तू कुजा मन कुजा नात शरीफ ओरिजनल लिरिक्स
शायर : मुज़फ़्फ़र वारसी
तू कुजा मन कुजा
तू अमीर ए हरम, मैं फ़क़ीर ए अजम
तेरे गुन और ये लब, मैं तलब ही तलब
तू अ़ता ही अ़ता, मैं ख़ता ही ख़ता
तू कुजा मन कुजा, तू कुजा मन कुजा
तू है एहराम ए अनवार बांधे हुए
मैं दुरूदों की दस्तार बांधे हुए
काबा ए इश्क़ तू, मैं तेरे चार हूं
तू असर मैं दुआ, तू कुजा मन् …
मेरा हर सांस तो ख़ूं निचोड़े मेरा
तेरी रहमत मगर दिल न तोड़े मेरा
कासा ए ज़ात हूं तेरी ख़ैरात हूं
तू सख़ी मैं गदा, तू कुजा …
तू हक़ीक़त है, मैं सिर्फ़ एहसास हूं
तू समंदर, मैं भटकी हुई प्यास हूं
मेरा घर ख़ाक पर और तेरी रह गुजर
सिद्रतुल मुंतहा, तू कुजा…..
तू अबद आफ़रीं, मैं हूं दो चार पल
तू यक़ीं मैं गुमा मैं सुख़न तू अ़मल
तू है मासूमियत, मैं निरी मासियत
तू करम मैं ख़ता, तू कुजा मन्…
डगमगाऊं जो हालात के सामने
आए तेरा तसव्वुर मुझे थामने
मेरी ख़ुशक़िस्मती मैं तेरा उम्मती
तू जज़ा मैं रज़ा, तू कुजा म….
दूरियां सामने से जो हटने लगीं
जालियों से निगाहें निपटने लगीं
आंसुओं की जुबां हो मेरी तर्जुमा
दिल से निकले सदा, तू कुजा ..
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Hindi And English lyrics
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