ गए हैं

 

उठीं चार सू रहमतों की घटाएं
मोअ़त्तर मोअ़त्तर हैं सारी फ़ज़ाएं

खुशी में यह जिब्रील नग़मे सुनाएं
वह शाफए’ रोज़े जज़ा आ गए हैं

 

यह ज़ुल्मत से कह दो अंधेरे उठा ले
के हैं हर तरफ अब उजाले उजाले

कहा जिनको हक़ ने सिराजम्मुनीरा
मेरे घर वह नूर ए ख़ुदा आ गए हैं

 

यह सुनकर सख़ी आपका आस्ताना
है दामन पसारे हुए सब ज़माना

नवासों का सदक़ा निगाहे करम हो
तेरे दर पर तेरे गदा आ गए हैं

 

मुकर्रब हैं बेशक ख़लील व नजी भी
बड़ी शान वाले कलीम व मसीह भी

लिए अर्श ने जिनके क़दमों के बोसे
वह उम्मी लक़ब मुस्तुफ़ा आ गए हैं
.

नकीरैन जब मेरी तुर्बत में आ कर
कहेंगे ज़ियारत का मुज्दा सुना कर

उठो बहरे ताज़ीम ‘नूरुल हसन’ अब
लहद में रसूले खुदा आ गए हैं

 

( उवैस क़ादरी ने यूं कहा है:-)

ख़ुदा के करम से नकीरैन आकर
कहेंगे ज़ियारत का मुज्दा सुना कर

उठो बहरे ताज़ीम ‘नूरुल हसन’ अब
लहद में रसूले खुदा आ गए हैं

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