सितारों से आगे जहां और भी हैं लिरिक्स
| English Lyrics |
Sitaroñ se Aage Jahañ Aur Bhi Haiñ Lyrics in Hindi
कव्वाल: उस्ताद राहत फतेह अली ख़ान
शायर: हज़रत अल्लामा इक़बाल र.अ.
फरेब-ए-नज़र है सुकून-ओ-सबात
तड़पता है हर ज़र्रा-ए-कायनात
ठहरता नहीं कारवान-ए-वुजूद
के हर लहज़ा है ताज़ा शान-ए-वुजूद
समझता है तू राज़ है ज़िन्दगी
फ़क़त ज़ौक़-ए-परवाज़ है ज़िन्दगी
जवानों को, मेरी आहे सहर दे
फिर इन शाहीं बच्चों को बाल-ओ-पर दे
ख़ुदाया आरज़ू मेरी यही है
मेरा नूर-ए-बसीरत आम कर दे
सितारों से आगे जहां और भी हैं …
अभी इश्क़ के..
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं
सितारों से आगे जहां और भी हैं..
हर इक मक़ाम से आगे
हर इक मक़ाम से आगे मक़ाम है तेरा
हयात-ए-ज़ात-ए-सफ़र के सिवा कुछ और नहीं
सितारों से आगे जहां और भी हैं..
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़िज़ाएं…
(सरगम)
तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़िज़ाएं..
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं..
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर…..
तू ही नादां
तू ही नादां चंद कलियों पर क़नाअ़त कर गया
वर्ना गुलशन में इलाज-ए-तंगी-ए-दामां और भी हैं
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर…..
चमन और भी,
चमन और भी, आशियां और भी हैं…
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म..
मक़ांमात-ए-आहो
मक़ांमात-ए-आह-ओ-फुग़ां और भी हैं…
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म..
मक़ांमात-ए-आह-ओ-फुग़ां और भी हैं…
निशां यही है ज़माने में ज़िंदा कौमों का
के सुबह-ओ-शाम बदलती हैं उनकी तकदीरें
मक़ांमात-ए-आह-ओ-फुग़ां और भी हैं..
न पूछो मुझसे लज़्ज़त ख़ानमा बर्बाद रहने की
नशेमन सैकड़ों मैंने बना कर फूक डाले हैं
मक़ांमात-ए-आह-ओ-फुग़ां और भी हैं..
(सरगम)
मक़ांमात-ए-आह-ओ-फुग़ां और भी हैं..
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा…
नहीं तेरा नशेमन क़सर-ए-सुल्तानी के गुंबद पर
तू शाहीं है, बसेरा कर पहाड़ों की चटानों पर
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा…
गुज़र-औकात कर लेता है ये कोह-ओ-बायाबां में
के शाहीं के लिए ज़िल्लत है कार-ए-आशियां-कारी
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा…
गर-चे है दिल-कुशां बहुत हुस्न-ए-फरंग की बहार
ताइरेक-ए-बुलंद-ओ-बाल दाना-ओ-दाम से गुज़र
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा…
ऐ ताईर-ए-लाहूती उस रिज़्क़् से मौत अच्छी
जिस रिज़्क़् से आती हो परवाज़ में कोताही
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा…
तेरे सामने आसमां और भी हैं…
झपटना, पलटना, पलटकर झपटना
लहू गर्म रखने का है इक बहाना
परिंदों की दुनियां का दरवेश हूं मैं
के शाहीं बनाता नहीं आशियाना
तेरे सामने आसमां और भी हैं…
गए दिन के तन्हां था मैं अंजुमन में…
यहां अब मेरे राज़-दां और भी हैं…
सितारो से आगे जहा और भी हैं
अभी इश्क़ के
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं
सितारों से आगे जहां और भी हैं
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