बन गए बुत परस्त हम सूरत ए यार देख कर | Ban Gaye But Parast Ham Surat e Yaar Dekh Kar Lyrics in Hindi | Arifana kalam | Sufi Poetry
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दीद ए जमाल ए हक हुई हुस्न ए निगार देखकर
बन गए बुत परस्त हम सूरत ए यार देख कर
कब था नसीब में सुकूं पहले ही हाल था ज़ुबूं
बढ़ गईं और उलझनें गेसू ए यार देख कर
पहले तो चुप खड़े रहे सर को झुकाए शर्म से
रो दिए फिर वह फूट-फूट मेरा मज़ार देखकर
साक़ी भी है, घटा भी है, मौसम ए जां-फिज़ा भी है
काफिर है अब जो ना पिए ऐसी बाहर देख कर
ऐसा था हाले बेकसी उनको भी रहम आ गया
मुझसे लिपट गए मेरी हालत-ए-ज़ार देखकर
जाने कहां कहां क़दम रखे मेरे हुजूर ने
सजदे किए हैं जा-बजा उनका दयार देखकर
सोफ़ से जब न चल सके उनके निशां के साथ-साथ
बन गए हम गुबार ए राह नाक़ह ए यार देख कर
साजिद नज़र जो आए हम क्या किया चश्मे यार ने तीर-ए-नज़र चला दिया अपना शिकार देखकर
दीद ए जमाल ए हक हुई हुस्न ए निगार देखकर
बन गए बुत परस्त हम सूरत ए यार देख कर
Urdu, Hindi and English Lyrics
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